युवा कवयित्री।विभिन्न पत्र–पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।
कवियो तुम आते रहना
जब तक बची है यह सृष्टि
ओ कवियो, तुम आते रहना
तुम्हारा आना
उतना ही जरूरी है
जितना जीवन में
वसंत का आना
जितना खामोशियों में
कहीं किसी शिशु की
किलकारी का गूंज उठना
इसलिए भी
तुम्हारा आना जरूरी है
कि आने वाली पीढ़ियां जान सकें
अमराइयों में कोयल
पंचम तान में गाती है
गरीबों के चूल्हे सुलगा करते हैं
उम्मीद की बची हुई एक चिंगारी से भी
कवियों को लाद दिया जाता है
पुष्प गुच्छ और मालाओं से
वे हमें भर दिया करते हैं
मानवीय संवेदनाओं से
अनुभूतियों की गहराइयों से
बची रहे संवेदनाओं की यह रीत
इसलिए ओ कवियो, तुम आते रहना।
वह लौटकर आएगा
आज जो पीछे छूट रहा है
एक दिन लौटकर जरूर आएगा
जब आना होगा उस रास्ते से वापस
याद रखना फिर मिलेंगी
पेड़ों की कतारें
सरसराते जंगल
बलखाती नदियां
पीछे छूटता हर दृश्य उभर आएगा
आंखों में फिर एक बार
तेज गति से चलती
गाड़ी जब लौटती है
उसे फिर मिलते हैं छूटे गांव
और वही ठहराव
इसलिए जब मिलो किसी से
अदब से मिलना
क्योंकि वे मिलेंगे दोबारा
यात्रा के अंतिम पड़ाव में।
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