पहला दोस्त (पाउच खोलते हुए) – ले सौंफ खा ले।

दूसरा दोस्त – नहीं, मैंने सौंफ खाना छोड़ दिया है।

पहला दोस्त – क्यों भला?

दूसरा दोस्त- कुछ दिन पहले तक मैं इसी ब्रांड के पाउच की सौंफ खाता था। लेकिन एक बार इस पाउच को खोलकर मुंह में लिया ही था कि मुंह में कुछ गड़ने का अहसास हुआ। देखा तो एक आलपिन थी। मेरे मुंह में घाव बन गया। उसके बाद से मैंने सौंफ खाना छोड़ दिया। मैंने इस सौंफ कंपनी में अपनी शिकायत दर्ज कराई है। अब उपभोक्ता फोरम में जाने की सोच रहा हूँ। आख़िर मैं एक जागरूक उपभोक्ता हूँ भाई! यह खाद्य पदार्थों में लापरवाही का एक बड़ा मामला है।

पहला दोस्त- यार, इतनी बड़ी फैक्ट्री में प्रोसेसिंग के दौरान किसी पाउच में एकाध आलपिन आ भी गई तो कौन सा पहाड़ टूट पड़ा? थिंक पॉज़िटिव।

दूसरा दोस्त – तू मुझे प्रोत्साहित करना छोड़कर, हतोत्साह कर रहा है!

पहला दोस्त- अगर तुझे सिस्टम पर यकीन है, तो मैं तुझे सेल्यूट करता हूँ! मैं नेगेटिव बोलने की जगह थिंक पॉज़िटिव ही बोलता हूँ। कहां-कहां लड़ेगा? थिंक पॉज़िटिव!

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