युवा कवयित्री। ‘इंजीकरी’ काव्य संग्रह। हिंदी में कई शोधपरक वैज्ञानिक लेख।
यह भी
एक
मौन का जन्म आपके भीतर होता है
उसके संस्कार आपके भीतर होते हैं
संगीत मौन को मिला सुंदरतम स्पर्श है
चित्र मौन को रंग देता है
काव्य शब्द पहना देता है।
दो
वे गांव छोड़कर शहर आए हैं
घर यहां भी नहीं
सब ओर बस सड़क है
वे पता में क्या लिखेंगे?
गुलड़ के लाल फूल
या सूखे पत्ते
कोलतार या कच्ची सड़क
बाज़ार या ़फुटपाथ
ठेला या ट्रक का एक कोना।
तीन
खमड़ुआ का चक्का खाए युग बीत गया
मूंग की दलपुड़ी
गांव से हम चलकर शहर आ गए हैं
थाली के पैर नहीं होते
पर पेट का होता है
चार
समुद्र के तट पर बहुत याद आती हैं
नदी की मीठी मछलियां
जीभ पतली से मोटी होती चली गई
मेरे लिए नदी की मछलियां स्मृति बन गईं
मैं मछलियों के लिए पानी।
पांच
मैंने देह को कहा
यह मेरा पहला पाप है
देह ने कहा
पहली मृत्यु भी
दूसरी कब होगी?
मौत एक बार ही आती है
क्षणिक होती है
तुम्हारी बहुत लंबी होगी।
छह
हम किसी का जन्मदिन नहीं मनाते साहब
अपना भी नहीं
जंगल का भी नहीं
हम मातम मनाते हैं
काटे जा रहे जंगल और सिरों के।
संपर्क: अनामिका विला, एसएनआरए हाउस नं 31, कावू लेन, श्रीनगर, वल्लाकडावू, त्रिवेंद्रम-695008 केरल, मो.8075845170