युवा कवयित्री।कई पत्र–पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।हिंदी के अलावा राजस्थानी में भी लेखन।
प्रार्थनाओं का कोई रंग नहीं होता
न केसरिया न लाल न हरा न पीला
प्रार्थनाएं होती हैं हमेशा श्वेत रंग में रची बसी
हिम आच्छादित पर्वतों पर बिखरे उजाले की तरह
रजनीगंधा और बेला की सुगंध की तरह
प्रार्थनाएं करती हैं परिष्कृत
स्नेहिल शब्दों के जल से अंतस को
अपनी मौन धारा में
विवशता नहीं होतीं प्रार्थनाएं न महज आनंद
प्रार्थनाएं तो होती हैं स़िर्फ कृतज्ञता
उस इष्ट के प्रति जो श्वासों से बंधा है चेतना बनकर
प्रार्थनाएं होती हैं मन की एक अलिखित मौन कविता
जो सुनाती रहती हैं हृदय की धड़कन
किसी प्रिय को ध्यान करते हुए
मन में जलते विश्वास के दीये की
निष्कंप लौ की तरह
उनकी अखंड ज्योति करती रहती है
आलोकित अंतस को
मनुष्य करता है प्रार्थना
श्रद्धा की अभिव्यक्ति के लिए
स्वीकार हो या अस्वीकार
कब करता है इसकी परवाह
श्वासों की प्रार्थना अखंड होती है
जीवन के जल प्रलय में भी
तुम मेरी प्रार्थना हो!
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