युवा गजलकार। इक उम्र मुकम्मल’, ‘कुछ निशान काग़ज़ पर’, ‘जी भर बतियाने के बादएवं जैसे बहुत क़रीबचार गजल संग्रह प्रकाशित। तकनीकी क्षेत्र में कार्यरत।

गजल

मौन ही साधे रही संसद, नहीं बतला सकी
मुश्किलों, बरबादियों की हद नहीं बतला सकी

रोशनी को साथ लेकर आ रही किरणों की खेप
कब अंधेरे का घटेगा कद, नहीं बतला सकी

भूख से जो छटपटाई रातभर बुढ़िया, सुबह
किसने गाए भक्तिरस के पद नहीं बतला सकी

तेज गर्मी से झुलसते राहगीरों को हवा
किस तरफ है छांव के बरगद नहीं बतला सकी

बो रहा है कौन बारूदी इरादे रात-दिन
पूछने पर रो पड़ी सरहद नहीं बतला सकी

अम्न की मासूम चिड़िया मर गई है खौफ से
कुछ बताना था उसे शायद, नहीं बतला सकी

चुप रही दुनिया सदा ही प्रश्न पर अनमोल के
आफ़तों का है कोई जनपद, नहीं बतला सकी।

अनमोलप्रतीक्षा, 321/4, सोलानीपुरम, रुड़की उत्तराखंड-247667 मो.8006623499