अनुवादक

मारियो द अंदरेदे (१८९३-१९४५)

कवि, उपन्यासकार, आलोचक, कला इतिहासकार, संगीतशास्त्री और छायाचित्रकार। ‘हैल्लूसिनेटेड सिटी’ उनका अति महत्वपूर्ण कविता संग्रह।मारियो का ब्राजील के आधुनिक साहित्य पर गहरा प्रभाव है।संगीत के क्षेत्र में इनका महत्वपूर्ण काम है।

पकी उमर का कीमती वक्त

मैंने गिने अपनी जिंदगी के साल
और इलहाम हुआ कि
बहुत बीती
थोड़ी बची

अतीत लंबा भविष्य छोटा है
लगा जैसे वो बच्चा जिसे मिली डलिया भर चेरी
पहले तो गटकता गया
फिर जब लगा थोड़ी ही बची हैं
टूंगने लगा स्वाद ले ले कर

अब मेरे पास वक्त बचा नहीं है
औसत दर्जे की चीजों से निबटने के लिए

ऐसी बैठकों में जाना नहीं चाहता
जहां सूजे-भूंजे फिर रहे हों अहंकार

डाह भरों से परेशान रहता हूँ
जो सबसे काबिल लोगों को
बदनाम कर देना चाहते हैं
उनकी जगह हड़प लेना चाहते हैं
उन्हें ललचाता है उनका औहदा
लियाकत और किस्मत

फिजूल की बातों के लिए मेरे पास वक्त नहीं है
जो मेरी जिंदगी का हिस्सा नहीं
उनकी जिंदगियों पर चर्चा करना बेकार है

ऐसे लोगों की नजाकतों को
संभालने का वक्त नहीं है मेरे पास
जो उमर में तो बढ़े पर नहीं कढ़े
मुझे नफरत है उनके मुंह लगने से
जो सत्ता के लिए भिड़ते रहते हैं
जो ‘काम की बात पर नहीं
सिर्फ बिल्लों के नाम पर बहस करते हैं’

बिल्लों पर बहस के लिए बचा नहीं वक्त मेरे पास
मुझे सार चाहिए

मेरी रूह जल्दी में है…

मेरी डलिया में चेरियां ज्यादा नहीं
मैं ऐसे लोगों के करीब रहना चाहता हूँ
जो इंसान हैं, ज्यादा इंसान
जो अपनी ठोकरों को हँसी में उड़ा देते हैं
और उनसे दूर
जिन्हें उनकी जीत ने दंभी बना दिया है
उनसे दूर जो खुद-ही-खुद से भरे हैं

जरूरी वह है जिससे जीवन होता है सार्थक
और मेरे लिए काफी हैं जरूरियात!

हां मैं जल्दी में हूँ
मैं जल्दबाजी में हूँ उस सघनता से जीने में
जो सिर्फ परिपक्वता से आती है

बची हुई चेरियां बर्बाद करने का मेरा इरादा नहीं

मुझे यकीन है वे बहुत बढ़िया होंगी
अब तक जो खाईं उनसे ज्यादा
मेरा मकसद है पहुंचना अंत तक
संतुष्ट और मजे में
अपने प्यारों के साथ और अपनी जमीर के साथ

कन्फ्यूशियस कहता है न —
‘हमारी हैं दो जिंदगियां
और दूसरी का आगाज होता है
जब आपको इलहाम होता है
है आपके पास सिर्फ एक जीवन।’

अनूप सेठी, बी-१४०३, क्षितिज, जी.ई. लिंक, राम मंदिर रोड, गोरेगांव (वेस्ट) मुंबई-४००१०४मो.९८२०६९६६८४