अनुक्रम :: अप्रैल-2023
पाठक निम्नलिखित में से किसी भी शीर्षक पर क्लिक करके रचना पाठ कर सकते हैं.
संपादकीय : आलोचनात्मक सोच का संकट
कहानियां
इवेंट्स : कैलाश बनवासी
मूक सूरज : हंसा दीप
रेशमा : जसिंता केरकेट्टा
मगर पागल नहीं हैं जनार्दन बाबू : सुरेश कांटक
छुई-मुई : सुशांत सुप्रिय
अपना अपना आसमान (ओड़िया) : गौरहरि दास, अनुवाद :दीप्ति प्रकाश
कविताएं
महेश आलोक
राजेंद्र उपाध्याय
मनोज कुमार झा
आलोक कुमार मिश्रा
रेखा चमोली
ज्योति रीता
गोविंद भारद्वाज
जनार्दन
अशोक ‘अंजुम’
सूर्य देव रॉय
शान्ती नायर
ब्रजेश कृष्ण
वियोगिनी ठाकुर
दशरथ कुमार सोलंकी
उत्तर पूर्व की कविताएं – ममांग देई, अनुवाद :रेखा सेठी
अंग्रेजी कविताएं – शेखर कपूर, अनुवाद :उपमा ॠचा
परिचर्चा
भारतीय नदियों पर खतरे :धनंजय चोपड़ा, राघवेंद्र दास, पंकज चतुर्वेदी, रुचि श्री, गोविंद निषाद, प्रस्तुति :रमाशंकर सिंह
संस्मरण
जैनेंद्र कुमार समंदर की तरह गहरे थे :मोहनदास नैमिशराय
विश्वदृष्टि
ऐनी सेक्सटन (अमेरिका) अनुवाद :अवधेश प्रसाद सिंह
जिया यू (ताइवान) अनुवाद :राजेश कुमार झा
समीक्षा संवाद
उम्मीदों के चार कवितालोक :आनंद गुप्ता
विविध
पाठक की टिप्पणी
किताबें
लघुकथा
हर्डल्स :नूतन अग्रवाल ज्योति
रांग नंबर :राजेश पाठक
देश-देशांतर
लालन फकीर
वार्सन शायर (सोमालिया)
मल्टी मीडिया
–खिला है चैत का फूल 1 : सिद्धेश्वर सिंह की कविता ‘चैत’
–खिला है चैत का फूल 2 : सीताकांत महापात्र की कविता ‘कोई चैत तुम्हें मेरी कविता में लाया था.’
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उत्कृष्ट कविताएँ हैं दशरथ जी सर।
आनन्द आ जाता पढ़कर और मन में स्वतः ही प्रेरणा के पुष्प भी खिल जाते हैं।