वरिष्ठ लेखिका। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संप्रति उत्तराखंड में प्राध्यापिका। बेटियों को लगता था कि उनके मायके का मकान अभी लंबे समय तक ऐसा ही रहेगा। उनके छुटपन के संदूक-आलमारियां, बुक शेल्फ, मेज-कुर्सियां, पलंग-तख्त – सब यथावत...
संस्कृतिकर्मी एवं बैसवारा पी. जी. कॉलेज, लालगंज में एसोसिएट प्रोफेसर। पुस्तक ‘जनवादी दृष्टि परंपरा तथा भैरव प्रसाद गुप्त के उपन्यास’ (आलोचना)। ‘बहादुर लड़की उ़र्फ औरत का प्यार’ ग्रेट गुलाब थियेटर कंपनी की बहुत ही मशहूर नौटंकी रही है। यह लेख ‘बहादुर लड़की’ शब्द सिर्फ...
कवि, समीक्षक और संस्कृति कर्मी।विद्यासागर विश्वविद्यालय, मेदिनीपुर में सहायक प्रोफेसर। 21वीं सदी में उदारीकरण, लोकतंत्र और गांधी के विचारों को लेकर एक गहरी बेचैनी है। यह हमारे लिए एक आश्वस्ति है। विमर्शों के इकहरेपन के बरक्स आलोचक विचार-विमर्श की एक...
युवा अध्येता। ‘भूमंडलीकरण की कहानियाँ’ और ‘हिंदी काव्य’ नामक संपादित पुस्तक प्रकाशित। पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च के अंतर्गत ‘इक्कीसवीं सदी में भोजपुरी भाषी लोक जीवन’ पर शोधरत। ‘धवल’ उपनाम से कविताएं भी लिखते हैं। हिंदी की बात होगी तो हिंदी प्रदेश की बोलियां भी सामने आएंगी।...
वरिष्ठ कवयित्री। कविता, कहानी और आलोचना की कई पुस्तकें। अद्यतन कविता संग्रह ‘ उजाड़ लोकतंत्र में’। कई सामाजिक, सांस्कृतिक एवं साहित्यिक संस्थाओं द्वारा सम्मानित। खारा पानी ऐसा क्यों होता है किआधी अधूरी छूटीएक कातर सांसकविता के कंठ में हीपनाह लेती है ऐसा...
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