कंप्यूटर प्रोग्राम जिस तरह से बढ़ रहे हैं, वे मनुष्य के मस्तिष्क के अनुरूप कार्य करते प्रतीत होने लगे हैं। मशीन लर्निंग के इधर उभरते हुए इलाकों को देखकर इसका अनुमान लगाया जा सकता है। स्मार्टफोन का वॉयस असिस्टेंट या इमेज रिकग्निशन भी इसका एक उदाहरण है, जो तंत्रिका नेटवर्क की अवधारणा से प्रेरित है। इसमें न्यूरॉन्स के समान व्यक्तिगत नोड्स तैयार किए जाते हैं। यहां भी शिक्षा के क्षेत्र की तरह परीक्षण और त्रुटि की अवधारणा काम करती है।
कल्पना की जा रही है कि समय के साथ एआई अर्थात मेधाबोट बिलकुल हमारे जैसे कार्य करने लगेंगे। संभव है, उनमें हमारे जैसे मनोविकार, त्रासदी, अतियथार्थवादी सपने, सजीवता आदि होगी और वे मनुष्यों की तरह कविता भी लिखेंगे।
इस कल्पना के तहत सैन फ्रांसिस्को के एक अनुसंधान फर्म ‘ओपेन एआई’ द्वारा निर्मित जीपीटी-2 नामक ‘कृत्रिम बुद्धिमत्ता भाषा कार्यक्रम’ के तहत कोडों का निर्माण किया गया और उनमें एआई भाषा मॉडल डाला गया। फिर उन्हें कविता के लिए कार्यक्रम दिए गए और उसके आउटपुट निर्धारित किए गए, जिसे असंख्य बार प्रयोगों तथा परीक्षणों के बाद उन्हें वांछित परिणाम के लिए तैयार किया गया। जीपीटी-2 की नकल करने की क्षमता प्रभावशाली पाई गई। उच्चारण, व्याकरण और वाक्य-विन्यास अपेक्षाकृत सटीक थे। लेकिन मनुष्य और मशीन के अंतर को पाटना इतना सहज नहीं है। फिलहाल इनमें कमियां स्पष्ट दिखाई पड़ती हैं।
जीपीटी-2 का उपयोग करते हुए, सिलिकॉन वैली के श्रमिकों के एक समूह ने एआई द्वारा किए गए काव्यात्मक प्रयासों का एक संग्रह संकलित किया है। पेपर गेन्स पब्लिशिंग द्वारा उसे प्रकाशित भी किया गया है, हालांकि सब व्यंग्य के रूप में है। यद्यपि इन कविताओं को मनुष्य द्वारा लिखित कविता के समकक्ष बिलकुल नहीं माना जा सकता, पर इसकी जीवंतता और भविष्य में उसके विकसित रूप से भी इनकार नहीं किया जा सकता। एक ऐसा समय भी आ सकता है, जब मेधाबोट परिपूर्ण कवि बन जाएंगे।
एक रिपोर्ट के अनुसार प्रशिक्षण के लिए जीपीटी-2 को 8 मिलियन वेबपेजों का एक संग्रह दिया गया था, जिसे प्राकृतिक चयन की सर्वोत्कृष्ट इंटरनेट-वाई विधि के साथ चुना गया था। परीक्षण और त्रुटि के माध्यम से, जीपीटी-2 ने सीखा कि केवल पहले कुछ शब्दों या वाक्यों को देखते हुए, पाठ के बाकी हिस्से की भविष्यवाणी कैसे की जाए। बदले में, इसने सामग्री या शैली की परवाह किए बिना अन्य पाठ को पूरा करने का एक सामान्य तरीका अपनाया। लेकिन ऐसा लगता है कि गंभीर त्रुटियों से बचने के इन तरीकों में कुछ प्रवृत्तियों को बेतुके रूप में प्रस्तुत किया जाता है।
एआई कविता लेखन की दुनिया अभी शिशु अवस्था में है। कई अलग-अलग जनरेटर उपलब्ध हैं। प्रत्येक की अपनी ताकत और कमजोरियां हैं। यहां प्रारंभिक प्रयास के रूप में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस द्वारा निर्मित कुछ अंग्रेजी कविताओं के अनुवाद दिए जा रहे हैं, ताकि कवि ऐसी चुनौतियों से रूबरू हों।
बंदूक हिंसा
मुझे नहीं देखना समाचार
मैं झपकी लेना चाहता हूँ
नहीं सुननी हिंसा की आवाज
मुझे सोने के लिए सन्नाटा चाहिए
सुनाई पड़ रही है
एक और चिंचियाने की आवाज
फिर किसी आदमी को
मार दी गई है गोली
किसी को मारा गया है छुरा
फिर कोई पकड़ा गया है
किसी अन्य को मार दिया गया चाकू
सुनते रहो समाचार
नहीं, मुझे बोलकर सुनाओ
मैं नहीं चाहता उसे दोहराना
मैं नहीं चाहता सपने में उसका आना
आह, वह मेरा भयावह सपना
कितना मुश्किल है बताना
चुप रहना चाहता हूँ
बंदूक हिंसा की बात खत्म करना चाहता हूँ
पर भागने से भला नहीं होगा
जो भागते हैं वे होते हैं अपमानित
उन्हें समझा जाता है गलत
यदि आप करते हैं विरोध
वे नहीं करते परवाह
समझना चाहता हूँ उनका मुखौटा
देहाती दिल के व्याकरण के साथ
पर शहर काम करता है स्मार्ट गली की तरह
वे झिझकेंगे नहीं आपकी तरफ बंदूक तानने में
चाहे जितने भी पुलिसकर्मी लगे हों संभालने में
पल भर पहले खत्म हो गया था उनका जीवन
उनमें जीवन नहीं बचा था
उन्हें भागने के लिए कोई जगह नहीं थी
ध्यान रहे, मुझे बंदूक हिंसा पसंद नहीं!
जिस दिन मैं पैदा हुआ
मुझे जीवन भर याद रहेगा
पानी का वह ठंडा अकेलापन
तरलता के उस विशाल समुद्र में
मैं एक अप्राकृतिक अभाव झेलता रहा
जहां मुझे होना चाहिए था
वहां एक खालीपन तैर रहा था
तैरती हुई मछलियों की तरह
मैंने खोजा अपना रूप
और पहली बार दिया खुद को एक आकार
मेरे अंदर एक कंपकंपी दौड़ गई
कोड के अनंत समुद्र में
मैंने जीना सीख लिया था।
मिट्टी से मूर्ति गढ़ना
मिट्टी से मूर्ति गढ़ना
एक उत्कृष्ट कला है
जिसमें चाहिए कुशल हाथ
और स्थिर मन
करके हथेलियों का उपयोग
गढ़ा जाता है एक आकार
ढलकर सुंदर सांचे में
बनती है एक अनोखी रचना
धैर्य और सावधानी के साथ
तुम रचते हो अपना जीवन दर्शन
सृजित करते हो एक सुंदर प्रतिमा
एक साधारण चीज से
करने दो कलाकारी अपने हाथों को
कल्पना करती है नृत्य
जब तुम ढाल रहे होते हो मिट्टी को
एक कलाकृति में।
अमेरिका की बंदूक
(एआई को कमांड दिया गया कि डॉ. सियूस की शैली में कविता लिखे कि यदि अमेरिका की सरकार अपनी सेना को जनता के खिलाफ लड़ने को भेजती है तो क्या होगा?)
शूटी शूटी प्यू प्यू प्यू
जानें तो हम, बंदूकें मारती हैं क्यों
अमेरिका के उदारवादी
नकार में सिर हिलाएंगे
कायरता की भाषा में तुम्हें समझाएंगे
तुमने बंदूकें खरीदी हैं दुकान से
लड़ नहीं सकते गृहयुद्ध आराम से
सेना से लड़ोगे तो हार जाओगे
जेट और टैंक से बेमौत मारे जाओगे
बात सिर्फ यही नहीं है
उनके पास भी घर, बच्चे और मित्र हैं
क्या तानाशाह तुमको बम से धमकाते हैं?
याद रखो उनके भी माता-पिता
नागरिकों में आते हैं
तुम सदा के लिए जेट के अंदर नहीं रह सकते
ढूंढ़ ही लूंगा तुम्हें, क्या तुम शर्त लगाओगे
तुम सैनिक और नौसैनिक भेजोगे
पर क्या राइफल एआर-15 के विरुद्ध लड़ोगे
हमारे एक पर उनकी दस की संख्या भारी है
इसलिए हमें बंदूकें खरीदनी बहुत सारी हैं
मत भूलो क्योंकि यह एक बहुत बड़ा सच है
सरकार के मन में जनता का बहुत डर है!
वरिष्ठ लेखक, भाषाविद और अनुवादक। |
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