मूल लेखक : बालचंद्रन चुल्लिक्काड (मलयालम कवि)
अनुवाद: असद जैदी
आवृत्ति : सुशील कांति
ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु
दृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा
विशेष आभार : प्रषेख बोरकर, अभिषेक बोरकर एवं श्रीवाणी।
प्रस्तुति : भारतीय भाषा परिषद

बालचंद्रन चुल्लिक्काड का जन्म 1958 में हुआ था। आप मलयालम साहित्य के चर्चित रचनाकार हैं। ‘अमावसी’, ‘पतिनेटु’, ‘कवितकव्व’ आदि आपकी प्रतिनिधि रचनाएँ हैं। साहित्य के अलावा अभिनय तथा निर्देशन के क्षेत्र में भी बालचंद्रन चुल्लिक्काड एक उल्लेखनीय नाम है। पत्राकारिता में आपको विशेषज्ञता हासिल है। भारत की स्वाधीनता के बाद अनेक हिंदी कवियों ने देश की आज़ादी को झूठी आज़ादी कहा, क्योंकि आज़ादी के बाद जनता के बहुत बड़े हिस्से के लिए मूलभूत चीजें दुर्लभ रहीं। इस आशय की कविताएँ लिखने वालों में धूमिल का नाम महत्त्वपूर्ण है। इस संदर्भ में उनका कविता-संग्रह ‘संसद से सड़क तक’ पठनीय है।