युवा कवयित्री। विविध पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संप्रति : स्वतंत्र लेखन
कैरोल एन डफी
(जन्म 1955) अंग्रेजी की प्रसिद्ध स्कॉटिश स्त्री स्वर। आत्मालाप शैली में प्रेम कविताओं के लिए प्रसिद्ध। इनकी कविताओं में समाज के हाशिए की आवाज प्रखर हुई है। ‘पोयट लारेट’ के रूप में स्वीकृति।
युद्ध का छायाचित्रकार
अपने अंधेरे कमरे में वह अंततः अकेला है
क्रमबद्ध पंक्तियों में सुसज्जित पीड़ा की चरखियां
एकमात्र प्रकाश लाल है और धीरे-धीरे चमकता है
मानो यह एक गिरजा हो
और वह एक पुजारी
बुलंद लहजे में सामूहिक प्रार्थना की तैयारी में
बेलफास्ट… बेरूत… फोनों पेन्ह…
सारी चमड़ी घास है
उसे अपना काम करना है
विलयन तश्तरियों के किनारों से छलक जाते हैं
उसके हाथों के नीचे, जो तब कांपते नहीं थे
हालांकि अब कांपते लगते हैं…
ग्रामीण इंग्लैंड, फिर से लौटना
साधारण दर्द में सादगी भरा मौसम छितरा देता
उन खेतों तक जो
दुःस्वप्न की गर्मी में
दौड़ते बच्चों के पांव तले नहीं फटते
कुछ हो रहा है
एक अजनबी के नक्श
उसकी आंखों के सामने
हल्के-हल्के घूमने लगते हैं
एक आधा बनता भूत
उसे चीखें याद हैं
इस आदमी की पत्नी की
उसने कैसे मंजूरी मांगी शब्दों के बिना
वह करने के लिए
जो किसी को करना चाहिए
कैसे खून विदेशी धूल को
कलंक का टीका कर गया
श्वेत-श्याम में सैक्रड़ों पीड़ाएं
जिनमें से उसका संपादक पांच या छह को चुनेगा
रविवार के पूरक के लिए
पाठक की पुतलियां
आंसू की चुभन से छलकती हैं
स्नान और दोपहर के भोजन पूर्व बीयर के बीच में
हवाई जहाज़ से
वह भावशून्यता से उधर देखता रहता है
जहां वह अपनी आजीविका कमाता है
और उन्हें कोई परवाह नहीं है।
क़मीज़
बाद में मैंने उसे बार में अकेला पाया
और उससे पूछा कि क्या ग़लत हुआ
यह क़मीज़ है, उसने कहा
जब मैं इसे खींचता हूँ
तो यह मेरी पीठ पर
लटक जाती है कफ़न की तरह
या ग्रिम की परिकथा की
जहरीली चुस्त सदरी की तरह
मेरी त्वचा में इसका अभिशाप रिसता है
निकृष्टतम गोदना
क़मीज़ को पहन कंधे उचकाने से पहले
मैं स्नान करता हूँ और दाढ़ी बनाता हूँ
स्वप्न जैसी गंध
लेकिन भय के पसीने
और बदबू से गंधाती कमीज़ से
मेरी उस जानी पहचानी गंध के रेशे
बिगाड़ दिए जाते हैं
इसपर मेरा नंबर लिखा है
मैंने उसपर एक और शॉट डाला
मैं बचपन से यह कमीज़ पहनना चाहता था
लेकिन अब जब मैं ऐसा करता हूँ तो
यह मुझे बीमार, कमजोर, विक्षिप्त बना देती है
पूरी रात टीम होटल के ऊपर, चांद गेंद है
पेनल्टी किक में
हजारों भयंकर तारे मुझे चिढ़ा रहे हैं
एक कर्कश आवाज वाला उल्लू रेफरी है
हवा प्रशंसकों की एक भीड़ है
चालीस साल लंबी
घृणासूचक दुत्कार के गंदे गाने गुनगुनाती
मेरे हरकत करने पर
यह खूनी कमीज़ है!
वह सिसकने लगा
और मुझे क्षणभर के लिए दया महसूस हुई
रोओ मत, मैंने कहा
दिन के अंत में तुम वापस आ जाओगे
प्रति सप्ताह 100/1000 पर
और शहर के लिए खेलने।
7623, रघुबर पुरा नंबर 2, गली नंबर 14, अमर मोहल्ला गांधी नगर, दिल्ली 3, मो. 8512806394