हिंदी प्रस्तुति: बालकृष्ण काबरा ‘एतेश’
कवि और अनुवादक। कविता संग्रह ‘दूसरा चित्र’, ‘मन की स्याही’, ‘गीत अकवि का’ और ‘अपने-अपने ईमान’। अद्यतन कविता संग्रह ‘छिपेगा कुछ नहीं यहाँ’। विश्व साहित्य के अनुवादों के तीन संग्रह : ‘स्वतंत्रता जैसे शब्द’, ‘जब उतरेगी साँझ शांतिमय’ और ये झरोखे उजालों के।

फारुग फ़रोख़्ज़ाद
फारुग फ़रोख़्ज़ाद (1934-1967): तेहरान में जन्मीं एक प्रतिभाशाली ईरानी कवयित्री और फिल्म निर्देशिका। आधुनिकतावादी और विवादास्पद, स्त्रीवादी लेखिका। 32 वर्ष की उम्र में कार दुर्घटना में निधन।

करती हूँ महसूस उस छोटे बगीचे का दर्द

परवाह नहीं किसी को फूलों की
परवाह नहीं किसी को पक्षियों की

कोई नहीं करना चाहता विश्वास कि
वह छोटा बगीचा मुरझा रहा है

कोई नहीं करना चाहता विश्वास कि
इस भीषण गर्मी से
सूज गया है छोटे बगीचे का हृदय
कोई नहीं जानना चाहता कि
छोटे बगीचे की स्मृति से उसका हरा अतीत
मिट रहा है धीरे-धीरे

लगता है ऐसा कि छोटे बगीचे की चेतना
कोई अलग-थलग चीज है
जो हवा से दूर जाती गंध की तरह
नष्ट हो रही है तेजी से

हमारा आंगन महसूस कर रहा है सूनापन
हमारा आंगन ले रहा है जम्हाई-
बारिशी बादल के संभावित आगमन की आशा में

हमारा पोखर सूख गया है
और ऊंचे पेड़ों से गिर रहे हैं
ताजे छोटे पत्ते

और पिंजरे की हल्की पीली खिड़कियों से
पक्षियों का गीत अचानक हो जाता तब्दील
लगातार खांसने की आवाजों में

हमारे आंगन का बगीचा सूना है

हमारे पिता कहते हैं
‘मैं अपना जीवन जी चुका
जी चुका अपना जीवन
और पूरे कर चुका हूँ अपने काम’

अपने कमरे में दिनभर
वे पढ़ते रहते हैं इतिहास और कविताएं

कहते हैं वे मेरी मां से
‘कौन करता है परवाह आंगन के रखरखाव की?
मैं हूँ बीमार और बूढ़ा
और मेरी पेंशन से बस चल जाता है काम’

मेरी मां का संपूर्ण जीवन
है एक किताब प्रार्थना की
खुली पड़ी जो नर्क के भयावह द्वार पर
मेरी मां की निगाहें
तलाश रही हैं हर जगह
जीवन के खुशनुमा प्रसंगों को

उसे लगता है एक अवांछित पौधे ने
खराब कर दिया है छोटे बगीचे को
मेरी मां को मिले हैं
कई जन्मजात पापों के उपहार
अपनी बेचैन आत्मा को बचाए रखने
उसे करनी पड़ती है रोज प्रार्थना

वह फूलों और पक्षियों के लिए करती है दुआए
वह मेरे, मेरी बहन और
खुद के लिए करती है दुआएँ
वह तरस रही है नए जीवन के लिए
और उस दिव्य क्षमा के लिए जो बरसेगी जरूर
मेरा छोटा भाई बगीचे को कहता है ‘कब्रिस्तान’
हँसता है मेरा भाई लॉन की दुर्दशा पर –
वह कर रहा है गिनती पक्षियों के शवों की
मेरा भाई वशीभूत दर्शन-शास्त्र से

मेरा भाई कहता है: बगीचे को उबारने के लिए
हमें इसे जल्द से जल्द साफ कर देना चाहिए

मेरा भाई पीकर आता है
वह तोड़ देता है दर्पण
प्लेटों और पेंटिंग की फ्रेमों को

वह करता है बार-बार कोशिश
यह दिखाने के लिए
कि है वह कितना, हताश और क्लांत
वह ले जाता है हर जगह अपनी निराशा
ठीक जैसे वह ले जाता है
अपना जन्म प्रमाण पत्र
डायरी, नैप्किन, लाइटर और पेन
उसकी निराशा इतनी छोटी है
कि यह रोज रात
खो जाती है शराब घर की भीड़ में

मेरी बहन की मित्रता फूलों और पक्षियों से
जब मेरी मां थी विक्षिप्त
और उसे डांटना चाहती थी
वह हरे पेड़ों के पीछे छिप जाती थी
उसे पसंद था घायल, अस्वस्थ पक्षियों का साथ

मेरी बहन रहती अब शहर से दूर
उसके पास अब एक दिखावटी घर
उसके पास अब एक नकली पौधा
रहती वह अपने ढोंगी पति के साथ
वे सुनते जोड़-तोड़कर बनाया गया संगीत
और वे करेंगे पैदा बहुत से बच्चे

मेरी बहन आती है मिलने
उसे पसंद नहीं छोटे बगीचे की धूल
नम त्वचा के लिए वह साथ लाती है
खुशबूदार क्रीमें

हमारा आंगन महसूस कर रहा है सूनापन
आंगन हमारा महसूस कर रहा है सूनापन
दिनभर दरवाजे के पीछे से
आती हैं तोड़-फोड़ और धमाकों की आवाजें
हमारे पड़ोसी अपने बगीचे की मिट्टी में
रोप रहे हैं बम और मशीन गनें
उनके तहखाने दिखते हैं
किसी गुप्त शस्त्रागार की तरह
उनके बच्चे लड़ते हैं
शोर करने वाली बंदूकों और बमों से
हमारे आंगन को लग रहा है डर
और मुझे लगता है डर बेरहम जमाने से
लगता है डर बर्बाद करने वाले हाथों से
लगता है डर उन सभी पराए चेहरों से
अकेली हूँ मैं उस बच्चे की तरह
जो खो गया है ज्यामिति की किताबों में

सोचती हूँ काश बगीचे को
अस्पताल ले जाना संभव होता
सोचते रहती हूँ मैं…
सोचते रहती हूँ मैं…
सोचते रहती हूँ मैं…
और छोटे बगीचे का हृदय
सूज गया है भीषण गर्मी से
और उसकी स्मृति से उसका हरा अतीत
मिट रहा है धीरे-धीरे।

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