हिंदी प्रस्तुति : बालकृष्ण काबरा एतेश
कवि और अनुवादक। अद्यतन कविता संग्रह छिपेगा कुछ नहीं यहां। विश्व साहित्य के अनुवादों के तीन संग्रह : स्वतंत्रता जैसे शब्द’, ‘जब उतरेगी सांझ शांतिमयऔर ये झरोखे उजालों के।

 

बड़े शब्द

जब कविता बोलेगी बड़े शब्द
सारे हथियार हो जाएंगे तुरंत खामोश
शब्द ही होंगे आवाज
बिखरे रक्त और चीखते पीड़ित व्यक्ति की
शब्द जो होते हैं उच्चरित मृतकों के कोरस से
इतिहास की निर्वासित भीड़ से
वे बोले जाएंगे धीमे स्वरों में
फूलों द्वारा
आकाश में रोते बादलों और
समुद्र की मनमौजी लहरों द्वारा
उन बच्चों द्वारा जो
नहीं होना चाहते सेना में भर्ती
उस दिन होगा प्रकट नया प्रेम
समुद्र के फेन से
जो है अव्यक्त बड़ी राष्ट्रीयता में

युद्ध मर जाएगा शर्म से
खामोशी लेने लगेगी बदला इतिहास से
और जादुई शब्द
चूम लेंगे प्रेम की बयार
यदि देश के एक हिस्से से बेवफाई करने से
मिल जाए मुझे सारी जन्मभूमि
तो तुम्हारा राष्ट्रवाद बस होगा एक व्यभिचार

मैं दूंगी तुम्हें धोखा
मैं सभी शत्रुओं से करूंगी प्रेम
यहां तक कि मेरे पीछे लगाई गई
तुम्हारी खूनी सेनाओं से भी
मैं दूंगी तुम्हें धोखा
इस पृथ्वी के सभी महाद्वीपों पर

जब कविता बोलेगी बड़े शब्द
सभी सौदों और बातचीतों का
हो जाएगा अंत
और नहीं होगी गुंजाइश कुछ कहने की
हो जाएंगे सभी बेरोजगार मध्यस्थ

इतिहास कर देगा आत्मसमर्पण
उन बड़े शब्दों के अधीन
जो लेकर चलेंगे
सितारे और नदियां
हर काल, हर समय की अंतहीन प्रेम क्रीड़ाएं
ध्वनियां, बारिशें और समुद्र

जब कविता
बोलेगी बड़े शब्द
तब या तो सभी कवियों को दे दी जाएगी फांसी
या होगी अवतरित शांति पृथ्वी पर।

न भेजे गए पत्र

(पत्र संख्या: 10)
भेजने की अनुमति नहीं
वास्तव में ये आशा के निशान हैं
जो मिट जाते हैं
लालसा में बिताए गए दिन बदल गए दुख में
न करो प्रतीक्षा मेरी
दुख की दूसरी कोठरी में

प्रेम तक पहुंच नहीं
(हमारी सेना बड़ा ध्यान रखती है हमारी सुरक्षा का)
आज रात मैं देखती रही सितारों को
उम्मीद है तुम भी देख रहे होगे

तुमसे मिलने का संदेश
मुझे मिल गया है
एक दूसरे देश में
एक अलग ही समय में
लेकिन मैं नहीं कर सकती प्रतीक्षा
समय रूपी पीला सर्प
कसमसाता है मेरे भीतर

अदम्य लालसाओं से ग्रस्त हूँ मैं
आज ही मुझे तुमसे मिलना चाहिए

मैं हर किसी से कहूंगी कि मैं तुमसे प्रेम करती हूँ
यहां तक कि चेक पाइंट पर पुलिस कर्मी से भी
मैं हर किसी को बताऊंगी तुम्हारा वर्जित नाम

फिर चल पड़ूंगी मैं
बिल्ली की तरह कपड़े पहने
करना मेरी प्रतीक्षा
लेना मुझे अपनी बांहों में
मैं तुर्की में तुमसे कहूंगी म्याऊं।

तुम्हारे स्पर्श के लिए
पहले मुझे चाहिए
कागज और कलम
फिर आशा
फिर आंसू
मैं कैसे कर सकती हूँ तुम्हारा स्पर्श?

चढ़ो ऊंची इमारतों पर
और देखो मेरी ओर
मैं कुछ नहीं
बस तुमसे प्यार करती हूँ
(यह प्रेम एक ऐतिहासिक भूल है)

11, सूर्या अपार्टमेंट, रिंग रोड, राणाप्रताप नगर, नागपुर (महाराष्ट्र)- 440022 मो.9422811671