बांग्ला के प्रसिद्ध कवि। कविता–संग्रह ‘पागली तोमार संगे’ के लिए 2000 में साहित्य अकादमी पुरस्कार।

हिंदी और बांग्ला  में कविता लेखन एवं अनुवाद, छत्तीसगढ़ जन संस्कृति मंच की अध्यक्ष।

1- हम हैं पथिक                               

पेड़ का नाम पेड़ हैं
धूल का नाम धूल
नदियों के नाम बता सकते हैं ग्रामवासी
पर घर का नाम घर, बरामदे का नाम बरामदा
बरामदे के समीप जो लड़की है
क्या नाम है उसका ?
यह जानना हो तो तुम्हें नाव खेना होगा
नाव की रस्सी खींचनी पड़ेगी
लकड़ी काटने के लिए जाना होगा जंगल
डाकुओं के हत्थे चढ़ना होगा
घेरा फांदकर पहुंचना होगा उस बरामदे में
और बरामदा लांघकर घर
घर के बीच जब बाँहों में बांध लेगी तुम्हें
उस तूफान से घिरे समय में
पेड़ों के ऊपर गिरेंगे पेड़
धूल के भीतर से खड़ा होगा धूल-स्तंभ
गांव के ऊपर पछाड़ खाकर गिरेगी नदी
तुम्हें तब याद भी नहीं रहेगा कि
तुम हो सिर्फ एक पथिक…

2- पैदल पुल

एक विच्छेद से दूसरे विच्छेद तक पहुंचते हुए
कुछ ही दिन होते हैं मिलन के भी
पैदल पुल की तरह
मेघ घिरेंगे ही
बरसात में रास्ता होगा ही धुंधला
पैर फिसल कर गिरेंगे नीचे
उससे पहले जब तक संभव हो
जोर से पकड़े रहो अंगुलियां अंगुलियों से।

संपर्क : जय गोस्वामी, १५९ प्रिंस ग़ुलाम हुसैन शाह रोड, कोलकाता 700032/ मो. 9903710969 

संपर्क: मीता दास, 63/4 नेहरू नगर पश्चिम, भिलाई, छत्तीसगढ़- 490020 मो.9329509050

ईमेलः mita.dasroy@gmail.com