वरिष्ठ कवि।अद्यतन कविता संग्रह ‘अंतसकारा’।वागीश्वरी पुरस्कार से सम्मानित।
निहत्था
स्वप्न और कविता
बिन बुलाए आते हैं
हम कभी उनका
इंतजार भी नहीं करते
वे आते हैं
बार-बार
और हमें निहत्था कर देते हैं।
रखवाले
कवि का हृदय ही
कविता का घर है
कविता के घर
के रखवाले होते हैं
कवि।
शब्द
हम
कवि भर नहीं हैं
हम शब्द हैं सृष्टि के
इस पृथ्वी पर।
मन
कुआं सा मन मेरा
फिर भी प्यासा
न डोरी
न बाल्टी
नहीं कोई खींचने वाला
पानी से भरा
बाल्टी।
प्रलय
इस सृष्टि में
महाप्रलय के बाद
जो भी बचेगा
वह निश्चित ही
कवि होगा।
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