पूनम सिंह
हिंदी कविता और नक्सलवाद (आलोचना)
वाग्देवी प्रकाशन, नोएडा, मूल्य : ५५० रुपये
नक्सलबाड़ी आंदोलन ने एक समय भारतीय राजनीति के साथ साहित्य-संस्कृति को भी प्रभावित किया था| साहित्य की दिशा बदली और कविता में क्रांति के स्वर गूंजने लगे| यह पुस्तक सातवें दशक के हिंदी कवियों और कुछ आलोचकों के जरिए उपर्युक्त आंदोलन को देखने-समझने की सार्थक कोशिश है|
अंकिता जैन
मुहल्ला सलीमाबाग (उपन्यास)
वाणी प्रकाशन, दिल्ली, मूल्य : ३२५ रुपये
उपन्यास मुहल्ला सलीमाबाग इस लिहाज से प्रासंगिक है कि इसमें नफरत के दौर में निःस्वार्थ प्रेम की कहानी है| इसमें एक मुहल्ले की गाथा है, बल्कि आज के हिंदुस्तान की कहानी भी है, जहां राजनीति इंसानी भावना से बढ़कर है| लेखिका ने समाज के सच को पकड़ा है|
श्रीप्रकाश शुक्ल
राग रविदास (जीवनी)
वाग्देवी प्रकाशन, नोएडा, मूल्य ः १९९ रुपये
रविदास पंद्रहवीं सदी के एक ऐसे कवि हैं जिनका स्वर आज इक्कीसवीं सदी में पूरी गरिमा और गुरुत्व के साथ सुनाई देता है| पाखंड की धज्जियां उड़ाते रविदास की कविताओं और उनके जीवन की अर्थपूर्ण व्याख्या इस पुस्तक में है|
राजकुमार राकेश
प्रतिनिधि कहानियां
आधार प्रकाशन, पंचकूला, मूल्य ः ३०० रुपये
अधिकांश कहानियां भूमंडलीय दौर में सत्ता और धर्म के जटिल होते रिश्ते पर हैं| ये इनके बीच अधार्मिक गठजोड़ से पर्दा उठाने वाली कहानियां हैं| ये कहानियां २१वीं सदी के विडंबनापूर्ण जीवन से संबंधित हैं|
प्रेमकुमार मणि
अकथ कहानी (आत्मकथा)
वाणी प्रकाशन, दिल्ली, मूल्य ः ४९९ रुपये
यह पिछले ५० साल लंबे काल-खंड की ऐसी कथा है, जो राजनीतिक और सामाजिक उथल-पुथल से भरी है| इसमें इस दौर के साहित्यिक जगत की हलचलें भी हैं| जयप्रकाश आंदोलन है, तो नक्सलवादी आंदालेन भी, मंडलवादी उथल-पुथल है, तो भगवा अंगड़ाई भी| कई दशकों के यथार्थ का जीवंत दस्तावेज!