मदन मोहन
आहत नाद (उपन्यास)
सेतु प्रकाशन, दिल्ली : मूल्य : ३५० रुपये
इस उपन्यास में लेखक ने यथार्थ को वैसा ही पेश किया है, जैसा वह वास्तविक दुनिया में दिखाई देता है।इस उपन्यास ने समकालीन भारत की हिंदी पट्टी की सारी परतों को सामने रखने का प्रयास किया है।राजनीतिक विद्रूप के शिकार गांव, कॉलेज, विश्वविद्यालय परिसर से लेकर विधायक-सांसद तक हैं, जो चित्रित है।
शिव कुमार ‘शिव’
वनतुलसी की गंध (उपन्यास)
समीक्षा पब्लिकेशंस, दिल्ली : मूल्य : २५० रुपये
उपन्यास में कथा एक ऐसी स्त्री की है जो स्त्री को पुरुष के बराबर देखना चाहती है, वह समाज के बीहड़ वन को अपने संघर्ष की गंध से महका देना चाहती है।यह जातिवाद, सामंतवाद और पितृसत्ता के खिलाफ स्त्री के बुलंद प्रतिरोध को रेखांकित करता है।
तैयब हुसैन
जनता की अदालत (एकांकी संग्रह)
सर्व भाषा ट्रस्ट, दिल्ली : मूल्य : २५० रुपये
इस पुस्तक में संकलित एकांकियां संक्रांति-काल की याद दिलाती हैं जब ये देखी कम जाती थीं, पढ़ी अधिक जाती थीं।इस संग्रह में देश-दुनिया के स्तर पर कुछ ऐसी घटनाओं को विषय बनाया गया है, जो साहित्य की अन्य विधाओं में नहीं के बराबर हैं।
राजेंद्र भंडारी
(हिंदी अनुवाद :सुवास दीपक)
छोटी छोटी खुशियां (नेपाली कविता संग्रह)
रश्मि प्रकाशन, लखनऊ : मूल्य : ३०० रुपये
भारतीय नेपाली कविताओं में जातीय पहचान का संकट, राष्ट्रीय और विश्व परिप्रेक्ष्य में व्यष्टि-समष्टि का अस्तित्वबोध विद्यमान है।इनमें नेपाली समाज के आर्थिक-राजनीतिक असुरक्षाबोध की कलात्मक अभिव्यक्तियां हैं।
राजेंद्र सजल
अंतिम रामलीला (कहानी संग्रह)
कलमकार पब्लिशर्स, दिल्ली: मूल्य : ३०० रुपये
ये राजस्थान की पृष्ठभूमि पर आधारित कहानियां हैं, जो ग्रामीण परिवेश और लोक मुहावरों को लेकर आधुनिक चेतना और बोध को उत्प्रेरित करती हैं।ये सामंतवाद, पितृसत्ता और जातिवाद के विरुद्ध संदेश देती हैं।