विचार
गांधी और टॉल्स्टॉय : शुभनीत कौशिक

गांधी और टॉल्स्टॉय : शुभनीत कौशिक

    इतिहास के अध्येता। गांधी के जीवन और दर्शन में रुचि। ‘इतिहास, भाषा और राष्ट्र’ पुस्तक प्रकाशित। सतीश चंद्र कॉलेज (बलिया) में अध्यापन।महात्मा गांधी ने अपनी आत्मकथा ‘सत्य के प्रयोग’ में लिखा है कि जिन तीन महापुरुषों ने उन्हें वैचारिक रूप से सर्वाधिक...

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गांधी जी : हेतु भारद्वाज

गांधी जी : हेतु भारद्वाज

    वरिष्ठ लेखक, लघु पत्रिका आंदोलन के एक प्रमुख व्यक्तित्व और ‘अक्सर’ पत्रिका के संपादक।मैं जब सभागार में घुसा तो धाराप्रवाह भाषण जारी था। मैं पीछे एक कुर्सी पर जाकर चुपचाप बैठ गया। मैंने पास बैठे व्यक्ति से धीरे से पूछ लिया, ‘ये वक्ता कौन हैं?’ ‘आईएएस...

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जिस गांधी को आप नहीं जानते : राजमोहन गांधी

जिस गांधी को आप नहीं जानते : राजमोहन गांधी

    जन्म 7 अगस्त 1935। महात्मा गांधी के पोते और जाने-माने जीवनीकार, लेखक और इतिहासकार। 1990-92 तक राज्यसभा के सदस्य।गांधी के जीवन का अध्येता होने के नाते मैं आपको उनके जीवन के उन पहलुओं से अवगत कराना चाहता हूँ जिसे शायद आप नहीं जानते। हम गांधी को एक ऐसे...

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वक्तव्य और बांग्ला कविता : सुबोध सरकार

वक्तव्य और बांग्ला कविता : सुबोध सरकार

सुबोध सरकारबंगाली भाषा के विख्यात कवि, लेखक और संपादक। कविता-संग्रह द्वैपायन ह्रदेर धारे के लिये साहित्य अकादमी पुरस्कार से सम्मानित।वक्तव्य : 'कवियों से इतना डर क्यों?'     हिंदी अनुवाद: विजय कुमार यादव लेखक और अनुवादक। परमेश घोष के बांग्ला उपन्यास और रूमी लस्कर बोरा...

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कामायनी का प्रकाशन वर्ष और कामायनी परिचर्चा – टिप्पणी : विजय बहादुर सिंह

कामायनी का प्रकाशन वर्ष और कामायनी परिचर्चा – टिप्पणी : विजय बहादुर सिंह

वरिष्ठ आलोचक और कवि। प्रमुख कृतियाँ : ‘नागार्जुन का रचना संसार’, ‘महादेवी के काव्य का नेपथ्य’। भवानी प्रसाद मिश्र और नंददुलारे वाजपेयी ग्रंथावली का संपादन।हिंदी साहित्य में 1936 का वर्ष उच्चतम सर्जनात्मकता का माना जाता है। प्रेमचंद का ‘गोदान’ जिसे कई बड़े आलाचकों ने...

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इस सभ्यता में रचनात्मकता : सुशील कान्ति

इस सभ्यता में रचनात्मकता : सुशील कान्ति

    रंगकर्मी और अनुवादक।लंबे समय से कोलकाता के  रंगमंच ‘रंगशिल्पी’ से संबद्ध।अद्यतन कार्य बांग्ला से हिंदी में अनूदित उपन्यास ‘सीतायन’ (मल्लिका सेनगुप्त)। रचनात्मकता मनुष्य के सामाजिक अस्तित्व का एक अनिवार्य हिस्सा है। यह सभ्यतागत विकास का भी चिह्न है।...

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तुर्की-सीरिया भूकंप – कुछ कविताएं, अनुवाद -अवधेश प्रसाद सिंह

तुर्की-सीरिया भूकंप – कुछ कविताएं, अनुवाद -अवधेश प्रसाद सिंह

    वरिष्ठ लेखक, भाषाविद और अनुवादक। तुर्की और सीरिया में मरनेवालों की संख्या लगभग ४१ हजार से ऊपर पहुंच गई है।विश्व में ऐसा विनाशकारी भूकंप बहुत कम आया है।हजारों मकान ढेर हो गए।जिन सड़कों पर भारी ट्रैफिक रहती थी, वहां धूल-धूसरित शवों के स्तूप बन गए।बर्फीली...

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गांधी जी : हेतु भारद्वाज

गांधी की मृत्यु देखना चाहते थे औपनिवेशिक सत्ताधीश : हेरम्ब चतुर्वेदी

    इतिहासकार।भूतपूर्व विभागाध्यक्ष, इतिहास विभाग एवं पूर्व डीन, कला संकाय, इलाहाबाद विश्वविद्यालय।जिस व्यक्ति को चर्चिल ‘अर्धनग्न फकीर’ कहता था, आंग्ल औपनिवेशिक सत्ता कभी उसी व्यक्ति से इतना त्रस्त हुई थी कि दक्षिण अफ्रीका में भी वह उसका सामना नहीं कर पाई...

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नज़ीर अकबराबादी की हिंदी परंपरा : एस के साबिरा

नज़ीर अकबराबादी की हिंदी परंपरा : एस के साबिरा

    पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च स्कालर। ‘चौथा आदमी’ और ‘रोल नंबर’ उर्दू से हिंदी में अनूदित कहानी संग्रह। ‘हम भी दीया जलाएंगे’ सद्यः प्रकाशित पुस्तक। नज़ीर अकबराबादीका जन्म १७३५ में दिल्ली में हुआ।सैयद वली मुहम्मद इनका नाम रखा गया था।मां दिल्ली से आगरा चली गई, साथ...

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आम आदमी की खासियत और बुद्धिजीवी : सतीश देशपांडे

आम आदमी की खासियत और बुद्धिजीवी : सतीश देशपांडे

    दिल्ली विश्वविद्यालय के समाजविज्ञान विभाग के वरिष्ठ प्रोफेसर।हाल की पुस्तक  ‘कंटेम्पररी इंडिया : ए सोशियोलॉजिकल व्यू’। हमारा समाज दिन-ब-दिन अंधकारमय होता चला जा रहा है, वह इंसानियत के सनातन उसूलों से मुंह फेर रहा है।देश नफरत, हिंसा, विचारहीनता और...

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आधुनिक जीवन-मूल्य और कहानीकार मन्नू भंडारी : शशिकला त्रिपाठी

आधुनिक जीवन-मूल्य और कहानीकार मन्नू भंडारी : शशिकला त्रिपाठी

    आचार्य एवं अध्यक्ष, हिंदी विभाग, वसंत महिला महाविद्यालय, राजघाट फोर्ट, वाराणसी। ‘राजेंद्र जी गोष्ठियों में खूब जाते हैं, आप क्यों नहीं?’ हौजख़ास के राजेंद्र दंपती-आवास पर हुई एक भेंट में मैंने मन्नू जी से पूछा था।उनका उत्तर था- ‘राजेंद्र जी का अपना एक...

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लोक का सामर्थ्य : सेवा राम त्रिपाठी

लोक का सामर्थ्य : सेवा राम त्रिपाठी

वरिष्ठ आलोचक। ‘वसुधा’ पत्रिका से जुड़े हुए थे लोक के विश्वास और जातीय स्मृतियां आश्चर्यजनक तरीके से हमें अपनी ओर आकर्षित करती हैं।लोक आख्यान है, जीवन भी है और जीवन का सच भी है।इससे आंखें फेर कर कोई आगे की यात्रा नहीं कर पाएगा।इस दौर में लोक को याद करते हुए मुझे बहुत...

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प्रकृति वैभव उर्फ श्रीपर्णा : शेखर जोशी

प्रकृति वैभव उर्फ श्रीपर्णा : शेखर जोशी

    प्रसिद्ध कथाकार और कवि।प्रमुख रचनाएँ : ‘कोशी का घटवार’, ‘मेरा पहाड़’, ‘एक पेड़ की याद’। प्रकृति का सौंदर्य देखने के लिए ट्यूलिप गार्डन, कश्मीर जाने की आवश्यकता नहीं।न ही, उत्तराखंड में फूलों की घाटी जाने की।बस, देखने वाली आंख चाहिए।सौंदर्य हर कहीं बिखरा...

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रामविलास शर्मा मूलतः कवि थे -भाग 2 : विजय मोहन शर्मा

रामविलास शर्मा मूलतः कवि थे -भाग 2 : विजय मोहन शर्मा

    लेखक की पहली पुण्यतिथि पर (10 अक्टूबर 1938 - 6 जुलाई 2021) केंद्रीय जल आयोग में सहायक निदेशक तथा सलाहकार के रूप में देश-विदेश में कई उच्च पदों पर कार्य।रामविलास शर्मा के पत्रों तथा कई बिखरे कार्यों को संपादित करके पुस्तकाकार प्रकाशन।कृष्णदत्त शर्मा के...

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1857- घुड़सवार सैनिक, मातादीन और उसके साथियों की बगावत : सुभाष चंद्र कुशवाहा

1857- घुड़सवार सैनिक, मातादीन और उसके साथियों की बगावत : सुभाष चंद्र कुशवाहा

    सुपरिचित कथाकार, संपादक औरलोक-इतिहास के गंभीर अध्येता और लेखक। ‘लोकरंग’ से जुड़े।अद्यतन पुस्तक ‘भील विद्रोह’। अठारह सौ सत्तावन का विद्रोह, कई गुमनाम नायकों को छिपाए अभी भी किंवदंती बना हुआ है।अभी भी बहुत से गुमनाम नायकों के त्याग और बलिदान से हम अनभिज्ञ...

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सरहदों की नई व्याख्या ‘रेत समाधि’ : सुमा एस.

सरहदों की नई व्याख्या ‘रेत समाधि’ : सुमा एस.

    प्रमुख हिंदी लेखिका।तिरुअनंतपुरम के गवर्न्मेंट वीमेन्स कॉलेज में प्रोफेसर। ‘सरहद क्षितिज।जहां दो लोक मिलते हैं, गलबहियां करते हैं।बॉर्डर इश्क है।इश्क जेल नहीं बनाता, हर रोक लांघने के लिए सितारे बिछाता हैं।बॉर्डर मिलान की रेखा है।इधर और उधर के जोड़ को...

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यूक्रेन-रूस युद्ध पर बुद्धिजीवी : अवधेश प्रसाद सिंह

यूक्रेन-रूस युद्ध पर बुद्धिजीवी : अवधेश प्रसाद सिंह

    वरिष्ठ लेखक, भाषाविद और अनुवादक। रूस ने 24 फरवरी 2022 को यूक्रेन से युद्ध शुरू किया था।अब तक काफी लोग हताहत हो चुके हैं।रूस अपने आक्रमण को विशेष सैनिक अभियान कह रहा है।उसका मानना है कि यूक्रेन में नव-नाजियों की सरकार है।दूसरा तर्क है कि यूक्रेन में...

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रामविलास शर्मा मूलतः कवि थे -भाग 2 : विजय मोहन शर्मा

रामविलास शर्मा – वे मूलतः कवि थे : विजय मोहन शर्मा

    लेखक की पहली पुण्यतिथि पर (10 अक्टूबर 1938 - 6 जुलाई 2021) केंद्रीय जल आयोग में सहायक निदेशक तथा सलाहकार के रूप में देश-विदेश में कई उच्च पदों पर कार्य।रामविलास शर्मा के पत्रों तथा कई बिखरे कार्यों को संपादित करके पुस्तकाकार प्रकाशन।कृष्णदत्त शर्मा के...

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रामविलास शर्मा की आलोचना-दृष्टि : गोपेश्वर सिंह

रामविलास शर्मा की आलोचना-दृष्टि : गोपेश्वर सिंह

    चर्चित आलोचक और शिक्षाविद।अद्यतन आलोचना पुस्तक - ‘आलोचना के परिसर’।दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग के पूर्व प्रोफेसर और अध्यक्ष। सुनते हैं कि रूसी भाषा के महान लेखक लेव तोलस्तोय का संपूर्ण साहित्य 90 खंडों में प्रकाशित है।इधर चर्चा है कि रामविलास...

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रेत समाधि उपन्यास पर कुछ बातें : शंभुनाथ

रेत समाधि उपन्यास पर कुछ बातें : शंभुनाथ

        ‘रेत समाधि’ को अंतरराष्ट्रीय बुकर पुरस्कार मिलने के बाद उसे पढ़ने की उत्सुकता स्वाभाविक है।खुशी-खुशी पढ़ा।ग्लोबल मिजाज के उपन्यास में जो खिलंदड़ापन होता है, करुणा को भी विनोद में बदलते हुए, वह इस उपन्यास में है।इसमें बिंबों की एक माला है।तालाब...

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