युवा आलोचक। और साहित्यिक-सांस्कृतिक रूप से निरंतर सक्रिय। क्या हो यदि किसी दिन कोई आपसे कहे कि अबतक का समग्र ज्ञान पुरुषों द्वारा अपनी कामनाओं के औचित्य-स्थापन की प्रक्रिया भर है? शायद एक बारगी आप इसे स्वीकार नहीं कर पाएंगे कि ज्ञान भी स्त्री-पुरुष का भेद कर सकता...

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