संस्मरण
धुंधले कैनवास पर एक स्त्री-कथा : सुधीर विद्यार्थी

धुंधले कैनवास पर एक स्त्री-कथा : सुधीर विद्यार्थी

प्रसिद्ध लेखक और यायावर। क्रांतिकारी आंदोलन पर अब तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। जनपदीय इतिहास और संस्कृति पर भी कई किताबें।क्रांतिकारियों का एक मूक अध्याय : शचींद्रनाथ सान्याल की मां क्रांतिकारी शचींद्र नाथ सान्याल की मां थीं-क्षीरोदवासिनी देवी। वे स्वयं...

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जोस मुजिका से जैक निकास का साक्षात्कार

जोस मुजिका से जैक निकास का साक्षात्कार

‘एक दशक पहले, दुनिया में जोस मुजिका को लेकर आकर्षण बढ़ गया था। जब वह उरुग्वे के राष्ट्रपति थे, वे राष्ट्रपति भवन को छोड़कर अपनी पत्नी और तीन पैरों वाले कुत्ते के साथ एक छोटे से टिन की छत वाले घर में रहते थे। वे अब एक असाध्य बीमारी से गुजर रहे हैं। उनसे जैक निकास द्वारा...

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मालती जोशी से निर्मला डोसी की बातचीत

मालती जोशी से निर्मला डोसी की बातचीत

मालती जोशी4 जून 1934 - 15 मई 2024 सुपरिचित कहानीकार। हिंदी के अलावा मराठी में लेखन। ‘मध्यांतर’, ‘एक घर सपनों का’, ‘ऑनर कीलिंग और अन्य कहानियां’ प्रमुख कहानी संग्रह। कुछ कहानियों पर फिल्म निर्माण। निर्मला डोसीवरिष्ठ लेखिका। लोक साहित्य पर तीन पुस्तकें, एक काव्य संग्रह,...

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पंजाबी कविताएं : सुरजीत पातर

पंजाबी कविताएं : सुरजीत पातर

    अनुवाद :तरसेमकथाकार और अनुवादक। हिंदी और पंजाबी में लेखन। अद्यतन कविता संग्रह ‘हाशिए पर एक कोना’। पंछी तो उड़ गए हैं पंछी तो उड़ गए हैंअब के पेड़ कर रहे हैं मशवरे :चलो चलें यहां से घर घर में पुत्र कहते हैं :छोड़ो बापू अब क्या रखा हैइस जमीन मेंबेच डालो चार पाड़कर के...

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शायरी के एक दौर का खात्मा : इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी

शायरी के एक दौर का खात्मा : इम्तियाज़ अहमद ग़ाज़ी

हिंदी और उर्दू दोनों भाषाओं में लेखन। अद्यतन पुस्तक ‘21वीं सदी के इलाहाबाद’ (भाग-2)। ‘गुफ्तगू’ पत्रिका के संस्थापक। संप्रति पत्रकारिता। 14 जनवरी 2024 को मुनव्वर राना के निधन के साथ एक दौर का खात्मा हो गया। अब हमें ऐसा कोई शायर नहीं मिलने वाला। वे अकेले ऐसे शायर थे,...

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दो किशोर छात्राओं का अग्निपथ :  सुधीर विद्यार्थी

दो किशोर छात्राओं का अग्निपथ : सुधीर विद्यार्थी

प्रसिद्ध लेखक और यायावर। क्रांतिकारी आंदोलन पर अब तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। जनपदीय इतिहास और संस्कृति पर भी कई किताबें। शांति घोष और सुनीति चौधुरी   एक समय कलकत्ता के ‘महाजाति सदन’ का गाइड हमें दो छात्राओं- शांति घोष और सुनीति चौधुरी के क्रांतिकारी...

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प्रातः स्मरणीय सीताराम सेकसरिया – एकला चलो रे! :  कुसुम खेमानी

प्रातः स्मरणीय सीताराम सेकसरिया – एकला चलो रे! : कुसुम खेमानी

वरिष्ठ लेखिका ‘सच कहती कहानियाँ’, ‘एक अचम्भा प्रेम’ (कहानी संग्रह)। ‘एक शख्स कहानी-सा’ (जीवनी) ‘लावण्यदेवी’, ‘जड़ियाबाई’, ‘लालबत्ती की अमृतकन्या’ (उपन्यास) आदि चर्चित रचनाएँ।एक दस-बारह वर्ष का छोटा-सा लड़का अपने पितामह की धू-धू जलती चिता को देख रहा है, लेकिन उसकी आँखों...

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जैनेंद्र कुमार समंदर की तरह गहरे थे : मोहनदास नैमिशराय

जैनेंद्र कुमार समंदर की तरह गहरे थे : मोहनदास नैमिशराय

सुपरिचित दलित लेखक।पहली दलित आत्मकथा ‘अपने-अपने पिंजरे’ से चर्चित। हाल में ‘एक सौ दलित आत्मकथाएं’ पुस्तक प्रकाशित।कंकरीट की आलीशान इमारतों से घिरे आज जिस दरियागंज को हम देखते हैं, कौन सोचेगा कि तब के जंगल जैसे परिवेश में चर्चित तथा प्रतिष्ठित कथाकार और चिंतक जैनेंद्र...

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याद करोगे तो हर बात याद आएगी : निशांत

याद करोगे तो हर बात याद आएगी : निशांत

युवा कवि।काजी नजरुल यूनिवर्सिटी, आसनसोल में सहायक प्रोफेसर ज्ञानपीठ से पुरस्कृत हिंदी कवि केदारनाथ सिंह, जो मेरे गुरु रहे हैं, कुछ साल और जीते।उनके शरीर के सारे अंग सुचारु रूप से कार्य कर रहे थे।अपना काम अपने से कर लेते थे, चाहे नहाना हो या दाढ़ी बनाना।वे ट्रेन में या...

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प्रबोध कुमार – जो दूसरों की कथा सुनाते रहे : शर्मिला जालान

प्रबोध कुमार – जो दूसरों की कथा सुनाते रहे : शर्मिला जालान

शर्मिला जालान*ओगो आमार एइ जीवनेर शेष परिपूर्णता,मरण, आमार मरण, तुमि कउ आमारे कथा | अजी, मेरे इस जीवन की शेष परिपूर्णता, मृत्यु, मेरी मृत्यु, तुम कहो मेरी कहानी।प्रकाशित कृतियाँ : शादी से पेशतर( उपन्यास),बूढ़ा चांद (कहानी संग्रह)। स्कूल में अध्यापन। प्रबोध कुमार (8...

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श्री नरेश मेहता, गीतकार नईम और निन्यानवे का फेर : शेखर जोशी

श्री नरेश मेहता, गीतकार नईम और निन्यानवे का फेर : शेखर जोशी

  शेखर जोशी, छायाकार : अमिताभ पंत प्रसिद्ध कथाकार और कवि। प्रमुख रचनाएँ :‘कोशी का घटवार’, ‘मेरा पहाड़’, ‘एक पेड़ की याद’।पिछली सदी के आठवें दशक के उत्तरार्ध में जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन के सिलसिले में भोपाल जाना हुआ तो वहां अपने दो प्रिय साहित्यकारों से पहली...

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बेतवा और केन किनारे : सुधीर विद्यार्थी

बेतवा और केन किनारे : सुधीर विद्यार्थी

सुधीर विद्यार्थी क्रांतिकारी आंदोलन पर अब तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। जनपदीय इतिहास और संस्कृति पर भी कई किताबें।दोपहर ढले बुंदेलखंड के इलाके में हमने बेतवा का पुल पार कर लिया। शीतल हवा में इस नदी की मंद धार को देखना सुखद है। बीस वर्ष पहले इधर आया तब के...

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श्री नरेश मेहता, गीतकार नईम और निन्यानवे का फेर : शेखर जोशी

श्री नरेश मेहता, गीतकार नईम और निन्यानवे का फेर : शेखर जोशी

  शेखर जोशी, छायाकार : अमिताभ पंत प्रसिद्ध कथाकार और कवि। प्रमुख रचनाएँ :‘कोशी का घटवार’, ‘मेरा पहाड़’, ‘एक पेड़ की याद’। पिछली सदी के आठवें दशक के उत्तरार्ध में जनवादी लेखक संघ के राष्ट्रीय अधिवेशन के सिलसिले में भोपाल जाना हुआ तो वहां अपने दो प्रिय साहित्यकारों से...

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प्रबोध कुमार – जो दूसरों की कथा सुनाते रहे : शर्मिला जालान

प्रबोध कुमार – जो दूसरों की कथा सुनाते रहे : शर्मिला जालान

शर्मिला जालान*ओगो आमार एइ जीवनेर शेष परिपूर्णता,मरण, आमार मरण, तुमि कउ आमारे कथा | अजी, मेरे इस जीवन की शेष परिपूर्णता, मृत्यु, मेरी मृत्यु, तुम कहो मेरी कहानी।प्रकाशित कृतियाँ : शादी से पेशतर( उपन्यास),बूढ़ा चांद (कहानी संग्रह)। स्कूल में अध्यापन। प्रबोध कुमार (8...

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बेतवा और केन किनारे : सुधीर विद्यार्थी

बेतवा और केन किनारे : सुधीर विद्यार्थी

सुधीर विद्यार्थी क्रांतिकारी आंदोलन पर अब तक दो दर्जन से अधिक पुस्तकें प्रकाशित। जनपदीय इतिहास और संस्कृति पर भी कई किताबें।दोपहर ढले बुंदेलखंड के इलाके में हमने बेतवा का पुल पार कर लिया। शीतल हवा में इस नदी की मंद धार को देखना सुखद है। बीस वर्ष पहले इधर आया तब के...

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राहुल सांकृत्यायन को जैसा पाया : संजीव देव

राहुल सांकृत्यायन को जैसा पाया : संजीव देव

संजीव देव (1914- 1999)  तेलुगु और अंग्रेजी के लेखक के अलावा कलाकार, चित्रकार, फोटोग्राफर, दार्शनिक और कुशल वक्ता। आंध्र विश्वविद्यालय से डी.लिट. की मानद उपाधि से सम्मानित। बीस वर्ष की आयु में उत्तर भारत के अनेक प्रांतों में घूमकर प्रेमचंद जैसे प्रतिष्ठित साहित्यकारों...

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कालू कलबंसिया : पानू खोलिया

कालू कलबंसिया : पानू खोलिया

(1939-2020) साठोत्तरी दौर के एक चर्चित कथाकार।  तीन कहानी-संग्रह और चार उपन्यास प्रकाशित। कुमाऊँ अंचल से संबद्ध होने के कारण पहाड़ी जीवन की संस्कृति और भाषा की समृद्ध झलक उनकी कहानियों में है। ‘पनचक्की’, ‘तुन महाराज’, ‘सीसकटी’, ‘गुनो लौट गई’ जैसी कहानियों के लिए विशेष...

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शैलेंद्र के गीत और ‘तीसरी कसम’ : प्रयाग शुक्ल

शैलेंद्र के गीत और ‘तीसरी कसम’ : प्रयाग शुक्ल

प्रमुख कवि तथा कला समीक्षक शैलेंद्र से मेरी भेंट कभी नहीं हुई। पर उनके गीत, वह तो उनके सच्चे प्रतिनिधि हैं। शैलेंद्र का कवि-मन, उनका इंसानी रूप, उनकी ऊर्जा, उनका सोचना, सब तो हैं वहाँ। उनके इस सोचने में, मानो उनका बिंबों में, दृश्यों में, बिंबों में सोचना शामिल है। और...

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