किसी गांव के घर का टूटता दरवाजा और गोबर लिपे घर की धीरे-धीरे दरकती दीवार और उसपर बैठे इक्का-दुक्का कबूतर, छत पर टूटी हुई खपड़ैलें, गांव की सुनसान लंबी गलियां, जो चुपचाप चौराहों में जाकर विलीन हो जाती हैं, एक लंबा जीवन जी चुकने के बाद धीमे-धीमे खंडहर में बदलता हुआ घर,...

Recent Comments