जीवन प्रसंग
सूत्र

सूत्र

अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं है जितना कि सीखने की इच्छा न रखना।....हर चीज का सृजन दो बार होता है, पहले दिमाग में और दूसरी बार वास्तविकता में।...व्यापारिक संबंधों में, लंबे समय की प्रतिबद्धता, एक समान उद्देश्य, एक दूसरे के प्रति सम्मान, एक दूसरे पर अत्याधिक...

read more
दो तरह के लोग

दो तरह के लोग

संसार में दो तरह के पेड़- पौधे होते हैं। प्रथम, जो अपना फल खुले तौर पर देते हैं, जैसे - आम, अमरूद, केला आदि। दूसरे, जो अपना फल छिपाकर रखते हैं, जैसे- आलू, अदरक, प्याज आदि। जो फल अपने आप दे देते हैं, उन वृक्षों को सभी खाद-पानी देकर सुरक्षित रखते हैं। ऐसे वृक्ष फिर से फल...

read more
सुख बांटो!

सुख बांटो!

एक सूफी फकीर की ख्याति सुनकर एक व्यक्ति ज्ञान प्राप्ति के लिए उसके पास पहुंचा। वहां उसने देखा कि संत एक हाथ में टोकरी उठाए दूसरे हाथ से पक्षियों को दाना चुगाने में व्यस्त हैं। व्यक्ति ने देखा, दाना चुगाते हुए संत बच्चों की तरह खुश थे। बहुत देर तक संत उस व्यक्ति की तरफ...

read more
दो परिवार

दो परिवार

दो परिवार एक दूसरे के पड़ोस में रहते थे। एक परिवार हर वक्त लड़ता था, जबकि दूसरा परिवार शांति से रहता था। एक दिन, झगड़ालू परिवार की पत्नी ने शांत पड़ोसी परिवार से ईर्ष्या महसूस करते हुए अपने पति से कहा, ‘अपने पड़ोसी के वहाँ जाओ और देखो कि इतने अच्छे तरीके से रहने के लिए वे...

read more
पड़ोस की विरासत : निसर्गकन्या बहिनाबाई चौधरी/ आशीष मिश्र

पड़ोस की विरासत : निसर्गकन्या बहिनाबाई चौधरी/ आशीष मिश्र

युवा आलोचक एवं प्रबुद्ध टिप्पणीकार महाराष्ट्र में दो बहिनाबाई हुईं। एक बहिनाबाई को आप उत्तर-मध्यकाल के महान संत-भक्त की तरह जानते हैं। दूसरी बहिनाबाई खानदेश में आधुनिक काल(1880 ई.) में पैदा हुईं, जिनका नाम है- बहिनाबाई चौधरी। बहिनाबाई चौधरी एक सामान्य परिवार में पैदा...

read more
गा.. नी.. धा.. तीन स्वर और क़िस्सा राग मोहन कौस का/ उपमा ऋचा

गा.. नी.. धा.. तीन स्वर और क़िस्सा राग मोहन कौस का/ उपमा ऋचा

लेखन एवं अनुवाद कार्य लोक, शास्त्रीय, पॉप, जेज़, रॉक…… परिभाषाएं बेशक अलग अलग शब्दों, सीमाओं में बांध दें, लेकिन अंततः यह सभी एक ही कला के भिन्न-भिन्न रूप हैं। जिसे हम संगीत के नाम से जानते हैं। ये एक आवाज है, जो एक आत्मा से निकलती है और सारी सरहदें तोड़कर दूसरी आत्मा...

read more