कहानी
पानी : परदेशीराम वर्मा

पानी : परदेशीराम वर्मा

    वरिष्ठ लेखक। आठ कथा संग्रह, तीन उपन्यास सहित संस्मरण, नाटक, जीवनी एवं बाल कथा संग्रह प्रकाशित।   अजीब गांव की कहानी है यह। नाम है इसका खरखरा तो उसी के अनुरूप यहां के ग्रामीण भी खरखारते रहते हैं। आसपास के गांवों में खरखरा एक झगड़े वाला गांव है, जहां...

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शर्लक (मलयालम) : एम.टी. वासुदेवन नायर, अनुवाद : सुमित पी.वी.

शर्लक (मलयालम) : एम.टी. वासुदेवन नायर, अनुवाद : सुमित पी.वी.

एम.टी. वासुदेवन नायर(9 अगस्त 1932-25 दिसंबर 2024) मलयालम भाषा के प्रसिद्ध कथाकार, पत्रकार, पटकथाकार, फिल्म निर्देशक और अध्यापक के रूप में मशहूर। एम.टी. बहुमुखी प्रतिभा के धनी थे। साहित्य अकादमी पुरस्कार, केरल साहित्य अकादमी पुरस्कार, बेहतरीन फिल्म के लिए राष्ट्रीय...

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लछमा : क्रांति नौटियाल

लछमा : क्रांति नौटियाल

    युवा लेखक। प्रकाशित पुस्तक : ‘शेर-ए-गढ़वाल’ (आत्मकथात्मक जीवन वृत्त)। कुछ पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। हे लछमा! उठ भुली (बहन)! उठ! ‘भारे सुंगर (सूअर)!’ लछमा नीचे खेत में निढाल पड़ी थी और उसे ऐसी अवस्था में देख रुक्मणी ऊपर खेत में खड़ी विक्षिप्त-सी...

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झूठ की चादर : उर्मिला शिरीष

झूठ की चादर : उर्मिला शिरीष

    वरिष्ठ लेखिका। अद्यतन कहानी संग्रह ‘ऐ देश बता तुझे हुआ क्या है’ और अद्यतन उपन्यास ‘खैरियत है हुजूर’। शनिवार का दिन था। दोपहर के दो बजे होंगे। मई की तपती हुई दोपहर। बाजार सूने पड़े थे और लोग लू से बचने के लिए दुकानों में या घरों में बैठे थे। एक वही थी जो...

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स्पेनी कहानी ‘एक विशाल कछुआ’ : होरासियो क्विरोगा, अनुवाद :शाईसता प्रवीण

स्पेनी कहानी ‘एक विशाल कछुआ’ : होरासियो क्विरोगा, अनुवाद :शाईसता प्रवीण

(1878-1937) कथाकार, नाटककार और कवि। अपने ज्वलंत, प्रकृतिपरक और आधुनिकतावादी गद्य के लिए प्रसिद्ध। उन्होंने ‘प्रेम पागलपन और मौत की कहानियाँ’, ‘जंगली’, ‘जंगल की कहानियां’ लिखीं।एक बार की बात है बुएनोस आयरेस1  में एक आदमी रहता था, वह बहुत खुश था क्योंकि वह एक स्वस्थ और...

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चोलाधारी : जयनंदन

चोलाधारी : जयनंदन

सात उपन्यास, बाईस कहानी संग्रह, तीन नाट्य संग्रह तथा तीन वैचारिक लेखों के संकलन। फिलहाल टाटा स्टील से अवकाश प्राप्ति के बाद पूर्णकालिक लेखन। प्रायः धार्मिक प्रवचनों की यह एक अनिवार्य पंक्ति है-‘संसार मिथ्या है... ईश्वर ही परम सत्य है’। सोहाने गड़ेरी को बहुत गुस्सा आता...

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कन्नड़ कहानी ‘लालटेन वाली स्त्री’ : के. वी. तिरुमलेश, अनुवाद :डी.एन.श्रीनाथ

कन्नड़ कहानी ‘लालटेन वाली स्त्री’ : के. वी. तिरुमलेश, अनुवाद :डी.एन.श्रीनाथ

के. वी. तिरुमलेश(जन्म :1940) आधुनिक कन्नड़ कवि, कहानीकार और समीक्षक। प्राध्यापन से सेवा निवृत्ति के बाद स्वतंत्र लेखन। डी. एन. श्रीनाथकन्नड़-हिंदी में परस्पर अनुवाद।  105 अनूदित पुस्तकें प्रकाशित।साहित्य अकादेमी का अनुवाद पुरस्कार, उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान का सौहार्द...

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मोहन बाबू का स्कूटर : परिधि शर्मा

मोहन बाबू का स्कूटर : परिधि शर्मा

    युवा लेखिका।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। दंत चिकित्सक   मोहन बाबू के लिए उनकी विश लिस्ट में पड़ी इच्छाओं का आउट ऑफ स्टॉक होना एक धीमी चलने वाली पीड़ादायक और अप्रिय प्रक्रिया रही। वे जिंदगी से चाहते बहुत कुछ थे, पर अब मौन में सब खत्म हो...

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कब्रिस्तान की रखवाली : नीरज नीर

कब्रिस्तान की रखवाली : नीरज नीर

    प्रकाशित पुस्तकें : ‘जंगल में पागल हाथी और ढोल’, ‘पीठ पर रोशनी’ (काव्य संकलन), ‘ढुकनी एवं अन्य कहानियां’ (कहानी संग्रह)। कई बार ऐसा होता है कि जो कुछ हो रहा है वह क्यों हो रहा है, कैसे हो रहा है, इसका पता नहीं चलता। बाज दफा कई चीजों के अर्थ, उनकी...

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आसमान में सुराख : धनेश दत्त पांडेय

आसमान में सुराख : धनेश दत्त पांडेय

    वरिष्ठ कथाकार। दो खंड-काव्य। ‘नचिकेता’ तथा ‘तनवीशयामा’ और दो कहानी संग्रह ‘करमजरुआ’ तथा ‘नैनाजोगिन’ प्रकाशित। सावन का अंजोरिया उस सावन आकाश से टपका तो सीधा लौंगी भूइयां के घर आ समाया! बंगेठा पहाड़ी के मस्तूल पर ‘झाड़-बिरीछ’ के भीतर से लुक-छिप चमकते...

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जल्लाद : सिद्धार्थ बाजपेयी

जल्लाद : सिद्धार्थ बाजपेयी

  वरिष्ठ कवि।  कविता संग्रह ‘आसान सी बातें’ प्रकाशित। सारंगढ़ का वन परिक्षेत्र कार्यालय दो विशाल बंगलों में बसा हुआ था। दोनों इमारतें ब्रिटिश राज के जमाने की थीं और बेहतरीन इमारती लकड़ियों में बनी थीं। उनके चारों ओर पीपल और साल के घने पेड़ों की छाया थी। पूरा शहर...

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गाब्रिएल गार्सिया मार्केस की पांच लघुकथाएं : स्पेनी से अनुवाद : अश्वनी कुमार

गाब्रिएल गार्सिया मार्केस की पांच लघुकथाएं : स्पेनी से अनुवाद : अश्वनी कुमार

गाब्रिएल गार्सिया मार्केस(1927-2014) स्पेनिश भाषा के ऐसे रचनाकार थे जिनके जादुई यथार्थवाद ने समूची दुनिया के साहित्य को प्रभावित किया। उनके उपन्यास ‘एकाकीपन के सौ वर्ष’ को बीसवीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में शुमार किया जाता है।एकलगभग पांच साल का एक बच्चा, जिसने...

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एक टूटा निवाला : परगट सिंह जठोल

एक टूटा निवाला : परगट सिंह जठोल

    पंजाबी भाषा में ‘मैं आदम नहीं’  काव्य-संग्रह प्रकाशित।संप्रति झज्जर में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (शिक्षा) के पद पर कार्यरत। ‘ताया, गांव में सब तुम्हें चोर क्यों कहते हैं?’ बिलकुल सीधे सवाल से बख्तावर थोड़ा सकपकाया, उसे भी पता था कि गांव के लोग उसे बख्तावर...

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पौधे पेड़ बन गए हैं बड़े बाबू : जनार्दन

पौधे पेड़ बन गए हैं बड़े बाबू : जनार्दन

    कथाकार और लेखक। एक उपन्यास ‘पहाड़ गाथा’। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक। जोभियापाट हाट जगमग था। बलनापानी, लटेहर, सोहनकुंडा, बेहलकांटा और दसगाटोली जैसे गांव-खेड़े की दुकानें सजी थीं। कोई मुर्गी तो कोई बकरे के बदले चावल, दाल, नमक, प्याज और हल्दी...

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विषधर : पूनम सिंह

विषधर : पूनम सिंह

    वरिष्ठ लेखिका और आलोचक। चार कविता संग्रह, पांच आलोचना पुस्तकें और कहानी संग्रह ‘कोई तीसरा’,  ‘कस्तूरीगंध तथा अन्य कहानियां’, ‘सुलगती ईंटों का धुआं’ और ‘खरपतवार’ प्रकाशित। दिसंबर की गहराती शाम का अंधकार कमरे के भीतर रात की शक्ल में फैल चुका था। नीलिमा...

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लघुकथाएं :अमृतलाल वेगड़, गुजराती से अनुवाद :बिनय कुमार पटेल

लघुकथाएं :अमृतलाल वेगड़, गुजराती से अनुवाद :बिनय कुमार पटेल

    (1928-2018) गुजराती के साथ हिंदी में भी लेखन। अपने यात्रा वृत्तांत ‘सौंदर्यायानी नदी नर्मदा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार। चर्चित पुस्तक ‘नर्मदा की परिक्रमा’। श्रेष्ठ शासन एक बार एक राजा ने अपने दरबारियों से पूछा, ‘मेरा शासन श्रेष्ठ है या मेरे पिता का...

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कान चाहिए : विनीता बाडमेरा

कान चाहिए : विनीता बाडमेरा

    कहानी संग्रह ‘एक बार आखिरी बार’ प्रकाशित। 17 वर्षों तक अध्यापन के बाद संप्रति व्यवसाय में संलग्न। और बहुत शीघ्र मैं यहां से भी भागना चाहता था। क्यों? अपनी यह जिज्ञासा भी मैंने खत्म कर दी। कोई जगह, कोई व्यक्ति, खुद की कोई मनोदशा भी मुझे बहुत दिनों तक किसी...

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मॉर्निंग वाक : मुहम्मद नसीरुद्दीन

मॉर्निंग वाक : मुहम्मद नसीरुद्दीन

    वरिष्ठ लेखक। ‘मुझे एकांत में जीने दो’, ‘झील के उस पार’, ‘खामोशी की आंच’ (कविता संग्रह)। मैं सवेरे उठते ही हर दिन पार्क की ओर चला जाता हूँ, ‘मॉर्निंग वाक’ के लिए। और लोग भी आते हैं। पेड़-पौधों से, फूलों से भरा हुआ पार्क और चहचहाती चिड़ियों की सुंदर आवाजें,...

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गुजराती कहानी ‘वैसा ही घर’ : वीनेश अंताणी, अनुवाद : कुशल खंधार

गुजराती कहानी ‘वैसा ही घर’ : वीनेश अंताणी, अनुवाद : कुशल खंधार

  वीनेश अंताणी1946 में गुजरात के कच्छ ज़िले में जन्म। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित गुजराती के प्रमुख साहित्यकार। 60 से अधिक उपन्यास, कहानी-संग्रह, निबंध-संग्रह इत्यादि प्रकाशित। चर्चित उपन्यास ‘प्रियजन’ और ‘धूंधभरी खीण’। कुशल खंधारलंदन-स्थित लेखक और...

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राजा बनोगे तो क्या खाओगे : कमलेश

राजा बनोगे तो क्या खाओगे : कमलेश

    लंबे समय तक अखबार में समाचार संपादक के पद पर कार्य। कई नुक्कड़ नाटकों का लेखन, निर्देशन और अभिनय। दो कहानी संग्रह ‘दक्खिन टोला’ और ‘पत्थलगड़ी और अन्य कहानियां’ प्रकाशित। राजा बनोगे तो क्या खाओगे...? सोनाचूर का भात, रहर की मसालेदार दाल और आलू-कटहल की...

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