कहानी
गाब्रिएल गार्सिया मार्केस की पांच लघुकथाएं : स्पेनी से अनुवाद : अश्वनी कुमार

गाब्रिएल गार्सिया मार्केस की पांच लघुकथाएं : स्पेनी से अनुवाद : अश्वनी कुमार

गाब्रिएल गार्सिया मार्केस(1927-2014) स्पेनिश भाषा के ऐसे रचनाकार थे जिनके जादुई यथार्थवाद ने समूची दुनिया के साहित्य को प्रभावित किया। उनके उपन्यास ‘एकाकीपन के सौ वर्ष’ को बीसवीं सदी की सबसे महत्वपूर्ण कृतियों में शुमार किया जाता है।एकलगभग पांच साल का एक बच्चा, जिसने...

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एक टूटा निवाला : परगट सिंह जठोल

एक टूटा निवाला : परगट सिंह जठोल

    पंजाबी भाषा में ‘मैं आदम नहीं’  काव्य-संग्रह प्रकाशित।संप्रति झज्जर में बतौर असिस्टेंट प्रोफेसर (शिक्षा) के पद पर कार्यरत। ‘ताया, गांव में सब तुम्हें चोर क्यों कहते हैं?’ बिलकुल सीधे सवाल से बख्तावर थोड़ा सकपकाया, उसे भी पता था कि गांव के लोग उसे बख्तावर...

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पौधे पेड़ बन गए हैं बड़े बाबू : जनार्दन

पौधे पेड़ बन गए हैं बड़े बाबू : जनार्दन

    कथाकार और लेखक। एक उपन्यास ‘पहाड़ गाथा’। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक। जोभियापाट हाट जगमग था। बलनापानी, लटेहर, सोहनकुंडा, बेहलकांटा और दसगाटोली जैसे गांव-खेड़े की दुकानें सजी थीं। कोई मुर्गी तो कोई बकरे के बदले चावल, दाल, नमक, प्याज और हल्दी...

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विषधर : पूनम सिंह

विषधर : पूनम सिंह

    वरिष्ठ लेखिका और आलोचक। चार कविता संग्रह, पांच आलोचना पुस्तकें और कहानी संग्रह ‘कोई तीसरा’,  ‘कस्तूरीगंध तथा अन्य कहानियां’, ‘सुलगती ईंटों का धुआं’ और ‘खरपतवार’ प्रकाशित। दिसंबर की गहराती शाम का अंधकार कमरे के भीतर रात की शक्ल में फैल चुका था। नीलिमा...

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लघुकथाएं :अमृतलाल वेगड़, गुजराती से अनुवाद :बिनय कुमार पटेल

लघुकथाएं :अमृतलाल वेगड़, गुजराती से अनुवाद :बिनय कुमार पटेल

    (1928-2018) गुजराती के साथ हिंदी में भी लेखन। अपने यात्रा वृत्तांत ‘सौंदर्यायानी नदी नर्मदा’ के लिए साहित्य अकादमी पुरस्कार। चर्चित पुस्तक ‘नर्मदा की परिक्रमा’। श्रेष्ठ शासन एक बार एक राजा ने अपने दरबारियों से पूछा, ‘मेरा शासन श्रेष्ठ है या मेरे पिता का...

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कान चाहिए : विनीता बाडमेरा

कान चाहिए : विनीता बाडमेरा

    कहानी संग्रह ‘एक बार आखिरी बार’ प्रकाशित। 17 वर्षों तक अध्यापन के बाद संप्रति व्यवसाय में संलग्न। और बहुत शीघ्र मैं यहां से भी भागना चाहता था। क्यों? अपनी यह जिज्ञासा भी मैंने खत्म कर दी। कोई जगह, कोई व्यक्ति, खुद की कोई मनोदशा भी मुझे बहुत दिनों तक किसी...

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मॉर्निंग वाक : मुहम्मद नसीरुद्दीन

मॉर्निंग वाक : मुहम्मद नसीरुद्दीन

    वरिष्ठ लेखक। ‘मुझे एकांत में जीने दो’, ‘झील के उस पार’, ‘खामोशी की आंच’ (कविता संग्रह)। मैं सवेरे उठते ही हर दिन पार्क की ओर चला जाता हूँ, ‘मॉर्निंग वाक’ के लिए। और लोग भी आते हैं। पेड़-पौधों से, फूलों से भरा हुआ पार्क और चहचहाती चिड़ियों की सुंदर आवाजें,...

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गुजराती कहानी ‘वैसा ही घर’ : वीनेश अंताणी, अनुवाद : कुशल खंधार

गुजराती कहानी ‘वैसा ही घर’ : वीनेश अंताणी, अनुवाद : कुशल खंधार

  वीनेश अंताणी1946 में गुजरात के कच्छ ज़िले में जन्म। साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित गुजराती के प्रमुख साहित्यकार। 60 से अधिक उपन्यास, कहानी-संग्रह, निबंध-संग्रह इत्यादि प्रकाशित। चर्चित उपन्यास ‘प्रियजन’ और ‘धूंधभरी खीण’। कुशल खंधारलंदन-स्थित लेखक और...

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राजा बनोगे तो क्या खाओगे : कमलेश

राजा बनोगे तो क्या खाओगे : कमलेश

    लंबे समय तक अखबार में समाचार संपादक के पद पर कार्य। कई नुक्कड़ नाटकों का लेखन, निर्देशन और अभिनय। दो कहानी संग्रह ‘दक्खिन टोला’ और ‘पत्थलगड़ी और अन्य कहानियां’ प्रकाशित। राजा बनोगे तो क्या खाओगे...? सोनाचूर का भात, रहर की मसालेदार दाल और आलू-कटहल की...

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कंबल : सरिता कुमारी

कंबल : सरिता कुमारी

    युवा लेखिका। कहानी संग्रह ‘उजालों के रंग’ और ‘तूफ़ान’। कविता संग्रह- ‘अनुभूति’, ‘एक टुकड़ा धूप का’ प्रकाशित। ‘बूंदों की भी अपनी भाषा होती है। जैसे सन्नाटे की और शोर की भी। सीने में घुटते दर्द की भी होती है, आंखों में फंसी नमी की और होठों के कोर में फंसी...

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फारसी कहानी ‘जला हुआ इसपंदान’ :मरियम शुजाई, अनुवाद :नासिरा शर्मा

फारसी कहानी ‘जला हुआ इसपंदान’ :मरियम शुजाई, अनुवाद :नासिरा शर्मा

मरियम शुजाई1953 में तेहरान में जन्म। ‘रंगे पाइज़’, ‘दसीसे ब्लाक 44’, ‘निशान-ए-बहार’, ‘माजराए खालाजान’ आदि रचनाएं। नासिरा शर्माहिंदी की चर्चित कथाकार। ईरानी समाज तथा राजनीति के अतिरिक्त साहित्य, कला और सांस्कृतिक विषयों की विशेषज्ञ। मैंने बर्तन धोने वाली मशीन से इसपंदान...

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पंजाबी कहानी ‘जंगल में उगी चुप’ : राशिद जावेद अहमद, अनुवाद :सुभाष नीरव

पंजाबी कहानी ‘जंगल में उगी चुप’ : राशिद जावेद अहमद, अनुवाद :सुभाष नीरव

  राशिद जावेद अहमदउर्दू और पंजाबी के प्रसिद्ध कथाकार। 2 अक्तूबर 1950 को गुजरांवाला में जन्म हुआ। पंजाबी कहानी संग्रह ‘मिट्टी उत्ते लीक’ लाहौर से  प्रकाशित है। टीवी के लिए ड्रामे भी लिखे। बैंक से असिस्टेंट वाइस प्रेज़ीडेंट पद से रिटायर। आजकल एक ऑनलाइन साहित्यिक...

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निहत्थी स्त्री : ज्ञानप्रकाश विवेक

निहत्थी स्त्री : ज्ञानप्रकाश विवेक

गजल लेखन में सक्रिय। गजल, उपन्यास, कहानी, आलोचना आदि की तीस पुस्तकें प्रकाशित। अद्यतन गजल संग्रह ‘घाट हजारों इस दरिया के’। यह पुराना मकान है। तीन बड़े कमरे, एक छोटा कमरा। कमरों के साथ बरामदा। दो-तीन सीढ़ियां उतरो तो आंगन शुरू होता है। आंगन में सूखी घास है और भरे हुए...

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हाव तुका मॉग करता : जयश्री रॉय

हाव तुका मॉग करता : जयश्री रॉय

    दस कहानी संकलन, ५ उपन्यास, एक कविता संकलन प्रकाशित तथा ४ कहानी संकलनों का संपादन।अद्यतन उपन्यास ‘थोड़ी सी जमीन थोड़ा आसमान’। ‘साईबा! ओ साईबा!’ मछली की टोकरी सर से उतार कर वेंसी बरामदे में बैठी चिल्लाए जा रही थी। साहिबा को तेज गुस्सा आया। वह दर्जन भर बांगड़े...

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अखड़ा : पार्वती तिर्की

अखड़ा : पार्वती तिर्की

    युवा लेखिका। रांची विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक (हिंदी) के तौर पर कार्यरत। ‘नौर! जल्दी बाहर आओ, चलो नृत्य करने चलें।’ मांझो ने आवाज दी। नौर अपने जूड़े में बगुले का पंख सजा रही थी। घुटने तक अपनी साड़ी कसकर बांधी। हाथ में बांस का पंखा डोलाते हुए बाहर...

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वेंटिलेटर : शब्बीर अहमद

वेंटिलेटर : शब्बीर अहमद

    1963, कलकत्ता में जन्मे प्रतिष्ठित उर्दू कथाकार और अनुवादक। रचनाएं देश-विदेश की प्रायः सभी श्रेष्ठ उर्दू पत्रिकाओं में प्रकाशित। अब तक दस पुस्तकें प्रकाशित, जिनमें दो उपन्यास और एक कहानी संग्रह शामिल। कई पुरस्कारों से सम्मानित।   अब उन्होंने यही...

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पिता :रूपसिंह चंदेल

पिता :रूपसिंह चंदेल

    वरिष्ठ कथाकार और लेखक। उपन्यास, कहानी संग्रह, बाल साहित्य, यात्रा संस्मरण, संस्मरण आदि की  80 पुस्तकें।    पंद्रह दिनों तक शीतलहर थी। आसमान में दिन भर धुंध छाई रही। सूरज किसी कंदरा में छुपा इतने दिनों से सुख की नींद ले रहा था। उनका जीवन कमरे से आंगन...

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फरिश्तों का घर : शंकर

फरिश्तों का घर : शंकर

    सुप्रतिष्ठित कथाकार और ‘परिकथा’ पत्रिका के संपादक। अद्यतन किताबें ‘सड़क पर मोमबत्तियां’, ‘यह समय’ (संपादकीय टिप्पणियां, लेख, संवाद)।   यही यहां का दस्तूर और सिलसिला था। यहां के बच्चों की जिंदगी गुजरती तो थी इसी नक्शे के एक मुकाम पर, लेकिन किसी न किसी...

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मातृत्व (असमिया) : इंदिरा गोस्वामी, अनुवाद : कुल प्रसाद उपाध्याय

मातृत्व (असमिया) : इंदिरा गोस्वामी, अनुवाद : कुल प्रसाद उपाध्याय

बाहर मूसलाधार बारिश हो रही थी। दरवाजे पर खड़े होकर मधु मास्टर ने फिर से एक बार आकाश में उड़ते हुए काले-काले बादलों की ओर देखा। कोने में पड़ी पुरानी छतरी को फिर से एक बार खोलकर देखा -  नहीं, किसी भी हालत में इसे लेकर ऐसे मौसम में बाहर नहीं निकला जा सकता। छतरी के खुलते ही...

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उड़िया कहानी ‘उत्तराधिकारी’ : दशरथि भूयाँ, अनुवाद :भगवान त्रिपाठी

उड़िया कहानी ‘उत्तराधिकारी’ : दशरथि भूयाँ, अनुवाद :भगवान त्रिपाठी

दाशरथि भूयाँ उड़िया कथाकार, कवि और लेखक। कई पुस्तकें प्रकाशित। ‘कालाहांडी के लोग’ हिंदी में। संप्रति नगालैंड विश्वविद्यालय में राजनीति विज्ञान के प्रो़फेसर।  भगवान त्रिपाठी उड़िया से हिंदी में अनूदित कई पुस्तकें। उत्तर प्रदेश हिंदी-संस्थान, लखनऊ द्वारा ‘सौहार्द सम्मान’...

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