कहानी
सखड़ी : नीतिशा ख़लख़ो

सखड़ी : नीतिशा ख़लख़ो

    आदिवासी कथाकार।बी.एस. के. कॉलेज मैथन धनबाद में हिंदी की विभागाध्यक्ष।९ सालों तक दिल्ली यूनिवर्सिटी के दौलतराम कॉलेज, और महाराजा अग्रसेन कॉलेज  में हिंदी भाषा और  साहित्य पढ़ाया।   जो होगा आज देख ही लूंगी.... पर..... पर आज तो मैं अपने बच्चे को अवश्य...

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प्राप्ति : प्रतीक्षा रम्य

प्राप्ति : प्रतीक्षा रम्य

    स्वतंत्र पत्रकार के तौर पर विभिन्न पत्र पत्रिकाओं में काम।महात्मा गांधी केंद्रीय विश्वविद्यालय, मोतिहारी (बिहार) में पीएच.डी. की छात्रा।फिलहाल कोलकाता में रहती हैं।   ‘उफ्फ ये दिल्ली की सर्दी और दिल्ली का ट्रैफिक - न जाने भगवान ने इन दो चीजों को...

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तितलियां ढूंढने वाली : जाहिदा हिना, रूपांतर :हबीब कैफी

तितलियां ढूंढने वाली : जाहिदा हिना, रूपांतर :हबीब कैफी

  (१९४७) बिहार के सासाराम में जन्मी मशहूर उर्दू लेखिका जो फिलहाल करांची में रहती हैं।देश के विभाजन पर चर्चित उपन्यास ‘न जुनूं रहा न परी रही’।२००१ में  राष्ट्रपति के.आर.नारायणन के हाथों सार्क लिटररी अवार्ड। पिछले पांच दशकों से उर्दू-हिंदी में लेखन।चार कथा संग्रह,...

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बिछड़े सभी बारी-बारी : प्रगति गुप्ता

बिछड़े सभी बारी-बारी : प्रगति गुप्ता

    कथा लेखन के क्षेत्र में सक्रिय।सोशल-मेडिकल पेशेंट काउंस्लर।   ‘दादा जी! प्लीज आइए... मेरे पास आकर थोड़ी देर बैठिए।आपका ऑफिस में तीसरी बार आना हुआ है।आप किसी गहरी सोच में लग रहे हैं?... कुछ कहना चाहते हैं क्या?’ दादा जी पिछले कुछ महीनों से कुछ ज्यादा...

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मिरर-इमेज : प्रज्ञा विश्नोई

मिरर-इमेज : प्रज्ञा विश्नोई

    युवा लेखिका।सूचना प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में प्रबंधन के पद पर कार्यरत। १९ फरवरी २०२१श की डायरीफ़रवरी के उन आखिरी दिनों में धूप कुछ चिड़चिड़ी हो चली थी।मैदानों के वसंत में न तो चेरी-ब्लौसम्स के मोनो-नो-अवारे सा तरल सौंदर्य होता है, न ही नवजात श्वेत याक की...

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मगर पागल नहीं हैं जनार्दन बाबू : सुरेश कांटक

मगर पागल नहीं हैं जनार्दन बाबू : सुरेश कांटक

वरिष्ठ कहानीकार।‘झोपड़ी और चांद’,‘मम्मी कहां गई पापा’कहानी संग्रह।‘कोड़ार’ उपन्यास।   जैसे उड़ जाता है कपूर डिबिया से या गौरैया अपने घोसले से, उड़ गई थी नींद भी जनार्दन बाबू की आंखों से।क्षण-क्षण पल-पल उठती उनके अंदर की बेचैनी तूफान की तरह उनके अंतर को डवांडोल किए...

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छुई-मुई : सुशांत सुप्रिय

छुई-मुई : सुशांत सुप्रिय

कवि, कथाकार और अनुवादक।नौ कथा-संग्रह, तीन काव्य-संग्रह तथा विश्व की अनूदित कहानियों के सात संग्रह प्रकाशित।दिल्ली के एक सरकारी संस्थान में अधिकारी।   (अब आप बड़े आदमी हो गए हैं।कार में चलते हैं।छुरी-चम्मच से खाना खाते हैं।विमान से देश-विदेश की यात्राएं करते...

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मूक सूरज : हंसा दीप

मूक सूरज : हंसा दीप

यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में लेक्चरार के पद पर कार्यरत।उपन्यास, कहानी संग्रह व लोक धरोहर पर पुस्तक प्रकाशित।प्रतिष्ठित पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ निरंतर प्रकाशित।   बादल गरज कर चले गए थे।बरसते कैसे, उनके आने का उद्देश्य सिर्फ गरजना ही था।अपनी गूंज से लोगों को डराना...

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इवेंट्स : कैलाश बनवासी

इवेंट्स : कैलाश बनवासी

सुपरिचित कहानीकार। अद्यतन संग्रह 'प्रकोप तथा अन्य कहानियां।'   अपने बेटे की शादी का कार्ड यादव सर को देते हुए शर्मा मैडम ने बहुत खुशी से बताया था-‘सर, बहुत ही अच्छा वेन्यू है, कितना आलीशान और कितना स्पेसियस! थोड़ा आउटर पे है, लेकिन शहर में आपको इससे अच्छा भवन नहीं...

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अपना अपना आसमान : गौरहरि दास, अनुवाद : दीप्ति प्रकाश

अपना अपना आसमान : गौरहरि दास, अनुवाद : दीप्ति प्रकाश

गौरहरि दास९ अक्तूबर १९६० को जन्म।साहित्य अकादेमी पुरस्कार से सम्मानित ओड़िया लेखक।लगभग ४० पुस्तकें प्रकाशित। दीप्ति प्रकाशमौलिक लेखन के साथ-साथ अंग्रेजी, ओड़िया, बांग्ला आदि से अनुवाद का कार्य। जब शशांक जानबूझ कर राजश्री से नजर चुराकर हवाई जहाज के सामने के द्वार से...

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रेशमा : जसिंता केरकेट्टा

रेशमा : जसिंता केरकेट्टा

युवा आदिवासी लेखिका, स्वतंत्र पत्रकार और सामाजिक कार्यकर्ता।   मैं पेड़ पर टंगी हुई हूँ।मेरा गला मेरे ही पीले दुपट्टे से बंधा हुआ है।मेरी गुथी हुई चोटी झूल रही है।बालों में कुसुम तेल की गंध है।मेरी जीभ बाहर निकली हुई है।आंखें खुली हैं।मौत के बाद भी जाने किस शून्य...

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किराए का मकान : जितेंद्र कुमार सोनी

किराए का मकान : जितेंद्र कुमार सोनी

युवा कथाकार और कवि।एक डायरी ‘यादावरी’ और कविता संग्रह ‘उम्मीदों के चिराग’, ‘रेगमाल’ प्रकाशित।संप्रति राजस्थान में भारतीय प्रशासनिक सेवा में।   बीरबल चौक वाले रास्ते पर सड़क की मरम्मत का काम चल रहा था।इसलिए ट्रैफ़िक पुलिस ने यह रास्ता ‘वन वे’ कर रखा है।घंटाघर से...

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लीक-अलीक : हरजेंद्र चौधरी

लीक-अलीक : हरजेंद्र चौधरी

वरिष्ठ लेखक।देश-विदेश में कुल ३८वर्षों तक शिक्षण के बाद नौकरी-निवृत्त होकर स्वतंत्र सृजन।चार कविता-संग्रह तथा तीन कहानी-संग्रह के अलावा अनेक संपादित पुस्तकें।जापान में हिंदी नाट्य मंचन की परंपरा की शुरुआत।   घर पहुंचते-पहुंचते आधी रात हो गई थी।ट्रेन की छत पर...

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एक बीमार आदमी : आलोक कुमार सातपुते

एक बीमार आदमी : आलोक कुमार सातपुते

दलित लघुकथा संग्रह ‘अपने-अपने तालिबान’, कहानी संग्रह ‘देवदासी’, ‘वेताल फिर डाल पर’, ‘मोहरा’ आदि प्रकाशित।   शहरी कॉलोनी के आखिरी छोर पर स्थित उस मकान के हॉल में रखे हुए डायनिंग टेबल की कुर्सियों पर आमने-सामने दो व्यक्ति बैठे हुए हैं।उनमें से एक की खिचड़ी दाढ़ी,...

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जिंदगी के सफर में : देवांशु पाल

जिंदगी के सफर में : देवांशु पाल

सुपरिचित कथाकार और कवि। ‘बीड़ी पीती हुई बूढ़ी औरत’ (कविता संग्रह) और ‘बारिश थमने के बाद’ (कहानी संग्रह) प्रकाशित।त्रैमासिक पत्रिका ‘पाठ’ का संपादन।   सुबह के नौ बज रहे हैं।सोमनाथ बाबू ने कलाई पर बंधी घड़ी की तरफ देखा।कैलाश जी की अर्थी को ग्यारह बजे मुक्तिधाम ले जाने...

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जो मरने के लिए बचे थे : मनोरंजन व्यापारी, अनुवाद : काजल कुमारी हरिजन

जो मरने के लिए बचे थे : मनोरंजन व्यापारी, अनुवाद : काजल कुमारी हरिजन

पश्चिम बंगाल के चर्चित दलित लेखक।कई पुस्तकों के रचयिता। ‘चंडाल जीवन’ प्रसिद्ध पुस्तक।संप्रति विधानसभा में विधायक। अनुवादक : युवा शोधकर्ता और अनुवादक। शाम गाढ़ा होने पर पियाली स्टेशन से सियालदह को जाने वाली रेलगाड़ी में दो लोग चढ़े थे।बैठने के लिए कोई जगह खाली नहीं...

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नाल : संजय कुमार सिंह

नाल : संजय कुमार सिंह

प्रमुख कथाकार।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।   माटी की लाज रखी तो डायरेक्टर साहब ने।इतने ऊंचे पद पर जाकर भी गांव को नहीं भूले।पुरखापति का नाम रोशन कर दिया।इलाके में उनके इस लगाव की नाल बज रही है।लोग शहर क्या गए, रिश्ता-नाता ही भूल गए।शूरा कहे कोई इस...

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उजाले की ओर : कीर्ति शर्मा

उजाले की ओर : कीर्ति शर्मा

राजस्थान की चर्चित लेखिका।हिंदी के साथ राजस्थानी में भी लेखन। ‘पिघलते लम्हों की ओट से’ तथा ‘बूंद भर सावन’ (हिंदी कथा संग्रह), ‘दोस्त का जादू’ (हिंदी बाल कथा संग्रह) प्रकाशित।साहित्य अकादेमी बाल साहित्य पुरस्कार से सम्मानित।शिक्षा विभाग में वरिष्ठ अध्यापिका। दुष्यंत की...

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बांस का पौधा : धनंजय चोपड़ा

बांस का पौधा : धनंजय चोपड़ा

पत्रकारिता और जनसंचार के क्षेत्र में विपुल कार्य।इलाहाबाद विश्वविद्यालय के सेंटर ऑफ मीडिया स्टडीज के पाठ्यक्रम समन्वयक।हालिया प्रकाशित पुस्तकें, ‘कजरी लोक गायन’ और ‘संचार, शोध और मीडिया’। कहानी सुकेश और शुचि की है।दोनों अपने समय से जूझते हुए जिंदगी को बेहतर बनाने में...

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रैली : लाल बहादुर

रैली : लाल बहादुर

युवा कहानीकार।एक कहानी संग्रह ‘सड़क पर’ प्रकाशित।सामाजिक कार्यों में रुचि। उसे नहीं मालूम उसका क्या नाम है।कोई कागज-पत्र नहीं है उसके पास।वह पढ़ी-लिखी नहीं है।कभी स्कूल नहीं गई है, देखा भर है सड़क पर से।उसका बैंक, पोस्ट-आफिस में खाता नहीं है।न कोई जमीन है, न घर। वह बहुत...

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