पी.विठ्ठल90 के दशक के एक महत्वपूर्ण मराठी कवि और आलोचक। मराठवाड़ा विश्वविद्यालय में प्रोफेसर। दो काव्य संकलन, चार वैचारिक लेखों का संग्रह, तीन समीक्षा ग्रंथ और छह संपादित ग्रंथ प्रकाशित। सुनील कुलकर्णीलेखक एवं आलोचक। आलोचना की पांच पुस्तकों सहित कई अनूदित और संपादित...
सतपाल ख़याल
युवा कवि। कई पत्र-पत्रिकाओं में गजलें प्रकशित। इंटरनेट पत्रिका - ‘आज की ग़ज़ल’ का 13 बरस तक संपादन। पेशे से इंजीनियर। गज़ल 1उजाला बुन रहे थे वो कहाँ हैंजो लेकर लौ चले थे वो कहां हैं उजालों की हिफ़ाज़त करने वालोदिए जो जल रहे थे वो कहां हैं वो किन झीलों...
विजय विशाल
वरिष्ठ लेखक। जन-विज्ञान आंदोलन में वर्षों तक सक्रिय भूमिका। ‘चींटियाँ शोर नहीं करतीं’ कविता संग्रह सहित आलोचना की दो पुस्तकें। संवाद नन्हे पौधे नेविशालकाय दरख्त से पूछा-‘कैसे बच गएवनकाटुओं से?’ दरख्त ने हँस कर कहा -‘टेढ़ा था सो बच गयासीधा होता...
संजीव प्रभाकर
वरिष्ठ कवि। रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत। गज़ल यहां वहां से लिए या किसी खजाने सेकहां से लाए वो दौलत, रहे बताने से कहां तो लोग गुजारा भी कर नहीं पातेकहाँ तो गड्डियाँ मिलती हैं पायखाने से पता नहीं कि वो लेकर...
राजेंद्र सजल
युवा कवि और कथाकार। प्रकाशित कहानी संग्रह ‘अंतिम रामलीला’ और ‘नजर’। संप्रति अध्यापन कार्य। हम धंसते गए गहरे हम और हमारे पुरखों नेयुद्ध नहीं प्यार किया हैइंसान से ही नहीं जानवरों और मिट्टी से भी हमारे पास हाथी-घोड़े नहीं थेक्योंकि प्यार मेंगाएं, बछड़े, भेड़,...
अरबिंद भगत
युवा कवि। संप्रति शोध छात्र। गोला नृत्य वह ढोलक बजा रहा थाउसकी ढोलक बज रही थीअलग-अलग ताल परऔर नाच रही थीवह ढोलक के बजते ताल परजैसे-जैसे ढोलक की तालचढ़ती-उतरतीउसकी नाच और करतब तेज हो जातीअलग से थे उसके करतबट्रेन में दो सीटों के बीचएक गोलाकर लोहे से बनी रॉड...
शिवप्रकाश त्रिपाठी
कवि और लेखक। विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संप्रति- बुंदेलखंड कॉलेज में असिस्टेंट प्रोफेसर। पिता 1.पिता को मैंने सिर्फ दो बार रोते देखापहली दफा मेरी बहन को बिदा करतेदूसरी दफ़ा मुझे मारते समयवे मुझे मारते हुए अचानकफफक फफक कर रो पड़े थेपता नहीं मुझे...
तृषान्निता बनिक
युवा कवयित्री। पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित। हिंदी शिक्षिका। नदी का दुख एक दिन नदी को दुख हुआलगातार कई दिनों तकउसके पाट पर भाटा रहाछोटी लहरों के साथ बहकर आते रहेरंग-बिरंगे प्लास्टिकमाझी को बहुत दुख हुआउसने शोक में नाव नहीं चलाईमछुआरों ने देखाभाटे...
राजीव कुमार तिवारी
प्रकाशित पुस्तक : ‘आधी रात की बारिश में जंगल’। रेलवे में कार्यरत। मौसम ईश्वर की पातीहमतक लेकर आता है मौसममौसम ईश्वर का डाकिया है मौसम एक दर्पण हैजिसमें दिखता है प्रकृति का मनईश्वर का रूप मौसम वह रंग हैजो रंग लेता है अपने रंग में पूरी धरतीपूरे आकाश को...
शंकरानंद
सुपरिचित कवि। तीन कविता संग्रह ‘दूसरे दिन के लिए’, ‘पदचाप के साथ‘ और ‘इंकार की भाषा’ प्रकाशित। संप्रति अध्यापन। सीढ़ियां जिन्हें चढ़ने की जरूरत हैवे सीढ़ी को महज एक रास्ता समझते हैंकितनी आसानी सेकिसी की पीठ पर रख देते हैं अपने पांव अपना वजन दूसरे की देह पर...
मनीषा गुप्ता
युवा कवयित्री और सहायक शिक्षिका। भाषा मैंने अपनी भाषा में हँसी लिखीसामने बैठा व्यक्तिजो मेरी भाषा नहीं जानता थाउसने हँसना शुरू कर दिया मैंने अपनी भाषा में लिखा रुदनमेरे पास की महिलाओं नेरोना शुरू कर दियारोते हुए बड़बड़ाने लगींअपनी भाषा मेंमैं नासमझी के...
देवांश द्रुमदल
युवा कवि। फिलहाल अध्ययनरत। पहाड़ हो जाना मैं पहाड़ हो चुका हूँप्रेम मेंवह एक नदी थीजिसे जाना था दूरसागर मेंमैं मौन स्तब्धएक जगह स्थिरदेखता रहा उसे जाते हुए एकटकमैंने कहीं पढ़ा था :नदियां कभी पहाड़ों की प्यास नहीं बुझातीं! तुम्हारे जाने से मुझे देह से जन्म...
निर्मल सैनी
माध्यमिक शिक्षा विभाग, राजस्थान में उपप्राचार्य पद पर कार्यरत। मां 1.न सजती हैन वह होंठ पर लाली लगाती हैन नेल पॉलिश लगाती हैन उसने किसी सौंदर्य प्रतियोगिता में भाग लियाफिर भी मांसबसे सुंदर होती है। 2.मां अनपढ़ हैपर वह सबको पढ़ती हैबापूजी के चेहरे की...
अजमी नवाज
युवा गजलकार। मौजें कभी देखो अगर दरिया करें जब शोर ये मौजेंतलातुम से निकलने को लड़ें जब ज़ोर से मौजें सुनो उनकी कहानी को पढ़ो उनकी रवानी कोकहें ख़ामोश आवाज़ें किसी बेबस कहानी को नहीं मालूम किसकी जुस्तजू में घूमती हैं येकिसे बेसाख़्ता साहिल पे आ के ढूंढ़ती...
सोहन लाल
युवा कवि। विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित। संप्रति अध्यापक। मां ने बनाया है हृदय मां ने बनाया है हृदयघड़े के समान पकाया है इसे फिर एक दिन उसनेअपने ममत्व के शीतल जल से इसे भर दिया काफी दिनों बाद जब मन हुआ उसकातो जल के स्थान पर उसनेजोड़-तोड़कर...
रामदुलारी शर्मा
वरिष्ठ लेखिका। गीत, नाटक और कहानी की कुल 6 पुस्तकें प्रकाशित। लोकगीत पर शोध। घर टूटने की व्यथा तिनका-तिनका जोड़करबनाए घोंसले केतिनके-तिनके में बसे थेभविष्य के सुनहरे सपनेऔर जीवन काहँसता हुआ बसंतजो एक झटके के साथ बदल गयावीरानी मेंसूनी उदास आंखें देख रही...
चंद्र मोहन
युवा कवि। अनेक पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। फिलहाल खेती-बाड़ी, इधर-उधर काम। ब्रह्मपुत्र बंधु क्या तुम्हें पता हैब्रह्मपुत्र सरायघाट के पुल तक आते-आतेनाम कितना बदल जाता है बंधु क्या तुम्हें पता हैअरुणाचल में जो अभी बह रहा है ब्रह्मपुत्रउसका नाम क्या है...
शिप्रा मिश्रा
शिक्षिका एवं स्वतंत्र लेखन। ‘अर्द्धरात्रि का निःशब्द राग’ (काव्य संग्रह), ‘वटवृक्ष की जटाएं और अन्य कहानियां’। मंडी तालाब के चारों किनारों पररोपते हुए जटामांसी के मखमली पौधे उम्मीद थीजब ये पौधे हो जाएंगे बड़े जेठ की तपनऔर आसमान से बरसती धाह मेंठहरेंगी कुछ...
मराठी कविता : एल. एस. रोकाडे
दलित मराठी कवि।अंग्रेजी में अनूदित कविता संग्रह ‘प्वायजंड ब्रेड’।पैदा होऊं या नहीं मां, तुम मुझे कहा करती थीजब मैं पैदा हुआ थातुम्हें असह्य प्रसव पीड़ा हुई थीकारण क्या था मां?इतनी लंबी प्रसव पीड़ा की वजह क्या थी?क्या मैं निकलना नहीं चाहता था तुम्हारे पेट सेऔर मुझे बड़ी...
सिराज फैसल ख़ान
युवा गजलकार। अद्यतन गजल संग्रह ‘चांद बैठा हुआ है पहलू में’। गजल देखकर मंजर जमीं के देवता भी डर गएआदमी तो काम शैतानों से बदतर कर गए कैसे भूलेंगे भला हम जालिमों के ये सितममुल्क भर में किस तरह कुचले हमारे सर गए दफ्न कर दो दरमिया जोधा-ओ-अकबर के हमेंसब गटर तो...
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