कविता
राजेंद्र शर्मा

राजेंद्र शर्मा

    पत्रकारिता से शुरुआत करने के बाद उत्तर प्रदेश राज्य के बिक्रीकर विभाग में नौकरी। वर्तमान में जी एस टी डिपार्टमेंट में राज्य कर अधिकारी के पद पर कार्यरत। कला, संगीत में विशेष रुचि। औरतें ही बचाएंगी सृष्टि को (चित्रकार ईशिता चौधरी की पेंटिंग देखकर) प्रदूषण...

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मोतीलाल दास

मोतीलाल दास

    भारतीय रेलवे में कार्यरत। कविता संग्रह ‘आखिर क्या करता’, ‘देह पर दिन की भाषा’और ‘समय के ढेर पर’। तुम्हारा आना तुम वैसे मत आनाजैसे उग आती है कहीं भी दूबजैसे जंगल में कोई भी पेड़जैसे प्रश्नों के बीच से कोई उत्तर तुम ऐसे आनाजैसे खिलती है कोई कलीजैसे मुस्काती...

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गौरव गुप्ता

गौरव गुप्ता

    युवा कवि, अनुवादक। प्रकाशित कविता संग्रह- ‘तुम्हारे लिए’। इस जीवन में इस जीवन मेंबहुत सारी यात्राएं स्थगित रहींबहुत सारा प्रेम अधूरा रहाबहुत सारे आंसुओं कोआंखों के कोर ने सोख लियाबहुत सारे नाम कंठ तक रुके रहेजिसे पुकारा न जा सकाऔर इस तरह इस बीतते जीवन...

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शंकरानंद

शंकरानंद

    युवा कवि।अब तक तीन कविता संग्रह ‘दूसरे दिन के लिए’, ‘पदचाप के साथ’ और ‘इंकार की भाषा’।संप्रति-अध्यापन। भुट्टे के दानों के बीच पत्तों का हरा जबधीरे-धीरे पीला पड़ता जाता हैतब पता चलता है किअब फसल पक कर तैयार हो गई है भुट्टे के दानों के बीच जोबह रही थी दूध...

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अशोक कुमार

अशोक कुमार

    युवा कवि। कविता संग्रह ‘मेरे पास तुम हो’। दिल्ली के एक स्कूल में अध्यापक। अफवाह एक अफवाह हैजिसे वर्तमान की पीढ़ी नेभविष्य का सत्य मान लिया है एक विलंबित न्याय हैजिसकी आंखों पर चस्पा हैंआस्था के इश्तिहार एक पराजित उम्मीद हैजो लड़ते-भिड़ते हुएअवसाद के मुहाने...

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संजीव प्रभाकर

संजीव प्रभाकर

    वरिष्ठ कवि। रचनाएं कई पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित। संप्रति भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत। गज़ल आप में हम में कमी है, सच कहूँ तोब़र्फ धमनी में जमी है, सच कहूँ तो ख़ूब हो - हल्ला रहेगा कुछ दिनों तकफ़िक्र अपनी मौसमी है, सच कहूँ तो हादसे पर हादसा फिर हादसा हैआँख...

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चित्रा पंवार

चित्रा पंवार

    युवा कवयित्री। एक कविता संग्रह ‘दो औरतें’। संप्रति अध्यापन। प्रेम करो प्रेम करोजैसे मिट्टी करती हैबीज सेजैसे पहाड़ करते हैंनदी सेमां करती है शिशु सेआसमान करता हैजमीन सेवैसे ही तुम प्रेम करो मुझेनेह का एक छोर थाम करमुक्त करो मुझे मेरे लिए। मार्च प्रेम तुम...

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प्रिया वर्मा

प्रिया वर्मा

    युवा कवयित्री।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित। कवि तुम्हें मुझपर विश्वास है यह ठीक हैपर मुझे नहीं सीखनाकिसी का भी पात्र होनाकि मैं पशु नहींजो बांटा जाए जंगली और पालतू मेंऔर पालतू हो जाऊं कि फिरकहते हुए अपना सब दुखअवसाद मुझमें भर दो तुम फिर ढक...

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केतन यादव

केतन यादव

    युवा कवि। इलाहाबाद विश्वविद्यालय में शोधार्थी। एक अलगनी पर दो चिड़िया 1.धीरे-धीरे हमारे पासकेवल अपने लोगों कीतस्वीर बचती है । 2.कमी भरने वालों कीकमी का नाम मृत्यु हैउसका विकल्प न स्मृति है न चेतना... 3.कानी उंगली में लगी चोटपांचों उंगलियों में दर्द देती...

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सत्यव्रत रजक

सत्यव्रत रजक

    युवा कवि, लेखक एवं अनुवादक। फिलहाल अध्ययनरत। ठहरे हुए पुल सारे पुल पार करने के लिए नहीं बनाए जाते कुछ ठहरने के लिए भी बने होते हैं ठहरे हुए पुल दौड़ते पुलों से कहीं ज्यादा बुद्ध होते हैं तुम ठहर सको और दे सको नदियों की गवाही कि कोई तो है जो उनसे मिलने आता...

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रामस्वरूप किसान

रामस्वरूप किसान

    राजस्थानी भाषा के प्रमुख कवि और कथाकार। हिंदी में भी लेखन। ‘फिजा के समंदर में’ हिंदी कविता संग्रह। राजस्थानी तिमाही पत्रिका ‘कथेसर’ का संपादन। अनेक संस्थानों से पुरस्कृत। पत्नी-1 पत्नी सोचने लगी है किआखिर वह पत्नी क्यूं है?पत्नी होने के मायने खोजने लगी...

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ओ. पी. झा

ओ. पी. झा

    दूरदर्शन केंद्र, दिल्ली में कार्यरत। ‘फकीराना अंदाज’ (उपन्यास) तथा ‘दिल्ली में बारिश’ और ‘अंतिम युद्ध’ चर्चित पुस्तकें। ओ दया नदी ओ दया नदी!सच बतानाक्या तुम अभी भी सुना रही होवही कहानीकिसी को बोध हुआ था तुम्हारे तट परयुद्ध विनाश के सिवा कुछ भी नहीं ओ दया...

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श्रद्धा सुनील

श्रद्धा सुनील

    सामाजिक कार्यों से जुड़ी कवयित्री। एक कविता संग्रह ‘हिमालय की कंदराओं में’ प्रकाशित। कविताओं में शब्द उसकी कविताओं में बहती नदी पढ़ करमैं दौड़ पड़ी थी उसकी तरफलेकिन वहां पानी नहीं था नदी समुद्र झरने परबेहतरीन कविताएं लिखने वाले कवि कीमेरे सामने प्यास से...

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भारती बंसल

भारती बंसल

    युवा कवयित्री, पशुप्रेमी। गुफ्तगू जिंदगी में ज्यादा कुछ नहीं चाहिएबस एक दिनजो सिर्फ पहाड़ों को देखते हुए गुजरेएक कप चाय के साथऔर ढेर सारी कहानियां जिसमेंछिपी हो एक गुफ़्तगूकहीं सूखी नदियों की बात होतो कहीं बिखरते बादलों कीऔर जब कोई दोस्त पूछे ‘तुम कैसे...

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विवेक आस्तिक

विवेक आस्तिक

    युवा कवि। म. ज्यो. फु. रूहेलखंड विश्वविद्यालय, बरेली में शोधार्थी। दूर वट की छांव से इस तरह स्वच्छंदबालाएं हुई हैंपायलें भी छिन गई हैंपांव से! आ, नगर की धड़कनों मेंखो गई हैंबादलों की पीठ परनव बीज बोनेरोलरों से देह-अंकुरको बचाकरचाहती हैं दुधमुंहेसपने...

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अमृता सिन्हा

अमृता सिन्हा

    विभिन्न पत्र- पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। कविता संग्रह  ‘काल के करघे पर आखरों की कताई’। चित्रकारी का शौक। बिना शीर्षक मैं जादूगरनी नहींपर सीखना चाहती हूँ जादूगरीताकिधनिया, मेरी सहायिकाजिसके बेटे ने कल कर ली आत्महत्यामानसिक असंतुलन के कारणविक्षिप्त मां...

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नरेश अग्रवाल

नरेश अग्रवाल

    वरिष्ठ कवि। पिछले 10 वर्षों से ‘मरुधर के स्वर’ पत्रिका का संपादन। चूल्हा झोपड़ी के एक कोने में मां सोई हैदूसरे में पितातीसरे में बच्चेचौथे में रखा है चूल्हाबस इतनी सी ही जगह है यहां सुबह होगीएक-एक करके लोग उठते जाएंगेजगह खाली होती जाएगीखाना पकाने का...

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भारती वत्स

भारती वत्स

    वरिष्ठ लेखिका और सामाजिक कार्यकर्ता। बुंदेलखंड की स्त्री अभिव्यक्तियों पर पुस्तक ‘मरी जाएं मल्हारें गाएं’। संप्रति : प्राध्यापन। दुआओं का व्यापारी बाड़े तुम्हारेहरे, लाल, नीले, पीलेऔर केसरीजिनमें कैद हो तुमअपने झंडे-डंडे के साथमवेशी की तरहवह भी रास्ता भूल...

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सौम्य मालवीय

सौम्य मालवीय

    युवा कवि। सहायक प्राध्यापक, मानविकी और समाज विज्ञान संकाय, आईआईटी, मंडी। जोशीमठ आदि शंकराचार्य ने महातप के बादजब खोले होंगे चक्षुवेदांत के अलावा देखा होगा एक और सत्यवह यह कि जोशीमठ डूबेगाजरूर डूबेगा जोशीमठ! पर यह बताया नहीं किसी कोइस दूसरे सत्य...

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दिलीप दर्श

दिलीप दर्श

    कविता-संग्रह ‘सुनो कौशिकी’, ‘महाप्रस्थान के पीछे’, ‘अब तो दे दो मुझे अंधेरा यह’ कहानी-संग्रह ‘मानुस कंपनी’ प्रकाशित। ग़ज़लें (1)दिखा जो भी इशारों में, कहा वो ही इशारों मेंहमें डर है कि बंट जाएं इशारे भी न नारों में हमें कहनी ही पड़ती है इशारों में ही कहते...

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