कविता
विपिन जैन

विपिन जैन

    वरिष्ठ कवि। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।   गजल बातें अपनी सारी करतेकुछ तो बात हमारी करते कौन सही है कौन गलत हैकोई फैसला जारी करते अगर बोलना लगा जरूरीकुछ तो बातें प्यारी करते समझ भरी हो बातें तेरीउसकी भी तैयारी करते सच को गर तुम सच कह...

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प्रमोद बेड़िया

प्रमोद बेड़िया

    वरिष्ठ लेखक और कवि। तीन कविता संग्रह प्रकाशित। अद्यतन संग्रह ‘एक सदा आती तो है’। जाति ब्राह्मण ने मूर्ति को दिखा कर कहाशीश झुकाओ, प्रणाम करोआशीर्वाद मांगोमैंने सब किया तो ब्राह्मण बोलातुम्हारा कल्याण हुआदक्षिणा चढ़ाओमैंने पूछा- तुम्हें कैसे पतावह...

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निर्मला तोदी

निर्मला तोदी

    वरिष्ठ कवयित्री। काव्य-संग्रह ‘अच्छा लगता है’, ‘सड़क मोड़ घर और मैं’ और ‘यह यात्रा मेरी है’। कहानी-संग्रह ‘रिश्तों के शहर’।   टेलिपेथी टेलिपेथीजरूर पहुंचती हैदोस्त के पासदुश्मन के पास और इस तरहदोस्त से दोस्ती बढ़ जाती हैदुश्मन से दुश्मनी। झगड़े...

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राजेंद्र नागदेव

राजेंद्र नागदेव

    वरिष्ठ कवि, चित्रकार, वास्तुकार। हिंदी-अंग्रेजी दोनों भाषाओं में लेखन। हिंदी में 13 काव्य-संग्रह और एक यात्रावृत्त।   चित्र एक चित्र बनायापहाड़ थे, नदियां थीं, झरने थेऔर उसे पोंछ दियामैंने दूसरा चित्र बनायापेड़ थे, लताएं थीं, कलियां थीं, फूल थेऔर उसे...

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शशिकला त्रिपाठी

शशिकला त्रिपाठी

    वरिष्ठ आलोचक, कवि- कहानीकार एवं शिक्षाविद। अद्यतन आलोचना पुस्तक ‘भाषिक प्रसंग और हिंदी का विश्वरंग’। पूर्व-प्रोफेसर बनारस हिंदू विश्वविद्यालय। इंसान हुआ जुलाहा मेरी बेटी!मैं भी कभी तुम्हारी तरहखेलती-कूदती, हँसती थी खिल-खिलपूजा की घंटियों की तरह...

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अनुराधा ओस

अनुराधा ओस

    युवा कवयित्री। कविता संग्रह ‘ओ रंगरेज’, ‘वर्जित इच्छाओं की सड़क’ और आंचलिक विवाह गीतों का संकलन ‘मड़वा की छाँव में’ प्रकाशित। संप्रति : स्वतंत्र लेखन। तुमने कहा तुमने कहा बैठोवह बैठ गई तुमने कहा खड़ी हो जाओवह खड़ी हो गई तुमने कहा उतना ही मुंह खोलोजितना मैं...

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अरुण शीतांश

अरुण शीतांश

    अद्यतन कविता संग्रह ‘एक अनागरिक का दुख’। संप्रति एक शिक्षण संस्थान में कार्यरत। आबरू नागरिक की ओ नागरिको!अब जाओ, सो जाओकल आनासड़क पर आने की जरूरत क्यों-धान के खेत में बच्ची गई हैकिसान का खाना लेकरफैक्टरी में कामगार का भोजनकैटवाक करती कोई बच्ची ही तो हैघास...

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धीरेंद्र कुमार पटेल

धीरेंद्र कुमार पटेल

    युवा कवि। ‘डगर की रेत’ और ‘औरत की जानिब’ कविता संग्रह प्रकाशित। संप्रति अध्यापन।   गांधारी आंखें होते हुए भी उनपर पट्टी बांधकरगांधारी! तुमने पति-भक्ति का धर्म निभाया तुम बन सकती थी अंधे पति धृतराष्ट्र की आंखेंलेकिन नहीं बनी शायद उस समय किसी पुरुष की...

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राम प्रवेश रजक

राम प्रवेश रजक

    युवा कवि। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संप्रति कलकत्ता विश्वविद्यालय  हिंदी विभाग के अध्यक्ष। यकीन मैंने नैनीताल की प्राकृतिक छटा देखीबहुत खुश हुआ, ऊपर वाले की कला परदूसरी बार ताजमहल देखातो और खुश हुआ लोगों के हुनर परतीसरी बार तब खुश हुआजब...

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अनिरुद्ध सिन्हा

अनिरुद्ध सिन्हा

    वरिष्ठ गजलकार और लेखक। दो कविता-संग्रह, एक कहानी-संग्रह, दस  ग़ज़ल-संग्रह और सात ग़ज़ल केंद्रित आलोचना की पुस्तकें। संप्रति-स्वतंत्र लेखन। गजलें 1.जब घटाओं में डूब जाता हैचढ़ता सूरज भी लड़खड़ाता है वो कहां पढ़ के देखता है तुझेतेरी तस्वीर जो बनाता है रोज करता है...

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ऋषभ तिवारी तथागत

ऋषभ तिवारी तथागत

    युवा कवि। छोटे बच्चों के बीच शिक्षा और पर्यावरण संरक्षण के क्षेत्र में कार्यरत। जब पौ फटी जब पौ फटीपहली किरण ने भेदा अंधेरे का कवचतब बूढ़े पहाड़ की कंकरीली ढलान परवह तेंदु कीकुरमराती टहनियों केगट्ठर बांध रही थी। काफ़्का बालकनी में खड़ा ठिठुर रहा है मुझे...

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कुमार विश्वबंधु

कुमार विश्वबंधु

    कवि, कथाकार और समीक्षक। बाल कविता संग्रह ‘इ इत्ता है, उ उत्ता है’ और ‘कक्षा में साहित्य’ (समीक्षा)।  संप्रति : ‘गवर्नमेंट कॉलेज आॉव एडूकेशन, बानीपुर’ नॉर्थ 24 परगना, पश्चिम बंगाल, में एसोसिएट प्रोफेसर।   जूता: पांच कविताएँ 1.वेजाने जाते हैंअपने...

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गुंजन श्रीवास्तव ‘विधान’

गुंजन श्रीवास्तव ‘विधान’

    युवा कवि।विभिन्न पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित। स्त्री की मृत्यु इतनी बड़ी नहीं होगीउसकी मृत्यु की वजह कि कोस सकें उसके परिजन किस्मत तक कोआत्मा की शांति की खातिर मारी जा सकती हैसब्जी में नमक के कम होने परकिसी गैर-मर्द से बात करने के जुर्म मेंहां की जगह न...

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महावीर राजी

महावीर राजी

    वरिष्ठ लेखक। चार कथा संग्रह प्रकाशित। संप्रति स्वतंत्र लेखन। स्त्री की रोटी स्त्री जब बेलती है रोटीतो रोटी स्वतः ही बिलने लगती हैगोल आकार मेंपति से चुहल करते हुएध्यान कहीं और उलझा रहता है स्त्री कापर हथेलियों में फंसा बेलनफिसलता है लोई पर यूंकि रोटी...

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अनंत आलोक

अनंत आलोक

    युवा कवि। कविता संग्रह ‘तलाश’ प्रकाशित। संप्रति : हिमाचल सरकार के शिक्षण संस्थान में अध्यापन। अखबार सुबह-सबेरेमुंह-अंधेरेघर के जगने से भी पहलेआंगन में फेंक जाता है कोईसड़क पर फेंके गए लहु-लुहान पत्थरडंडे, कट्टे, तमंचेछातियों और दीवारों पर खाली की गईं...

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चाहत अन्वी

चाहत अन्वी

    युवा कवयित्री।दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय, गया में शोधार्थी। हामिद अमीना मुझे माफ़ करोमैं चुरा रही हूँ सभी बच्चों को तुम्हारे हामिद सहितजिन्हें आज तीन कोस दूर ईदगाह जाना है नहीं-नहीं अमीना रोको उन्हेंवापस बुलाओमत जाने दो आज ईदगाह की गलियों की...

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रविशंकर सिंह

रविशंकर सिंह

वरिष्ठ कथाकार। कहानी संग्रह 'तुमको नहीं भूल पाएंगे'। बहुत दिनों बाद गाछ से टपके आम बीननेतुम अब भी बेतहाशा दौड़ लगाती होतुम उतनी ही बातूनी हो अब भीक्या आज भी मुस्कुराते समयतुम्हारे गालों पर बनते हैं डिंपलएक खत मिला था मुझे अनामप्रेषक का नाम नहीं लिखा थालिफाफा के...

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विनय सौरभ

विनय सौरभ

    तीन दशक से शीर्ष पत्र- पत्रिकाओं में कविताएँ, लेख और संस्मरण प्रकाशित। पहला कविता संग्रह ‘बख़्तियारपुर’ इसी वर्ष प्रकाशित। झारखंड के सहकारिता विभाग में कार्यरत। खान बहुरूपिया अब याद करता हूँ तो वे आजमगढ़ जिले के थेहमारे इस इलाके में गर्मियों में आते थेसब...

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बांग्ला कविता : अनुराधा महापात्र, अनुवाद :जयश्री पुरवार

बांग्ला कविता : अनुराधा महापात्र, अनुवाद :जयश्री पुरवार

अनुराधा महापात्र(1954) स्त्रीवादी बांग्ला लखिका। कविताओं में प्रतिवाद के साथ-साथ व्यथा और करुणा का स्वर। पश्चिम बंग अकादमी पुरस्कार सहित कई पुरस्कारों से सम्मानित। अब तक 25 कविता संग्रह, तीन निबंध संग्रह। जयश्री पुरवारवरिष्ठ लेखिका और अनुवादक। पुस्तक ‘अमेरिका ओ...

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रमेश यादव

रमेश यादव

      युवा कवि। संप्रति अध्यापन। मेरे बेटे बेटे!मशीन बनती दुनिया मेंतुम मनुष्य बने रहनाइतना बचे रहनाकि जब दूर कहीं कोयल कूकेतो ठहर कर उसकी आवज सुन सकोआसमां में चांद मुस्कुरा रहा होतो थोड़ी देर रुक कर उसके साथ मुस्कुरा सकोरात में जब तारे अठखेलियां कर रहे...

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