हिंदी और पंजाबी के वरिष्ठ कथाकार। ओस ओस आंसू है आकाश कादूर से धरती से मिलता हुआ दिखता हुआ भीमिल नहीं पाता। जब दायित्व नहीं निभता मुझे भाषा की आंच बचा कर रखनी थीयह मेरा अपना काम भी थामैंने खुद के खिलाफ याचिका नहीं सुनीऔर सूखे पत्तों की तरह भाग निकले...

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