कविता
तरसेम गुजराल

तरसेम गुजराल

    हिंदी और पंजाबी के वरिष्ठ कथाकार। ओस ओस आंसू है आकाश कादूर से धरती से मिलता हुआ दिखता हुआ भीमिल नहीं पाता। जब दायित्व नहीं निभता मुझे भाषा की आंच बचा कर रखनी थीयह मेरा अपना काम भी थामैंने खुद के खिलाफ याचिका नहीं सुनीऔर सूखे पत्तों की तरह भाग निकले...

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प्रकाश देवकुलिश

प्रकाश देवकुलिश

    संयुक्त संपादक ‘सबलोग’।अद्यतन कविता संग्रह ‘असंभव के विरुद्ध’। हे धर्मात्मा मठों, अखाड़ों मेंधर्म का ये कौन-सा रूप हैधर्मात्मा ये कैसेजो हतोत्साह, व्यथित, क्लांतहम जैसे हीऔर हम जाते हैं इनके पासमुक्ति की कामना में विवाद धन, धान्य या धरती कावैसा हीजैसा हम...

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हेमंत गोविंद जोगलेकर

हेमंत गोविंद जोगलेकर

      मराठी के चर्चित कवि।अब तक मराठी में आठ कविता संग्रह प्रकाशित।कविताओं का अनेक भारतीय भाषाओं में अनुवाद। कविता लिखने के लिए कविता लिखने के लिए लीजिए कोरा कागजजो मिलता है हर एक को एक इस लोक मेंअगर शुरुआत की ऊपर सेतो जा सकते हो एकदम तल तकऊपर दो उंगली...

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पायल भारद्वाज

पायल भारद्वाज

    युवा कवयित्री।विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।संप्रति अध्ययनरत। दुख ज़ुड़ा रहा नाभि से नाराज़गी का बोझ उठा सकेंइतने मजबूत कभी नहीं रहे मेरे कंधे ‘दोष मेरा नहीं तुम्हारा है’यह कहने के बादमन ने तब तक धिक्कारा स्वयं कोजब तक अपराध बोध नेश्वासनली अवरुद्ध न...

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जय चक्रवर्ती

जय चक्रवर्ती

समकालीन हिंदी गजल एवं दोहे की आठ किताबें प्रकाशित। गजल सीने में अपने थोड़ी-सी आग बचाकर रखजीवन में हर पल जीवन का राग बचाकर रख अपने को बेशक रख दे थोड़ा-थोड़ा सबमेंलेकिन अपने में अपना कुछ भाग बचाकर रख पास न आने दे हरगिज़ उम्मीदों को ज़्यादाउम्मीदों की दहलीज़ों पर त्याग बचाकर...

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हर्षा त्रिवेदी

हर्षा त्रिवेदी

    युवा कवयित्री।पुस्तकें : ‘सहारों का बंधन’ (नाटक), नाटक, फिल्म पटकथा लेखन एवं अभिनय में विशेष रुचि।संप्रति : विवेकानंद इंस्टिट्यूट ऑफ प्रोफेशनल स्टडीज, दिल्ली में सहायक प्राध्यापक। तुम्हारे मौन में उसके मौन कोअधिक सुनती हूँजिससे कहने के लिएकितना कुछहमेशा...

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रवित यादव

रवित यादव

युवा कवि।दिल्ली विश्वविद्यालय में अध्ययन। धरती के लिए मेरे पास एक दृष्टि थीजो संसार में सबसे अकेली थीएक चेतना थीजिसने मुझे पागल बना दिया था कुछ शब्द थेजो अक्सर मौन रहते थेफिर एक भाषा मिलीजो उस मौन को समझने लगी और क्या था मेरे पास?छोटी-छोटी किस्मत की लकीरों वालाएक बड़ा...

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एकता प्रकाश भारती

एकता प्रकाश भारती

    युवा कवयित्री।विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। अकेलापन पता नहीं इस घर को छोड़नातुम्हारे लिए कितना जरूरी थातुम्हारे घर से जाने के बाद भीमैं इस घर की छत को संभाले हूँयह मकान खाली कर देना पड़ेगाआज नहीं तो कल हमेशा के लिएयह सोचकर घबराती हूँपर सपने...

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हबीब कैफ़ी

हबीब कैफ़ी

    पिछले पांच दशकों से उर्दू-हिंदी में लेखन।चार कथा संग्रह, नौ उपन्यास और एक शायरी संकलन ‘रास्ता मिल जाएगा’। गजल पांव थे नंगे तो छाले पड़ गएधूप में चलने से काले पड़ गए मोतियों की पारखी थीं कल तलकआज उन आंखों में जाले पड़ गए जब नवाज़ा आपने इन्आम सेबाग़ियों के मुंह...

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जया पाठक श्रीनिवासन

जया पाठक श्रीनिवासन

    मुख्यतः पेशे से चित्रकार और कत्थक नर्तकी।कविताओं में गहरी रुचि। नाव और सीता नाव नदी को अपनाघर कहती हैया घाट कोया समझती है खुद कोअब भीएक विस्थापित पेड़... केवट के लिए यह सवालबेमानी थाउसकी चिंता केवलनाव के स्त्री में बदल जाने परटिकी हुई थी रामकेवट की दुविधा...

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रूपम कुमारी

रूपम कुमारी

    युवा कवयित्री।हैदराबाद विश्वविद्यालय में शोधार्थी! नहीं आया वसंत आम के मंजर मेंकोयल की आवाज मेंबच्चों की किलकारी मेंसरसों के खेतों मेंबूढ़ों के चेहरे मेंनहीं आया वसंत स्त्रियों की हँसी मेंविश्वविद्यालय के ज्ञान मेंशिष्य के भान मेंगुरुओं की शान मेंनहीं आया...

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राधेलाल बिजघावने

राधेलाल बिजघावने

    वरिष्ठ रचनाकार।लगभग ३० पुस्तकें प्रकाशित।अद्यतन पुस्तक ‘नवगीत : विचार और संवेदना’। सब्जी वाली औरत सब्जी वाली औरतसब्जी में अपनी अपेक्षाएं और उपेक्षाएं बेचती हैबेचती है इच्छाएं आकांक्षाएं नींद सपनेसब्जी बाजार में सब्जी बेचने वाली औरत का चेहराधीरे-धीरे...

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पूनम शुक्ला

पूनम शुक्ला

    कविता लेखन में सक्रिय।हाल के कविता संग्रह ‘उन्हीं में पलता रहा प्रेम’, ‘सूरज के बीज’। बेटियों की हँसी से जिस घर में बेटियां नहीं होतींमां अकेले उठाए रखती हैपूरे घर का बोझअपने बीमार पड़ जाने केख्याल मात्र से हीवह सिहर उठती हैथोड़ी सी पीड़ा में भीझट दवाइयां...

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विद्याभूषण

विद्याभूषण

    वरिष्ठ कवि और कथाकार।दस कविता संग्रह, दो गीत संग्रह, चार कहानी संग्रह, एक उपन्यास सहित विविघ विधाओं में दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित।दो दैनिक पत्रों के संपादन से संबद्ध। आज की तारीख में कविता १.जंगल जब उजाड़ हो रहे होंऔर शहर में दौड़ रहे हों अजगरदूसरों के हक...

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मेघाली बनर्जी

मेघाली बनर्जी

    युवा कवयित्री।कलकत्ता विश्वविद्यालय के हिंदी विभाग की छात्रा। मैंने लोगों को देखा है मैंने लोगों को जीते देखा हैबच्चों की किलकारियों मेंबारिश की पहली बूंद के गिरने मेंफूलों की पंखुरियों को निहारने मेंमैंने लोगों को जीते देखा है देखा है लोगों कोघड़ी की सुई...

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शिवांक साहू

शिवांक साहू

    युवा कवि।माखनलाल चतुर्वेदी विश्वविद्यालय भोपाल से बीए पत्रकारिता एवं सृजनात्मक लेखन विषय में अध्यनरत। विदा जब हम विदा लेंतो थोड़ा सा अभिनय बचा रहेकम से कम इतना किअचानक रास्ते में टकरा जाएं तोचाय खत्म होने तकएक दूसरे का साथ वहन कर सकेंसाझा कर सकें एक दूजे...

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वियोगिनी ठाकुर

वियोगिनी ठाकुर

    युवा लेखिका।कविता संग्रह- ‘लड़की कैक्टस थी’, ‘मैं किसी कालिदास की मल्लिका नहीं’। प्रेम के लौटने पर देह और मन में इतनी टूटन रहीकि दोनों की पीर मिलाकरबटी जा सकती थी एक रस्सीऔर चढ़ी जा सकती थी उससे फांसीपर मैंने उसे ठीक वैसे ही रोपा इस तन मेंजैसे रोपे जाते...

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रेखा चमोली

रेखा चमोली

    कवयित्री और देहरादून में सहायक प्राध्यापिका। दो कविता संग्रह ‘पेड़ बनी स्त्री’ और ‘उसकी आवाज एक उत्सव है’। ख्वाहिश कितनी छोटी सी ख्वाहिश शाम होतुम्हारा साथ होशहर के कोलाहल से दूर कहींपिघलते सूरज कोपेड़ों से विदा लेते देखें हमजब नदी सोने की तैयारी में होलौट...

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अशोक ‘अंजुम’

अशोक ‘अंजुम’

    कई रचना संग्रह प्रकाशित।‘अभिनव प्रयास’ त्रैमासिक पत्रिका का संपादन। गजल १.जब देखो तब आनाकानी, हाय रब्बाबरसे कंबल भीगे पानी, हाय रब्बा! इक दूजे की आस्तीन में रहते हैंफिर भी दिल है हिंदुस्तानी हाय रब्बा! रातों को गिद्धों के सपने आते हैंजबसे बिटिया हुई...

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शान्ती नायर

शान्ती नायर

    केरल के श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय में वरिष्ठ प्रोफेसर। दस्ताने छोटे छोटे काम करने वाले हाथों मेंमोटे मोटे दस्ताने होते हैंबड़े काम करने वालों केदस्ताने महीन हुआ करते हैं दस्ताने कई चीज़ों से बना करते हैंऊन के दस्तानेकपड़ों के दस्तानेरबड़ के...

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