कविता
पल्लवी शर्मा

पल्लवी शर्मा

    अमेरिका प्रवासी कवयित्री। ‘क्रिटिकल एथनिक स्टडीज और फाइन आर्ट्स’ की प्रोफेसर। दो कविता संग्रह ‘कच्चा रंग’ और ‘कोलतार के पैर’।   चित्र दोनों हाथ रंगे थेऔर कपड़ों पर जहां-तहां छींटेपता नहीं रो रही थींया समझा रही थीं अपने आपकोशब्द नीले पड़ गए थेपंक्तियों से...

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कंचन जायसवाल

कंचन जायसवाल

    बेसिक शिक्षा विभाग में सहायक अध्यापक पद पर कार्यरत। कविता संग्रह ‘स्त्रियां और सपने’, कहानी संग्रह, ‘याद गली का सफ़र’  प्रकाशित। बोधिवृक्ष जब मैंने स्त्री को जानाजैसे छूकर मिट्टी को जानाजैसे छूकर जल को जानाजैसे छूकर अग्नि को जानातुम हो बोधिवृक्षसिद्धार्थ...

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गरिमा सक्सेना

गरिमा सक्सेना

    युवा कवयित्री। तीन नवगीत संग्रह, दो दोहा संग्रह, एक गीत संग्रह, एक प्रेमगीत संग्रह प्रकाशित। प्रतिरोध खड़ा निर्बल कहीं डरी हैचिड़िया, चुनमुनऔर कहीं तितली घायल हैघुंघरू भी आवाज न कर देंडरी-डरी पथ पर पायल है चारों ओर कुहासा फैलादिन में भी फैला अंधियाराबढ़...

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कंचन सिंह

कंचन सिंह

    युवा कवयित्री। पत्र-पत्रिकाओं में कविताएं प्रकाशित। मेरे हठ इंकार की भाषा है हिंदी हमारे सामूहिक दुख की भाषा है हिंदीदादी की कहानियों का सार है मां के कारुणिक गीतों की पुकार हैमैंने हिंदी में ही कहा माँ सेआगे पढ़ना है शहर जाने दो मैंने हिंदी में ही कहा...

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ज्योति मिश्रा

ज्योति मिश्रा

    कवयित्री। विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न। कुछ साझा संकलन। गजल कट गए सारे बगीचे और अमराई गईपेड़ों के झूले गए हैं शोख पुरवाई गई मुद्दतों से इस चमन में खिल रहा कुछ भी नहींभौंरे तितली और बुलबुल की शनासाई गई हुस्न की रंगत गई और इश्क फीका पड़ गयाफूल...

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शांति नायर

शांति नायर

    वरिष्ठ कवयित्री। कविता संकलन- ‘ज्यामिति’। संप्रति श्री शंकराचार्य संस्कृत विश्वविद्यालय, केरल में प्रो़फेसर। अहल्या 1.समय ने दे मारा थाअहल्या तीव्र गति से आईआश्रम की खिड़की पर लगेकांच पर जाकर सीधे गिरीचौंक गए मुनिवरभीतर से वे कांप गएशीशा पहले चटकाफिर...

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श्रद्धा सुनील

श्रद्धा सुनील

    सामाजिक कार्यों से जुड़ी  वरिष्ठ कवयित्री। एक कविता संग्रह ‘हिमालय की कंदराओं में’ प्रकाशित। स्त्रियां पति से सताई गई स्त्रियों कास्त्रैण क्षीण होता है धीरे-धीरेजैसे चंद्रमाअमावस में विलीन होता है धीरे-धीरे मित्र की तलाश में हो सकती हैं स्त्रियांइससे यह न...

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अनुपमा तिवाड़ी

अनुपमा तिवाड़ी

    कवयित्री, कहानीकार और सामाजिक कार्यकर्ता।   हँसी कड़कती ठंड हैपुरुष काम से लौट आए हैंवे अलाव के चारों तरफ जमा हैंदुनिया भर की बातों पर ठहाके निकल रहे हैंपड़ोस की महिला सुन रही हैं ठहाकों कोवे चुप हैंवे कहां हैंदिखाई नहीं देतींपर, तुम समझ सकते हो किवे कहां...

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प्रतिभा चौहान

प्रतिभा चौहान

    युवा कवयित्री। अद्यतन कविता संग्रह ‘पेड़ों पर हैं मछलियां’। संप्रतिः अपर जिला न्यायाधीश, बिहार न्यायिक सेवा। हथेली पर सूरज हथेली पर पिघलता हुआ सूरजऔर मुट्ठी में बंद जिजीविषाअंधेरी रात सी शांत और बेखौफ बचा रहेगा कुछ स्पर्श सूरज काबची रहेगी कुछ शांति...

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आदिवासी  प्रेम कविताएं : सावित्री बड़ाईक

आदिवासी प्रेम कविताएं : सावित्री बड़ाईक

    वरिष्ठ आदिवासी कवयित्री। पुुस्तक ‘आदिवासी देशज संवाद’ और काव्य संग्रह, ‘दिसुम का सिंगार’। तुम्हारे बिना मैं डरती हूँजब तुम जंगल की पगडंडियों सेशहर जाते होजब तुम रेलवे स्टेशन सेकहीं दूर जाने के लिए निकलते होमैं पत्ते की तरह कांपती हूँतुम्हें शहर के बेरहम...

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उपमा ॠचा

उपमा ॠचा

    युवा लेखक और अनुवादक। पुस्तक ‘एक थी इंदिरा’ (इंदिरा गांधी की जीवनी)। मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ’। तुम कर सकते हो क्रांति क्रांति के लिए जरूरी नहीं किचस्पा की जाएंलेनिन, मार्क्स, चेग्वेरा की तस्वीरेंदोहराए जाएं जलते हुए गीतया इंतजार किया जाए किसी ब्लडी संडे...

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जया पाठक श्रीनिवासन

जया पाठक श्रीनिवासन

    वरिष्ठ कवयित्री। पेशे से चित्रकार और कत्थक नर्तकी। चैती (कोयल तोरी बोलिया) मुझे अंदाजा हैकोयल नहीं बोली होगी-आधी रातकेवल गहराती आई होगीजीवन के आने औरबेलौस चले जाने से हतप्रभकोई पुरातन बेचैनी जो दुख मन में नहीं अंटताउसे लपेट लिया होगा तुमनेएक गीत मेंऔर रख...

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रुचि भल्ला

रुचि भल्ला

    युवा कवयित्री। विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में रचनाएँ प्रकाशित। बुतपरस्ती जबकि मैं लिख सकती थी कवितामेरा जन्म कविता लिखने के लिए नहीं हुआ एक बाउल नूडल्स एक फ्लास्क कॉफीजगजीत सिंह की चार गजलों सेहो सकता था मेरे दिन का गुजारा मैं दिन गुजार सकती थीसूरज से नजरें...

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अनामिका सिंह

अनामिका सिंह

      युवा कवयित्री।एक नवगीत संग्रह ‘न बहुरे लोक के दिन’। गजल भीगी आंखें, आंतें खाली, क्या कहना है सब चंगादिन धूसर हैं रातें काली क्या कहना है सब चंगा बूढ़ा बरगद, चलती आरी, देख परिंदे हैरां हैंसदमे से फिर कांपी डाली, क्या कहना है सब चंगा बिटिया अम्मा ताई...

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योगेंद्र पांडेय

योगेंद्र पांडेय

    युवा कवि। विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। संप्रति अध्यापन। परित्यक्त मकान उस परित्यक्त मकान में कैद हैंहजारों सपनेकैद होकर रह गई हैंबच्चों की किलकारियांपिछले कई वर्षों से उस परित्यक्त मकान परअब उग आए हैं घासकिसी की यादों की काईपसर गई है दीवार पर...

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ज्योति मिश्रा

सत्येंद्र कुमार रघुवंशी

    प्रशासकीय पद से सेवानिवृत्त। बाल उपन्यास ‘लहू के प्यासे’, कविता संग्रह ‘शब्दों के शीशम पर’, ‘कितनी दूर और चलने पर’। कुओं में सुबह जी हांकुओं में भी सुबह होती हैउन पलों में झिलमिलाता है उनका पानी ईंटेंजिन्होंने बांधकर रखी हैंउनकी दीवारेंगिनी जा सकती हैं,...

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सुदर्शन वशिष्ठ

सुदर्शन वशिष्ठ

    वरिष्ठ कथाकार। दर्जनों पुस्तकें प्रकाशित। अद्यतन कहानी संग्रह ‘पहाड़ गाथा’। नहीं मरती कभी घास वह तिनका तिनका होकर बिखर गयायह आदमी का मुहावरा है घास का नहींघास नहीं बिखरती तिनका तिनकावह इकट्ठी रहती हैगट्ठर में रहती है घाससमूह में जीती हैजड़ों से कोंपल...

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सबिता एकांशी

सबिता एकांशी

    शोध छात्रा। विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। शांति युद्ध एक दिन टूट जाएगा उनका धैर्यतब स्त्रियां नहीं गाएंगी शोकगीतवे करेंगी एक शांति का युद्धदुनिया की तमाम महफिलें और बाजारतब सुन्न पड़ जाएंगेतुम जितना उखाड़ोगेवे बरगद बनेंगीउग उठेंगी हर बार तुम्हारी...

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ज्योति रीता

ज्योति रीता

    युवा कवयित्री।कविता संग्रह, ‘मैं थिगली में लिपटी थेर हूँ’।संप्रति शिक्षण में। यह देश हमारा है एक विशाल पुस्तकालय मेंकिताबें उदास पड़ी थींजमी धूल उनका उपहास था बेचैन युवाशांत मन की तलाश में पलट रहा था किताबभींच कर मुट्ठी थाम रहा था क़लमकागज से मिटा रहा था...

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ऑशी अग्निहोत्री

ऑशी अग्निहोत्री

    युवा कवयित्री। विभिन्न पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित। महामारी फ्रैंकफर्ट की आम-सी शाम हैएक अदना-सी लड़कीकैंची की तरह बतिया रही हैअपनी सहेली के साथआइसक्रीम पार्लर की ओर लापरवाही सेबढ़ते उसके कदम उसकी बेपरवाही सेबड़े मेल खाते हैंवह जितनी हल्की जितनी मुलायम...

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