वाचन व ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
ज्ञानेंद्रपति की कविता ‘ट्राम में एक याद,’ स्वर : इतु सिंह
कविता : ट्राम में एक यादकवि : ज्ञानेंद्रपति कविता पाठ :इतु सिंह (शिक्षिका खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना/ वाचन :सूर्यदेव रॉय
यदि तुम्हारे घर केएक कमरे में आग लगी होतो क्या तुम दूसरे कमरे में सो सकते हो?यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में लाशें सड़ रहीं होंतो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?यदि हाँतो मुझे तुम से कुछ नहीं कहना है। देश कागज पर बना नक्शा नहीं होताकि एक हिस्से के फट जाने...
बारिश : मंगलेश डबराल, स्वर : प्रियंका गुप्ता
खिड़की से अचानक बारिश आईएक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगायादरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजायाउसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गएवह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थीपुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतरपहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों...
सुरजीत पातर कविता चित्रपाठ
सुरजीत पातरकविता पाठ :इतु सिंह (शिक्षिका खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
कामायनी (श्रद्धा सर्ग) – आवृत्ति : विवेक सिंह
आवृत्ति : विवेक सिंहध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
कविता में आदिवासी : निर्मला पुतुल की कविता ‘उतनी दूर मत ब्याहना बाबा’
बाबा!मुझे उतनी दूर मत ब्याहनाजहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिरघर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हें मत ब्याहना उस देश मेंजहाँ आदमी से ज़्यादाईश्वर बसते हों जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँवहाँ मत कर आना मेरा लगन वहाँ तो क़तई नहींजहाँ की सड़कों परमन से भी ज़्यादा तेज़ दौड़ती हों...
कविता में स्त्री : कैथरकला की औरतें (गोरख पांडे)
तीज – ब्रत रखती धन पिसान करती थींगरीब की बीबीगाँव भर की भाभी होती थीं कैथर कला की औरतेंगाली – मार खून पीकर सहती थींकाला अक्षर भैंस बराबर समझती थींलाल पगड़ी देखकर घर में छिप जाती थींचूड़ियाँ पहनती थीं, होंठ सी कर रहती थीं कैथर कला की औरतेंजुल्म बढ़ रहा था, गरीब – गुरबा...
स्त्री कविता : ए क़ाज़ी ए वक़्त (यासिरा रिज़वी) वाचन : आरती प्रज्ञा
ए क़ाज़ी ए वक़्तइसबार दग़ा न करनामेरे क़ातिल को तुमफिर से रिहा न करनामोजिज़ा है कि ज़िंदा हूं मैंपर हक़ को मार दिया है उसनेये जो घाव हैं मेरे ज़िस्म परइनसे गहरा वार किया है उसनेदिन दहाड़े ख़ंजर चलाकरकानून को दुत्कार दिया है उसनेआंखों देखा, झूठ बताकरअदालत को बाज़ार किया है...
कविता : सुभद्रा कुमारी चौहान, पाठ : संध्या नवोदिता
कविता पाठ : संध्या नवोदिता ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
कविता चित्रपाठ : नवनीता देवसेन, वाचन : शिवानी मिश्रा
एक बार मेरी ओर निगाहें उठाकर देखोमैं तुम्हारी आँखों के भीतर थोड़ा-सा हँसूँ।उस हँसी की दुलार से काँप उठेकाँप उठीं तुम्हारी आँखेंतुम्हारी आँखें शर्माएँकाँपूँ मैं रोऊँ, खड़ी रहूँ।तुम्हारी ही तरह एकाकी, व्याप्तसहस्र आँखों, सहस्र भुजाओंअनादि, अनन्त, अजरअपना अस्तित्व लेकर...
कविता चित्रपाठ : धर्मवीर भारती : तुम मेरे कौन हो कनु?
तुम मेरे कौन हो कनुमैं तो आज तक नहीं जान पाई बार-बार मुझ से मेरे मन नेआग्रह से, विस्मय से, तन्मयता से पूछा है-‘यह कनु तेरा है कौन? बूझ तो !’ बार-बार मुझ से मेरी सखियों नेव्यंग्य से, कटाक्ष से, कुटिल संकेत से पूछा है-‘कनु तेरा कौन है री, बोलती क्यों नहीं?’ बार-बार मुझ...
बालदिवस पर इब्बार रब्बी की कविता : बच्चा घड़ी बनाता है, वाचन : शिवानी मिश्रा
पाँच साल पहले यहाँ घड़ी नहीं थीमैं तब आदमी था आज खच्चर हूँ।पाँच साल पहले यहाँ राशनकार्ड नहीं था,मैं तब हवा था, आज लट्टू हूँ*मैं तब मैं था, आज कोड़ा हूँ;जो अपने पर बरस रहा है।मैंने चाँद को देखा, वह बाल्टी भर दूध हो गया।घड़ी मेरे बच्चे के पाँच साला जीवन में आतंक की तरह...
सिल्विया प्लाथ
मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसारमैं उठाती हूँ अपनी पलकें और सब लौट जाता है फिर एक बार(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में) तारे होते हैं नृत्यरत आसमानी और लालऔर अनियंत्रित अन्धकार लेकर आता है रफ़्तारमैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और...
अवतार सिंह पाश की कविताएं, कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव
कवि : अवतार सिंह पाश कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव (भाषा प्रौद्योगिकी विभाग)ध्वन्यांकन : अनुपमा ऋतु (लेखिका एवं अनुवादक)दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ)प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
आजादी : बालचंद्रन चुल्लिक्काड
मूल लेखक : बालचंद्रन चुल्लिक्काड (मलयालम कवि)अनुवाद: असद जैदीआवृत्ति : सुशील कांतिध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचाविशेष आभार : प्रषेख बोरकर, अभिषेक बोरकर एवं श्रीवाणी।प्रस्तुति : भारतीय भाषा परिषद बालचंद्रन चुल्लिक्काड का जन्म 1958 में हुआ था।...
सर्वेश्वर दयाल सक्सेना कविता ‘रात में वर्षा’ का चित्रपाठ, आवृत्तिकार : सुशील कान्ति
कविता : रात में वर्षाकवि : सर्वेश्वर दयाल सक्सेनाकविता पाठ :सुशील कान्ति ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
नवनीता देवसेन की कविता ‘बारिश होने पर’ का चित्रपाठ, आवृत्तिकार : इतु सिंह
कविता : बारिश होने परकवि : नवनीता देवसेनकविता पाठ :इतु सिंह (शिक्षिका खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
दुष्यंत कुमार कविता चित्रपाठ, आवृत्तिकार : डॉ. विवेक सिंह
कवि : दुष्यंत कुमार कविता पाठ :विवेक सिंह (सहायक प्राध्यापक हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...
रवींद्रनाथ टैगोर, रचना पाठ : सूर्यदेव राय
दो पंछी सोने के पिंजरे में था पिंजरे का पंछी, और वन का पंछी था वन में ! जाने कैसे एक बार दोनों का मिलन हो गया, कौन जाने विधाता के मन में क्या था ! वन के पंछी ने कहा,'भाई पिंजरे के पंछी हम दोनों मिलकर वन में चलें.' पिंजरे का पंछी बोला,'भाई बनपाखी,आओ हम आराम से पिंजरे...
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