मल्टीमीडिया
मुझे कदम-कदम पर : गजानन माधव मुक्तिबोध, वाचन : अनुपम श्रीवास्तव

मुझे कदम-कदम पर : गजानन माधव मुक्तिबोध, वाचन : अनुपम श्रीवास्तव

वाचन : अनुपम श्रीवास्तवध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...

read more
नरेश मेहता की कविता ‘मंत्र-गंध और भाषा’, स्वर : नीतू सिंह भदौरिया

नरेश मेहता की कविता ‘मंत्र-गंध और भाषा’, स्वर : नीतू सिंह भदौरिया

वाचन : नीतू सिंह भदौरियाध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...

read more
विस्लावा शिम्बोर्स्का की कविता ‘बदला कुछ भी नहीं’, स्वर :अनुपमा ॠतु

विस्लावा शिम्बोर्स्का की कविता ‘बदला कुछ भी नहीं’, स्वर :अनुपमा ॠतु

वाचन व ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...

read more
ज्ञानेंद्रपति की कविता ‘ट्राम में एक याद,’ स्वर : इतु सिंह

ज्ञानेंद्रपति की कविता ‘ट्राम में एक याद,’ स्वर : इतु सिंह

कविता : ट्राम में एक यादकवि :  ज्ञानेंद्रपति कविता पाठ :इतु सिंह (शिक्षिका खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...

read more
देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना/ वाचन :सूर्यदेव रॉय

देश कागज पर बना नक्शा नहीं होता :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना/ वाचन :सूर्यदेव रॉय

यदि तुम्हारे घर केएक कमरे में आग लगी होतो क्या तुम दूसरे कमरे में सो सकते हो?यदि तुम्हारे घर के एक कमरे में लाशें सड़ रहीं होंतो क्या तुम दूसरे कमरे में प्रार्थना कर सकते हो?यदि हाँतो मुझे तुम से कुछ नहीं कहना है। देश कागज पर बना नक्शा नहीं होताकि एक हिस्से के फट जाने...

read more
बारिश : मंगलेश डबराल, स्वर : प्रियंका गुप्ता

बारिश : मंगलेश डबराल, स्वर : प्रियंका गुप्ता

खिड़की से अचानक बारिश आईएक तेज़ बौछार ने मुझे बीच नींद से जगायादरवाज़े खटखटाए ख़ाली बर्तनों को बजायाउसके फुर्तील्रे क़दम पूरे घर में फैल गएवह काँपते हुए घर की नींव में धँसना चाहती थीपुरानी तस्वीरों टूटे हुए छातों और बक्सों के भीतरपहुँचना चाहती थी तहाए हुए कपड़ों...

read more
सुरजीत पातर कविता चित्रपाठ

सुरजीत पातर कविता चित्रपाठ

सुरजीत पातरकविता पाठ :इतु सिंह (शिक्षिका खिदिरपुर कॉलेज, कोलकाता)ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु (लेखक, अनुवादक, स्वतंत्र पत्रकार)दृश्य संयोजन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ) प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...

read more
कविता में आदिवासी : निर्मला पुतुल की कविता ‘उतनी दूर मत ब्याहना बाबा’

कविता में आदिवासी : निर्मला पुतुल की कविता ‘उतनी दूर मत ब्याहना बाबा’

बाबा!मुझे उतनी दूर मत ब्याहनाजहाँ मुझसे मिलने जाने ख़ातिरघर की बकरियाँ बेचनी पड़े तुम्हें मत ब्याहना उस देश मेंजहाँ आदमी से ज़्यादाईश्वर बसते हों जंगल नदी पहाड़ नहीं हों जहाँवहाँ मत कर आना मेरा लगन वहाँ तो क़तई नहींजहाँ की सड़कों परमन से भी ज़्यादा तेज़ दौड़ती हों...

read more
कविता में स्त्री : कैथरकला की औरतें (गोरख पांडे)

कविता में स्त्री : कैथरकला की औरतें (गोरख पांडे)

तीज – ब्रत रखती धन पिसान करती थींगरीब की बीबीगाँव भर की भाभी होती थीं कैथर कला की औरतेंगाली – मार खून पीकर सहती थींकाला अक्षर भैंस बराबर समझती थींलाल पगड़ी देखकर घर में छिप जाती थींचूड़ियाँ पहनती थीं, होंठ सी कर रहती थीं कैथर कला की औरतेंजुल्म बढ़ रहा था, गरीब – गुरबा...

read more
स्त्री कविता : ए क़ाज़ी ए वक़्त (यासिरा रिज़वी) वाचन : आरती प्रज्ञा

स्त्री कविता : ए क़ाज़ी ए वक़्त (यासिरा रिज़वी) वाचन : आरती प्रज्ञा

ए क़ाज़ी ए वक़्तइसबार दग़ा न करनामेरे क़ातिल को तुमफिर से रिहा न करनामोजिज़ा है कि ज़िंदा हूं मैंपर हक़ को मार दिया है उसनेये जो घाव हैं मेरे ज़िस्म परइनसे गहरा वार किया है उसनेदिन दहाड़े ख़ंजर चलाकरकानून को दुत्कार दिया है उसनेआंखों देखा, झूठ बताकरअदालत को बाज़ार किया है...

read more
कविता : सुभद्रा कुमारी चौहान, पाठ : संध्या नवोदिता

कविता : सुभद्रा कुमारी चौहान, पाठ : संध्या नवोदिता

कविता पाठ : संध्या नवोदिता ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...

read more
कविता चित्रपाठ : नवनीता देवसेन, वाचन : शिवानी मिश्रा

कविता चित्रपाठ : नवनीता देवसेन, वाचन : शिवानी मिश्रा

एक बार मेरी ओर निगाहें उठाकर देखोमैं तुम्हारी आँखों के भीतर थोड़ा-सा हँसूँ।उस हँसी की दुलार से काँप उठेकाँप उठीं तुम्हारी आँखेंतुम्हारी आँखें शर्माएँकाँपूँ मैं रोऊँ, खड़ी रहूँ।तुम्हारी ही तरह एकाकी, व्याप्तसहस्र आँखों, सहस्र भुजाओंअनादि, अनन्त, अजरअपना अस्तित्व लेकर...

read more
कविता चित्रपाठ : धर्मवीर भारती : तुम मेरे कौन हो कनु?

कविता चित्रपाठ : धर्मवीर भारती : तुम मेरे कौन हो कनु?

तुम मेरे कौन हो कनुमैं तो आज तक नहीं जान पाई बार-बार मुझ से मेरे मन नेआग्रह से, विस्मय से, तन्मयता से पूछा है-‘यह कनु तेरा है कौन? बूझ तो !’ बार-बार मुझ से मेरी सखियों नेव्यंग्य से, कटाक्ष से, कुटिल संकेत से पूछा है-‘कनु तेरा कौन है री, बोलती क्यों नहीं?’ बार-बार मुझ...

read more
बालदिवस पर इब्बार रब्बी की कविता : बच्चा घड़ी बनाता है, वाचन : शिवानी मिश्रा

बालदिवस पर इब्बार रब्बी की कविता : बच्चा घड़ी बनाता है, वाचन : शिवानी मिश्रा

पाँच साल पहले यहाँ घड़ी नहीं थीमैं तब आदमी था आज खच्चर हूँ।पाँच साल पहले यहाँ राशनकार्ड नहीं था,मैं तब हवा था, आज लट्टू हूँ*मैं तब मैं था, आज कोड़ा हूँ;जो अपने पर बरस रहा है।मैंने चाँद को देखा, वह बाल्टी भर दूध हो गया।घड़ी मेरे बच्चे के पाँच साला जीवन में आतंक की तरह...

read more
सिल्विया प्लाथ

सिल्विया प्लाथ

मैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और मृत हो जाता है यह संसारमैं उठाती हूँ अपनी पलकें और सब लौट जाता है फिर एक बार(सोचती हूँ, तुम्हें गढ़ा हैं मैंने अपने जेहन में) तारे होते हैं नृत्यरत आसमानी और लालऔर अनियंत्रित अन्धकार लेकर आता है रफ़्तारमैं बन्द करती हूँ अपनी आँखें और...

read more
अवतार सिंह पाश की कविताएं, कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव

अवतार सिंह पाश की कविताएं, कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव

कवि : अवतार सिंह पाश कविता पाठ : अनुपम श्रीवास्तव (भाषा प्रौद्योगिकी विभाग)ध्वन्यांकन : अनुपमा ऋतु (लेखिका एवं अनुवादक)दृश्य संयोजन-सम्पादन : उपमा ऋचा (मल्टीमीडिया एडीटर वागर्थ)प्रस्तुति : वागर्थ, भारतीय भाषा पारिषद...

read more
आजादी : बालचंद्रन चुल्लिक्काड

आजादी : बालचंद्रन चुल्लिक्काड

मूल लेखक : बालचंद्रन चुल्लिक्काड (मलयालम कवि)अनुवाद: असद जैदीआवृत्ति : सुशील कांतिध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचाविशेष आभार : प्रषेख बोरकर, अभिषेक बोरकर एवं श्रीवाणी।प्रस्तुति : भारतीय भाषा परिषद बालचंद्रन चुल्लिक्काड का जन्म 1958 में हुआ था।...

read more