पाँच साल पहले यहाँ घड़ी नहीं थीमैं तब आदमी था आज खच्चर हूँ।पाँच साल पहले यहाँ राशनकार्ड नहीं था,मैं तब हवा था, आज लट्टू हूँ*मैं तब मैं था, आज कोड़ा हूँ;जो अपने पर बरस रहा है।मैंने चाँद को देखा, वह बाल्टी भर दूध हो गया।घड़ी मेरे बच्चे के पाँच साला जीवन में आतंक की तरह...

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