मल्टीमीडिया
नरेश मेहता की कृति ‘महाप्रस्थान’ (अंश) का चित्रपाठ

नरेश मेहता की कृति ‘महाप्रस्थान’ (अंश) का चित्रपाठ

हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार नरेश मेहता के जन्मदिन के अवसर पर महाभारत पर आधारित ‘महाप्रस्थान’ के यात्रापर्व (अंश) का चित्रपाठ - आवृत्ति : अनुपम श्रीवास्तव एवं संध्या नवोदिता ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुनृत्य प्रस्तुति : दामिनी विष्ट, सुप्रतिम तालुकदार एवं सुभाष...

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जयशंकर प्रसाद की कविताएं : आत्मकथ्य और बीती विभावरी जाग री

जयशंकर प्रसाद की कविताएं : आत्मकथ्य और बीती विभावरी जाग री

हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार जयशंकर प्रसाद के जन्मदिन के अवसर पर वागर्थ की विशेष प्रस्तुति - आवृत्ति : डॉ. विवेक सिंहध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु कविता : बीती विभावरी जाग रीगायन : अजय रायनृत्य प्रस्तुति : डॉ स्मृति बाघेला वीडियो संयोजन एवं संपादन : उपमा ऋचाप्रस्तुति :...

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जा तू अपनी राह बटोही : उपेंद्रनाथ अश्क

जा तू अपनी राह बटोही : उपेंद्रनाथ अश्क

हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार उपेंद्रनाथ अश्क के जन्मदिन के अवसर पर उनके अल्पज्ञात कवि रूप को समर्पित वागर्थ की विशेष प्रस्तुति. रचना : जा तू अपनी राह बटोहीरचनाकार : उपेंद्रनाथ अश्क आवृत्ति : आयुष श्रीवास्तवध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु, संपादक अबे कलजुग! हिंदी की पहली...

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चाहिए मुझे मेरा असंग बबूलपन : गजानन माधव मुक्तिबोध

चाहिए मुझे मेरा असंग बबूलपन : गजानन माधव मुक्तिबोध

हिंदी साहित्य के कालजयी रचनाकार गजानन माधव मुक्तिबोध के जन्मदिन के अवसर पर वागर्थ की विशेष प्रस्तुति - आवृत्ति : डॉ. विवेक सिंह, सहायक प्राध्यापक हिंदी विभाग, काशी हिंदू विश्वविद्यालय ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतु, युवा लेखिका एवं अनुवादक दृश्य संयोजन एवं संपादन : उपमा...

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क्यों ज़रूरी हैं गांधी.

क्यों ज़रूरी हैं गांधी.

यक़ीनन महात्मा गांधी बहुत दोहराया गया विषय है, परंतु चरखा कातने से लेकर लेखन तक और दलित सुधार, गौ रक्षा, ग्राम स्वराज, प्राकृतिक चिकित्सा, अंत्योदय और श्रम की पूंजी के समर्थन से लेकर सत्य, अहिंसा और सत्याग्रह तक उनके व्यक्तित्व के इतने कोण हैं। इतनी संभावनाएं हैं कि...

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अफ़ग़ानिस्तान की बेटियां

अफ़ग़ानिस्तान की बेटियां

आज़ाद हवाओं में सांस लेने वालों के लिए कविता एक शगल हो सकती है, लेकिन बारूदी धुएँ से घुटी फिज़ाओं वाले अफगानिस्तान जैसे देशों में कवि होना, गुमनामियों और मौत को दावत देना है। खासतौर पर तब, जबकि आप एक स्त्री हों। लेकिन मायने तो इसी बात के हैं कि जब मौत सामने खड़ी हो तब आप...

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भारत : एक देश, अनेक दृष्टियां

भारत : एक देश, अनेक दृष्टियां

स्वतंत्रता दिवस के अवसर पर वागर्थ की विशेष मल्टी मीडिया प्रस्तुति फ़िराक़ एवं सुब्रह्मण्यम भारती रचना पाठ : गुरी, चिकित्सक डेन्वर कॉलरॉडो।वाचन स्वर एवं ध्वनि संयोजन : अनुपमा ऋतुदृश्यांकन एवं संयोजन : उपमा ऋचासंगीत : ईशा योग केंद्रप्रस्तुति : वागर्थ भारतीय भाषा परिषद्...

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कविता चित्रपाठ :  मैं अकेली हूं, जिसकी क़यामत है

कविता चित्रपाठ : मैं अकेली हूं, जिसकी क़यामत है

अंग्रेजी साहित्य के क्लासिक 'Wuthering Heights' की रचनाकार एमिली ब्रोंटे जन्मदिन के अवसर पर वागर्थ की विशेष प्रस्तुति कविता चित्रपाठ : रचना : मैं अकेली हूं, जिसकी क़यामत है रचनाकार : एमिली ब्रोंटे आवृत्ति : प्रियंका गुप्ता अनुवाद, संयोजन एवं संपादन : उपमा ऋचा...

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धरोहर : बातें प्रेमचंद की

धरोहर : बातें प्रेमचंद की

महादेवी वर्मा : 'प्रेमचंदजी के व्यक्तित्व में एक सहज संवेदना और ऐसी आत्मीयता थी, जो प्रत्येक साहित्यकार को प्राप्त नहीं होती। अपनी गम्भीर मर्मस्थर्शनी दृष्टि से उन्होंने जीवन के गंभीर सत्यों, मूल्यों का अनुसंधान किया और अपनी सहज सरलता से, आत्मीयता से उसे सब ओर दूर-दूर...

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पिता को समर्पित चार कविताएं

पिता को समर्पित चार कविताएं

रचना : मेले, रचनाकार :जावेद अख्तर रचना : दिवंगत पिता के लिए, रचनाकार :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना रचना : पिता से गले मिलते, रचनाकार :कुंवर नारायण रचना : चाय पीते हुए, रचनाकार :अज्ञेय संयोजन एवं संपादन :उपमा ऋचा प्रस्तुति : वागर्थ,भारतीय भाषा...

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वे आँखें : सुमित्रानंदन पंत

वे आँखें : सुमित्रानंदन पंत

प्रकृति के सुकुमार कवि सुमित्रानंदन पंत की ने महज़ सुकुमार रंगों को ही नहीं सहेजा, उनकी दृष्टि सृष्टि के उस छोर तक गई, जहां जीवन के सबसे दारुण रंग बिखरे थे। यह समय, यह दुख की दारुण बेला जो हमारे सामने है उसमें उनकी यह कविता और प्रासंगिक हो उठी है। दुख की छाया ने सबको...

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कितना वसंत है इस पतझर में : उपमा ऋचा

कितना वसंत है इस पतझर में : उपमा ऋचा

'वज्रादपि कठोर-मृदुनि कुसुमादपि' निराला एक विराट समष्टि का नाम है। जीवन को कविता में और कविता को जीवन में उतारकर वंचितों और उपेक्षितों की वेदना, भूख, मान को अपनी आत्मा में महसूस करने वाला साधक 'निराला' है। वो महाकाव्य का नायक है। वो इतिहास है। इतिहास पुरुष है। वो...

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पतझर, वसंत और प्रेम की तीन कविताएं

पतझर, वसंत और प्रेम की तीन कविताएं

मालवा की गंध में रचे-बसे नरेश मेहता की जन्मशती के अवसर पर वागर्थ की मल्टी-मीडिया प्रस्तुति प्रत्येक नई अभिव्यक्ति को आरंभ में विरोध सहना होता है, लेकिन वर्चस्व वरेण्य बनकर ही रहता है। कल तक, आज की कविता उपेक्षिता थी, लेकिन आज स्वीकृता है। इसका एकमात्र कारण इस काव्य की...

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कामायनी स्वप्न सर्ग : एक पाठ, एक दृष्टि

कामायनी स्वप्न सर्ग : एक पाठ, एक दृष्टि

"बुद्धिवाद के विकास में, अधिक सुख की खोज में, दुःख मिलना स्वाभाविक है. यह आख्यान इतना प्राचीन है कि इतिहास में रूपक का भी अद्भुत मिश्रण हो गया है. इसलिए मनु, श्रद्धा और इड़ा इत्यादि अपना ऐतिहासिक महत्व रखते हुए, सांकेतिक अर्थ की अभिव्यक्ति करें, तो मुझे कोई आपत्ति...

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गुलाबी चूड़ियां : बाबा नागार्जुन

गुलाबी चूड़ियां : बाबा नागार्जुन

जीवन एक अनंत राग है, यह राग जब किसी साज़ पर जा ठहरता है तो सुर सहेजे जाते हैं और यही राग जब किसी कवि के मन में उतरता है तो लिखी जाती है कविता! आइए वागर्थ की विशेष मल्टीमीडिया प्रस्तुति 'कविता चित्रपाठ' के क्रम में इस बार सुनते हैं एक ऐसे ही राग में ढली नागार्जुन की...

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2020 नोबल विजेता लुईस ग्लूक की कविताएं

2020 नोबल विजेता लुईस ग्लूक की कविताएं

कविता मन से मन का संवाद है। माने एक मन, मुंह बनकर संदेश देता है और एक मन, कान बनकर उसे ग्रहण करता है। बस इतना ही; इससे ज़्यादा कुछ नहीं, लेकिन इससे कम भी कुछ नहीं! क्योंकि मेरे लिए कानों से ग्रहण किया गया, कविता का अनुभव आंखों से प्रेषित होता है। (इसलिए कवि के रूप में)...

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