शंभुनाथ उपनिषद में भाषा को ‘मन की नहर’ कहा गया है। वह मानव चित्त का प्रतिबिंब होने के अलावा समूची सभ्यता का प्रतिबिंब है। हम जो बोलते हैं, उसमें इसकी झलक होती है कि समाज किस तरफ जा रहा है। खासकर बहस की भाषा से सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास की दिशा का बोध हो सकता है।...

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