लघुकथा
रोटी का हिसाब : तनवीर अख़्तर रूमानी

रोटी का हिसाब : तनवीर अख़्तर रूमानी

उसका पति साल भर पहले ही दुनिया से गुजर चुका था। अब अपने तीन बच्चों का पालन-पोषण उसके जिम्मे था। वह दिन भर शहर के बाजारों में घूम-फिर कर कागज, प्लास्टिक और गत्ते आदि के टुकड़े चुनती थी। उसकी सबसे बड़ी आठ वर्षीय बेटी भी यही काम करती थी। मंझला और छोटा बेटा, दोनों दिन भर...

read more
कैदी : ज्ञानदेव मुकेश

कैदी : ज्ञानदेव मुकेश

दयाल ने गुप्ता से शिकायत की, ‘तुमलोगों ने एकदम आना-जाना ही छोड़ दिया!’गुप्ता ने मोबाइल से नजरें हटाकर कहा, ‘बहुत व्यस्तता रहती है। समय कहां मिलता है!’दयाल ने पूछा, ‘भाभी जी और बच्चे कहाँ हैं?’गुप्ता ने बताया, ‘अपने-अपने कमरे में।’दयाल भाभी जी के कमरे में गए। वे भी...

read more
कुंडल नहीं कवच : ट्विंकल सिंह तोमर

कुंडल नहीं कवच : ट्विंकल सिंह तोमर

‘ये देख लक्ष्मी... कितनी सुंदर साड़ी है!’ जमुना ने अपनी सखी से हर्षित स्वर में कहा। साड़ी का धानी रंग लक्ष्मी की आंखों को लुभा गया, पर साड़ी पर हाथ भी न धरा। आगे एक चादर पर सुंदर जेवर सजे थे। जमुना ने चांद जैसे आकार वाले कुंडल उठा लिए- ‘ये देख लक्ष्मी, कितने सुंदर हैं...

read more
चार लघुकथाएं :फरहत अली खान

चार लघुकथाएं :फरहत अली खान

हादसा जब वह घर से निकला तो रास्ते में एक अजनबी से सामना हुआ। उसे लगा कि वह शख़्स रो रहा है। या फिर उसकी सूरत ही ऐसी है। शायद लगातार दुख और तकलीफें सहने की वजह से उसकी शक्ल ऐसी हो गई है। दोनों अपनी-अपनी रफ्तार से चल रहे थे। इसलिए वह बस कुछ ही पल के लिए उसका चेहरा पढ़...

read more
परवरिश : मीरा जैन

परवरिश : मीरा जैन

सुबह-सुबह  ठेकेदार को अचानक अपने दरवाजे पर आया देख सुखदेव आश्चर्यचकित रह गया। चरण स्पर्श करते हुए बोला- ‘आइए मालिक! आपके चरण इस घर में पड़ गए, मेरा घर धन्य हो गया। कैसे आना हुआ आपका?’ ‘सुखदेव! मेरे नए निर्माण स्थल पर तुम दोनों पति-पत्नी मात्र एक दिन ही काम पर आए, क्या...

read more
घोंसला : गोविन्द भारद्वाज

घोंसला : गोविन्द भारद्वाज

‘मैं शाम को दफ्तर से लौटकर आऊं तो यह चिड़िया का घोंसला मुझे दिखना नहीं चाहिए, समझे...!’ रवि बाबू ने बड़े बेटे पर बरसते हुए कहा। ‘पापा चिड़िया के घोंसले में अभी छोटे-छोटे अंडे हैं...। अभी घोंसले को कैसे बाहर फेंक सकते हैं...! कुछ दिन इंतजार कर लेते हैं। बच्चे उड़ने लायक हो...

read more
नीला बैग : राजेश पाठक

नीला बैग : राजेश पाठक

ॠतेश पूजा की छुट्टी में घर जाने के लिए गिरिडीह स्टेशन पर एक लोकल ट्रेन में सवार हुआ। ट्रेन में काफी भीड़ थी। पैर रखने की जगह मुश्किल से मिल पा रही थी। थोड़ी देर बाद अगला स्टेशन आने वाला था। ट्रेन की गति धीमी हो गई। उतरने वाले गेट पर एक लंबा कद वाला व्यक्ति ॠतेश से, नीले...

read more
जूते की महिमा (बांग्ला) :कल्याण मंडल, अनुवाद :इबरार खान

जूते की महिमा (बांग्ला) :कल्याण मंडल, अनुवाद :इबरार खान

भानु कैवर्त, जग्गू बूनो, मना चांडाल और कदम शेख़ को दरबार में हाजिर किया गया। हालांकि, इन चारों में से कोई भी यह नहीं जानता कि आखिर इनका अपराध क्या है। जानना जरूरी भी नहीं। जबकि दरबार में उपस्थित अन्य सभी भली-भांति जानते हैं कि इनमें से हर एक ने जो अपराध किया है वह बहुत...

read more
खूबसूरती : उपमा शर्मा

खूबसूरती : उपमा शर्मा

ऑपरेशन थियेटर में लेडी डाक्टर की बातचीत कानों में पड़ने पर काजल ने आंखें खोलीं। वह टांके लगा रही थी। दर्द से काजल की आंखों में आँसू आ गए थे। उसे समझ में नहीं आ रहा था कि कौन सा दर्द ज्यादा है- शरीर का या अपनी खूबसूरती खत्म होने का। उसे सहेलियों की बातें याद आ रही थीं,...

read more
थिंक पॉजिटिव : आलोक सतपुते

थिंक पॉजिटिव : आलोक सतपुते

पहला दोस्त (पाउच खोलते हुए) - ले सौंफ खा ले। दूसरा दोस्त - नहीं, मैंने सौंफ खाना छोड़ दिया है। पहला दोस्त - क्यों भला? दूसरा दोस्त- कुछ दिन पहले तक मैं इसी ब्रांड के पाउच की सौंफ खाता था। लेकिन एक बार इस पाउच को खोलकर मुंह में लिया ही था कि मुंह में कुछ गड़ने का अहसास...

read more
अंतर्द्वंद्व : अरिमर्दन कुमार सिंह

अंतर्द्वंद्व : अरिमर्दन कुमार सिंह

नई पोस्टिंग वाली जगह पर एक फलवाले से परिचय बढ़ गया। वह हमें खरीद दाम पर फल दे देता था। एक दिन उसने मुझको फोन किया, ‘सर, दस हजार रुपए की सख्त जरूरत है। जुगाड़ हो जाएगा? मेरा एटीएम कार्ड पता नहीं कहां खो गया है। मेरे लड़के ने दुबई से पैसा भेजा है, परंतु पैसा दो दिनों बाद...

read more
हथौड़ा : राम करन

हथौड़ा : राम करन

फाइल लेकर बाहर निकला तो देखा बरामदे के बाहर एक मजदूर हाथ में कुल्हाड़ी जैसा बड़ा हथौड़ा लेकर खड़ा था। मैं उससे कुछ कहता, उससे पहले वह बोल पड़ा, ‘साहेब, फर्श क्यों तुड़वा रहे हैं?’ मैंने फर्श को गौर से देखा। मुझे समझते देर नहीं लगी। फंड आया हुआ था, उसे खर्च करना था। पूरे...

read more
हकीम की दवा : मनोहर जमदाडे

हकीम की दवा : मनोहर जमदाडे

‘दवा ले लो! दवा ले लो!’ कहते हुए एक हकीम चैननगर पहुँच। गांव के बीचों-बीच आकर ‘चमत्कारिक दवा ले लो!’ कहकर जोर-जोर से गला फाड़ने लगा। हकीम की आवाज सुनकर मिनटों में भीड़ का सैलाब उमड़ आया।  ‘सचमुच चमत्कारिक दवा है आपकी?’ गांव के मुखिया ने आगे आकर पूछा। ‘जरूर, सौ जड़ीबूटियों...

read more
गुड्डे को सॉरी बोलो : मनोज चौहान

गुड्डे को सॉरी बोलो : मनोज चौहान

ऑफिस से लौटकर और हाथ-मुंह धोकर जैसे ही नरेन चाय पीने बैठा, उसने देखा कि पास ही तीन साल की बिटिया शिवन्या खिलौने से खेलने में व्यस्त है। हमेशा की तरह उसने रिमोट पर अपना हक जमाया हुआ है। नरेन के टीवी का रिमोट मांगने पर नन्ही शिवन्या ने कहा, ‘पापा, पहले मेरे गुड्डे को...

read more
चिराग तले अंधेरा : सेराज खान बातिश

चिराग तले अंधेरा : सेराज खान बातिश

फकीर मास्टर मुहल्ले के प्रसिद्ध लोगों में थे। एक हकीकत यह है कि वे अंत तक हाई स्कूल पास नहीं कर पाए थे। जब भी बेवजह वे पीठ पर कूबड़ बनाते हुए बातें करते, उन्हें देख कर हँसी आ जाती और वे गंभीर हो जाते। बच्चे उनसे खुश रहते और अभिभावक संतुष्ट। बच्चों को प्यार से सिखाना,...

read more
मांड़ का मजहब : मार्टिन जॉन

मांड़ का मजहब : मार्टिन जॉन

‘घबड़ाओ नहीं कासिम। बेफ़िक्र होकर बताओ।’ ‘सर, मेरे मोबाइल में अंजान नंबरों से मुझे जान से मारने की धमकियां दी जा रही हैं। ‘क्यों? ऐसा क्या किया तुमने?’ ‘मेरी बीवी रोज़ नाली में मांड़ बहाने के बजाए उसे गली मोहल्ले की गायों को पिला देती है।’ ‘मांड तो कोई गंदी चीज़ नहीं है।...

read more
नींद का हरकारा : ज्ञानदेव मुकेश

नींद का हरकारा : ज्ञानदेव मुकेश

बूढ़े दादा-दादी रात के भोजन के बाद बड़े चिंतित थे, क्योंकि उन्हें नींद बिलकुल नहीं आ रही थी। कल उनके पोते का जन्मदिन था। दादी के कहा, ‘संदूक में एक पुराना खिलौना रखा है, वह दे देते हैं।’ दादा ने कहा, ‘हां, कुछ साल पहले लिया था, मगर किसी को दे नहीं पाया था। जरा देखो, नया...

read more
बिना टिकट : गजेंद्र रावत

बिना टिकट : गजेंद्र रावत

उसे एक्टिंग का बहुत शौक है। न जाने कितनी बार स्कूल से बंक मारकर उसने ढेरों फिल्में देख डाली थीं। वह मुंबई की फिल्मी दुनिया के सपने देखने लगा था। लेकिन क्या करे, वहां का कोई जुगाड़ बैठ नहीं पा रहा था। एक दिन हिम्मत करके वह बिना टिकट ही ट्रेन पर चढ़ गया। उसकी जेब में...

read more
अनुत्तरित प्रश्न : ज्योति मिश्रा

अनुत्तरित प्रश्न : ज्योति मिश्रा

छड़ी हथेली पर लगी तो एक छोटी कक्षा में चीकू की रुलाई फूट पड़ी। मास्टर साहब ने गुस्से में चीकू की उत्तर पुस्तिका छीनते हुए कड़क आवाज में कहा, ‘परीक्षा में नकल करते हो...! क्या नकल करके लिखा है, दिखाओ।’ चीकू ने सहमी हुई आवाज में कहा, ‘...मास्टर जी! कुछ नहीं। बस एक सवाल का...

read more
मुस्कान : पूजा भारद्वाज

मुस्कान : पूजा भारद्वाज

आज बस जैसे ही रेलवे क्रॉसिंग से निकली सामने से आती रोडवेज बस को मैंने ध्यान से देखा। आज भी वही दूसरा ड्राइवर था। मुझे चिंता हुई। दूसरेे दिन रेलवे क्रॉसिंग पर ट्रेन आने के इंतजार के दौरान मैं बस से उतरा और दूसरी तरफ खड़ी रोडवेज की ओर चला आया। बस ड्राइवर को राम-राम कर...

read more