अद्यतन बाल कहानी संग्रह ‘डस्टबिन में पेड़’, सहायक अभियंता, राजस्थान सरकार
‘आप जिस व्यक्ति से संपर्क करना चाहते हैं, वह उत्तर नहीं दे रहा। कृपया कुछ देर बाद पुनः प्रयास करें।’ पिछले आधे घंटे से लगातार इकलौते बेटे को फोन लगाता पिता आखिर यह ऑटो रिप्लाई सुनते-सुनते झुंझला गया।
’एक घंटे कहकर गया था लेकिन तीन होने को आए और जनाब का अतापता नहीं है। ऊपर से फोन उठाना भी अपनी शान के खिलाफ समझते हैं। होगा कहीं दोस्तों के साथ!’ नई पीढ़ी को कोसता पिता बड़बड़ाया।
काफी देर बाद बेटा आया। गुस्से में तमतमाया पिता कुछ कहने ही वाला था कि बेटा बोला, ‘आप भी न पापा! एक बार शुरू हो जाते हो तो रुकने का नाम नहीं लेते। फोन पर फोन। एक बार, दो बार में कोई न उठाए तो समझ जाना चाहिए कि बिजी होगा।’
‘जानता हूँ कहाँ बिजी होंगे। मस्ती कर रहे होंगे अपने लफंगे दोस्तों के साथ।’ पिता ने भड़ास निकाली।
‘हाँ, मस्ती ही कर रहे थे’ बेटे ने चिढ़ कर कहा। दोनों ओर चुप्पी।
‘एक दोस्त बहुत अपसेट था। मार्क्स कम आए हैं। उसी को चीयर अप कर रहे थे। बड़ी मुश्किल से नार्मल हुआ है।’ बेटे ने अपने कमरे में जाते-जाते कहा।
‘चोंचले तो देखो इनके। अपसेट दोस्त को चीयर अप कर रहे थे। अरे, हम फेल हो जाते थे तब भी कोई अपसेट नहीं होता था।’ पिता ने हाथ नचाते हुए व्यंग्य किया। भीतर जाता बेटा रुक गया। वापस मुड़ा और पिता के सामने खड़ा हो गया।
‘आप लोग भाई-बहन ही इतने सारे होते थे कि शायद दोस्तों की जरूरत ही नहीं पड़ती होगी। हमारे लिए तो ये दोस्त ही भाई-बहन हैं।’ बेटे ने कहा और तेजी से पलट गया।
निरुत्तर पिता के सामने उनका बचपन और दालान भर सगे-चचेरे-ममेरे भाई-बहनों का झुंड शोर मचाता, मस्ती करता घूमने लगा।
A-123, करणी नगर (लालगढ़) बीकानेर- 334001 9413369571
पीढ़ियों के टकराव का सहज चित्रण
Very true. Nice story. Thanks
Thanks