लेखक और अनुवादक।

एलिज़ाबेथ बिशप

अमरीकन लेखिका एवं कवयित्री। 1956 में पुलित्ज़र प्राइज़, 1970 में नेशनल बुक एवार्ड और 1976 में इंटरनेशनल प्राइज़ फॉर लिटरेचर से सम्मानित।

एक कला

खोने की कला में सिद्धहस्त होना
कोई बहुत बड़ी बात नहीं है
कितनी सारी चीजें खो जाने के इरादे से
इस कदर भरी नजर आती हैं
कि उनका खोना कोई आफत नहीं लाता

इसके लिए बस हर दिन कुछ खोना होता है
भले कोई बहुत छोटी-सी चीज ही
जैसे… जैसे दरवाजे की चाबियां
लेकिन उनकी चिंता में बेदर्दी से खर्च किए वक्त से
इनकार मत करना
कुबूल लेना अपनी बेचैनी और तड़प
क्योंकि खोने की कला में सिद्धहस्त होना
इतनी बड़ी बात नहीं है
बस खोने, और ज़्यादा खोने,
और तेज़ी से खोने का अभ्यास जारी रखना
जगह, नाम और वो शहर; जहां जाने के लिए तुमने
रास्ते बुने थे
मेरा यकीन करें
इनमें से किसी का भी खोना आफत नहीं लाएगा

मुझे देखो
मैंने अपनी मां की घड़ी खो दी
दो प्यारे शहर खो दिए
मेरे तीनों आखिरी घर चले गए
कुछ साम्राज्य
दो नदियां और एक महाद्वीप भी
मगर मैं अभी भी हूँ

मैं उन्हें याद करती हूँ
उनकी कमी महसूस करती हूँ
लेकिन यह कोई आफतशुदा बात नहीं
यहां तक कि तुम्हें खोना भी
कोई आफत नहीं लाएगा
और यह इस बात का सबूत है कि
खोने की कला में सिद्धहस्त होना
इतनी बड़ी बात नहीं है
हालांकि ये लगती आफत जैसी हैं…

मर्लिन चिन

दुनियाभर में पढ़ीपढ़ाई जाने वाली चाइनीज़अमरीकन नारीवादी कवयित्री। लेखिका होने के साथ अंग्रेजी की प्रो़फेसर, संपादक और सामाजिक कार्यकर्ता।

ऑरेगन के अस्पताल में

श्शऽऽऽ मेरी दादी मां सो रही हैं
उनकी आंखें हिरन की तरह काली और खाली हैं
उन्होंने आखिरी घंटों में दादी को मार्फीन दी थी
शायद ये मार्फीन का असर है जो
वो बार-बार कह रही हैं
कि उसे मेरे दादा जी की आवाज सुनाई दे रही है
कि दादा जी उसे पुकार रहे हैं
तभी बीमार डग्लस
हैमलोक (एक सदाबहार पेड़) से उड़कर
एक डियरफ्ली (परजीवी)
आसुओं के सहारे उस दृश्य में दाखिल हुआ
और दादी के टखनों से कोहनी तक उड़ता हुआ
कान पर बैठ गया
अब वे दोनों एक साथ
किसी पुरानी घाटी की आवाज सुन रहे हैं।

एडवर्ड एम. हिर्स्च

अमरीकन कवि और आलोचक। हाउ टु रीड ए पोइमशीर्षक बेस्ट सेलर पुस्तक के लेखक।

आखिरी शाम कैसी होगी?

तुम
समंदर के रास्ते पर बने
एक सूने कैफे की
छोटी-सी खिड़की के सहारे बैठे हो
रात गाढ़ी होकर झरने लगी है
कैफे का मालिक दरवाजे बंद कर रहा है
मगर तुम अब भी
हौले-हौले गर्माहट फेंकते स्टोव पर झुके हुए हो
अचानक तुम
लहरों में गुम होते
आखिरी नीलेपन को देखने के लिए
किनारे की ओर चल पड़ते हो
तुम एक छोटे-से घर में रहते हो
निहायत ही तंग जगह में
जो गुजरते पलों के साथ और तंग होती जाती है
लेकिन समंदर और आसमान भी तुम्हारा है
और तुम्हारे आसपास कोई भी नहीं है
इन गीले कोहरों और रहस्यपूर्ण गहराइयों से
घूंट भर समय पीने के लिए
इस घूमते हुए ब्रह्मांड के साथ तुम अकेले हो
निपट अकेले
जहां अनंत रात्रि है और असीमित मौन।