राजस्थान में सरकारी अधिकारी।तीन कविता संग्रह अनुभूति’, ‘कि आदमी का मरे नहीं पानी’  और  उजास के अर्थप्रकाशित।

पेड़ और कविता

वे पेड़
जो कटे होंगे आर्तनाद करते हुए
उनसे बने कागज पर
प्रेम कैसे लिखा जा सकता है
कैसे उकेरा जा सकता है उसपर सिंगार

बस इसलिए
करुणा मेरी कविता का हिस्सा होती है।

गिनती

युद्ध की हिंसा में लोग मरते हैं
गिनती अपने-अपने हिसाब से होती है

युद्ध में पेड़ों के झुलसने
और फूलों के कुचलने का हिसाब
कौन रखता है भला

जिस दिन सत्ताएं फूल और पेड़ों की हत्या का
हिसाब रखने लगेंगी
निश्चिंत हो जाएगी मनुष्यता
कोई युद्ध नहीं होगा तब।

प्रतीक्षा

यूक्रेन की सड़कों पर लड़ते रूस के सैनिक
यूक्रेन की धरती पर लगे पेड़ों की प्राणवायु से
जिंदा रखे हुए थे खुद को

मजे की बात देखिए
कि कुछ पेड़ राख हो गए रूस की मिसाइलों से
पर तभी कुछ दूसरे पेड़
अनवरत ऑक्सीजन दे रहे थे रूसी सैनिकों को

पेड़ परे होते हैं दुश्मनी से
देश और उनकी विभीषिकाओं से

मैं सत्ताओं के पेड़ बन जाने की प्रतीक्षा में हूँ।

युद्ध और कविता

उन्मुक्त परिवेश में
कविता स्पंदित होती है
सांस लेती है, सपने संजोती है

मोर्टर और मिसाइलों के धमाके में
सिसकती है कविता
पुस्तकों में बंद हो, घुटती है वह

पर युद्ध की आग जब बुझ जाती
कविता फिर हो उठती है सजीव
आस बन पुनः खड़ी हो जाती है
विश्वास बन, युद्ध से बड़ी हो जाती है।

संपर्क : २६१एबी, अमरावती नगर, पाल, जोधपुर३४२००१ मो.९४१४४२५६११