युवा कवि और पत्रकार।बी.एच.यू. में शोधार्थी।

प्रेम की मणिकर्णिका

मुझे अक्सर लगता है
बनारस के हर प्रेमी को
पार्क, मंदिर और घाट के बजाए
मणिकर्णिका पर जाना चाहिए
और घंटों साथ बिताना चाहिए

मणिकर्णिका पर देह से छटक
आत्मा में उतर आता है प्रेम
मन की गहराई के साथ
आकाशीय विस्तार पा जाता है प्रेम
फिर हर पखवाड़े के बाद
कोई नया, देह को रौंद नहीं पाता
रूह में जो बसा होता है
देह उसी की होकर रह जाती है

किसी के प्रेम का आवरण बना वह ताज
दरअसल मणिकर्णिका ही तो है
शाश्वत प्रेम की मणिकर्णिका
सूरत से इतर सीरत की मणिकर्णिका
उम्मीद से इतर विश्वास की मणिकर्णिका
वनवास से इतर सहवास की मणिकर्णिका

स्वाद को जीभ से उतार
मन में बसाती है मणिकर्णिका
प्रेम में अपने अस्तित्व का बोध-
कराती है मणिकर्णिका
सौंदर्य को शैया पर रख
चिलम के धुएं में खो जाती है मणिकर्णिका

प्रेम की अमर निशानी है मणिकर्णिका
अपनों की अमिट कहानी है मणिकर्णिका
बनारस की नाभि है मणिकर्णिका
दिव्य परलोक की चाभी है मणिकर्णिका
अक्कड़, फक्कड़ की एड़ी है मणिकर्णिका

मणिकर्णिका की सीढ़ियों पर राख नहीं
असंख्य यादें बिछी होती हैं
अक्सर लोग पैर से कुचल आते हैं उन यादों को
जिनसे मैं घंटों गुफ्तगू करना चाहता हूँ
जैसे कोई शब्द करता हो अपने अर्थ से

दरअसल ये स्मृतियों को कुचलने का समय है
संवेदना के संक्रमण के इस दौर में
मैं स्मृतियों को सहेजना चाहता हूँ
पानी की तरह उसे बचाना चाहता हूँ
हवा की तरह निर्मल रखना चाहता हूँ
केवल इसलिए कि –
मैं हमेशा प्रेम में रहना चाहता हूँ

मणिकर्णिका पर जलती हैं चिंताएं
यादों की रोशनी में नहाकर इंसान
जब लौटता है आंखों में अमिट छाप लेकर
तब टपकती है आंसू की दो बूंदें

जिसे प्रेम कहते हैं
जिस देह को इंसान कैसे भी
पा ही लेना चाहता है
हर झूठ, फरेब, करता है जिसके लिए
मणिकर्णिका उसे पहले जलाती है
लेकिन वह नहीं मिटा पाती
प्रेम में गिरे आंसू की दो बूंदें
अनगिनत यादें, वादे, मुलाकातें
जिसे मणिकर्णिका खाक नहीं बना पाती
जो रह जाता है आत्मा में शेष
केवल वही प्रेम है

एक दिन मैं भी जाऊंगा मणिकर्णिका
अपने प्रेम के साथ
देखूंगा आंख भर के
जी भर बातें करूंगा उन सबसे
जिन्होंने प्रेम किया था

फिर वहीं सीढ़ियों पर लेट जाऊंगा
यादों का बिस्तर बिछाकर
अपने निश्छल प्रेम के साथ
बस इस उम्मीद में कि
मणिकर्णिका पर सप्रेम जलने वाले
असंख्य दीपकों में
कुछ रोशनी मेरी भी होगी
जब तक है यह प्रेम की मणिकर्णिका।

संपर्क :द्वारा वशिष्ठ नारायन सिंह,ग्राम गेन्हरपुर, पोस्टअम्बा, थाना बीरपुर, जिला बेगूसराय, बिहार ८५१११२/ मो.९४५०२१३८३२