(जन्म 1978)। इजराइल और फिलिस्तीन के बीच भाषा, संस्कृति और राजनीति के स्तर पर भेदभाव के विरोधी। कविताओं में मुख्यतः विभिन्न पृष्ठभूमियों से इजराइल आए लोगों की आकांक्षाओं और तनावों की अभिव्यक्ति। मानवाधिकारों से संबंधित आंदोलनों में सक्रिय।
1-द्विभाषी कविता
मैं द्विभाषी कविताएं लिखता हूँ
हिब्रू में और चुप्पी में
और सोने के पहले
दुनिया के नक्शे को पढ़ता हूँ
ढूंढता हूँ अपने लिए पलायन के रास्ते
लिखता हूँ भाषा के परे कविताएं-
शब्दों की नकल करते
मैं चमचमाते संकेतों में लिखता हूँ कविताएं
लिहाफ के नीचे छुपकर बेचैनी से दुहराता हूँ
छाया है वह, तस्वीर है वह, कैमरा है वह-
खून है, आदमी है, धरती है वह
वह ईश्वर है, वह साया है, रक्षक है वह
मैं कविता लिखता हूँ-
अपने बाहर
प्रेमिका से संभोग करते हुए फुसफुसाता हूँ-
मैं बनूंगा तुम्हारा पति और तुम होगी मेरी बीबी
और इस तरह नहीं लेगा जन्म- एक नया धर्म
मैं मिटाता हूं कविताएं-
हिब्रू में और चुप्पी में-
एक-एक पंक्ति, एक-एक रात, एक-एक दिन
और सोने के पहले
पढ़ता हूँ दुनिया का नक्शा
ढूंढता हूँ अपना नया-पुराना मुल्क
और आस्था की पगडंडियां
लंबी चुप्पी के बाद खुद से कहता हूँ :
टूटी फूटी मिट्टी की पट्टियों से
मूसा ने सिखाया था ‘तोरा’ का पाठ
मेरे पास सोचने के लिए खाली वक्त नहीं।
2-जेरुसलेम का एक आंगन
जेरुसलेम के एक आंगन में लता और पत्थर के बीच
उद और लादिनो की तान के बीच
मेरे शरीर की दीवारों के बीच
रात में उसने बनाई थी जो प्रेम की खरोंच
उसकी यादें मीठी हैं
आंगन के छोर पर बनी धातु की पुरानी बाड़ के पास
जड़ी है एक बूढ़ी औरत जिसका ढंका है सिर
प्रार्थना के बाद जब वह जा रही थी अपने घर
किसी ने गली से खींच कर रख दिया है उसे
चख रही है वह सरगम
पल भर के लिए डूबी है
कल्पना है कि फिर से बन चुकी है वह राजकुमारी
जा रही है आंगन के पार
और मेरे कानों के लिए निषिद्ध भाषा उद
आंगन में वह आजाद हो गई अपने बंधन से
और मैंने जिसने खुद को सिखाया था
पत्थरों से शहद चूसना
अब सीख रहा हूँ लड़की के मुंह से अमृत चखना
बूढ़ी औरत की आंखें हँसती हैं गानेवालों
और नन्ही सी खूबसूरत गायिका के पीठ पीछे
मैं कल्पना करता हूँ कि
वह लगती है हूबहू मेरी दादी की तरह
जिसने मरने के पहले फिर से
अरबी बोलना शुरू कर दिया था
हिब्रू का एक शब्द भी नहीं!