महादेवी वर्मा : ‘प्रेमचंदजी के व्यक्तित्व में एक सहज संवेदना और ऐसी आत्मीयता थी, जो प्रत्येक साहित्यकार को प्राप्त नहीं होती। अपनी गम्भीर मर्मस्थर्शनी दृष्टि से उन्होंने जीवन के गंभीर सत्यों, मूल्यों का अनुसंधान किया और अपनी सहज सरलता से, आत्मीयता से उसे सब ओर दूर-दूर तक पहुंचाया। जिस युग में उन्होंने लिखना आरम्भ किया था, उस समय हिन्दी कथा साहित्य, जासूसी और तिलस्मी कौतूहली जगत् में ही सीमित था। उसी बालसुलभ कुतूहल में प्रेमचन्द उसे एक व्यापक धरातल पर ले आये, जो सर्व सामान्य था। उन्होंने साधारण कथा, मनुष्य की साधारण घर-घर की कथा, हल-बैल की कथा, खेत-खलि-हान की कथा, निर्झर, वन, पर्वतों की कथा सब तक इस प्रकार पहुंचाई कि वह आत्मीय तो थी ही, नवीन भी हो गई।’
उपन्यास सम्राट मुंशी प्रेमचंद की जयंती के अवसर पर वागर्थ की विशेष प्रस्तुति धरोहर : बातें प्रेमचंद की
चित्रांकन साभार : आदित्य आर्ट गैलरी
ध्वनि संयोजन एवं आवृत्ति : अनुपमा ऋतु
दृश्य संयोजन-संपादन : उपमा ऋचा
प्रस्तुति : वागर्थ,भारतीय भाषा परिषद्
बहुत सुंदर प्रस्तुति।