युवा कवि। मुंबई के एक सरकारी कार्यालय में कार्यरत।
सपने
हम दोनों ही देखते हैं
सपने जीवन में सब कुछ
हासिल करने के
पर कई बार मेरे सपने टूटे हैं
लेकिन हारा नहीं मैं कभी
इंसान ख्वाब देखे
वह हर बार पूरा हो यह जरूरी नहीं
अब सोचता हूँ
जब दो ख्वाब एक साथ मिलेंगे
उसमें कई सपने अपना अस्तित्व खो बैठेंगे
कुछ नए सपने बनेंगे
कुछ सपनों के पूरे होने में लगता है कुछ वक्त
केवल इतना जानता हूँ कि
सपनों से परे है तुम्हारा साथ
चाहता हूँ कि
सपने जब भी हमसे रूठें
बस मेरे हाथों में हो तुम्हारा हाथ
सपने जरूर पूरे होंगे जब चलेंगे हम साथ।
अपना शहर
सिटी ऑफ जॉय में रहते हुए
न जाने कितने वर्ष बीते होंगे
पर जब सचमुच इसका हिस्सा बना
उखड़कर जा पहुंचा सपनों के शहर में
पर सपनों के इस शहर में
न जाने क्यों अकेलापन है
जो मुझे लौटने के लिए कहता है
सपनों के शहर से अपनों के शहर में।
संपर्क :फ्लैट संख्या–73, ऋषिकृष्णा कॉपरेटिव हाउसिंग सोसाइटी, यमुनानगर, लोखंडवाला कांप्लेक्स, अंधेरी (पश्चिम), मुंबई–400053 मो.7003288040