कवि, पत्रकार एवं अनुवादक। 11 कविता संग्रह, 2 उपन्यास और अनूदित 70 पुस्कतें प्रकाशित।
उदास लोग
जब उदास लोगों से मिलता हूँ
और गहरी हो जाती है मेरी उदासी
चेहरे पर पराजय के हस्ताक्षर
आंखों में सुलगते हुए सवाल
उन आंखों में झांकते हुए
घबराहट होने लगती है
उदास लोगों से मिलता हूँ
अंदर कुछ टूटने लगता है
ये कैसे मनुष्य हैं जो
चलते-फिरते शव की तरह नजर आते हैं
जो जीवन धारण का दंड भुगतते हुए
रोना चाहकर भी खुलकर रो नहीं पाते
उदास लोगों से मिलता हूँ
पता नहीं शब्दों के बिना ही
पीड़ा की पुस्तक का सार समझ जाता हूँ
माथे की सलवटों में छिपा उलाहना
कलेजे में उतर जाता है
आंखें फेरने पर भी राहत नहीं मिलती
कदम से कदम मिलाकर
साथ साथ चलता है अंधेरा।
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