रचना : मेले, रचनाकार :जावेद अख्तर
रचना : दिवंगत पिता के लिए, रचनाकार :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
रचना : पिता से गले मिलते, रचनाकार :कुंवर नारायण
रचना : चाय पीते हुए, रचनाकार :अज्ञेय
संयोजन एवं संपादन :उपमा ऋचा
प्रस्तुति : वागर्थ,भारतीय भाषा परिषद्
रचना : दिवंगत पिता के लिए, रचनाकार :सर्वेश्वर दयाल सक्सेना
रचना : पिता से गले मिलते, रचनाकार :कुंवर नारायण
रचना : चाय पीते हुए, रचनाकार :अज्ञेय
संयोजन एवं संपादन :उपमा ऋचा
प्रस्तुति : वागर्थ,भारतीय भाषा परिषद्
बहुत ही सुंदर प्रस्तुति हैं
बेहतरीन प्रस्तुति,अति सुंदर श्रव्य,दृश्य और पाठ्य की सुंदर त्रिवेणी है।एवम् रचनाओं का संकलन भी अदभुत है।
चारों कविताओं की प्रस्तुति बहुत ही अच्छी रही
कविता को बचाएंगे
संस्कृति कर्मी
लिख लेंगे अच्छी कविताएं कवि
पर बहुतेरे बचा नहीं पाते
अपनी कविताएं
बेहतर वाचन के अभाव में
समुराई बनते हैं
संस्कृति कर्मी
जानने के लिए
कविता का धारदार इस्तेमाल !
बधाई युवा दोस्तो !
ध्वन्यात्मक संगीत सी कहानियों का पाठ सुखद और संतोष दायक है।इन प्रयासों ने साहित्यिक अभिरुचि के नवीन आयाम समक्ष ला दिए हैं। ऐसे प्रयासों की पुनरावृत्ति अनिवार्यतः अपेक्षित है। आभार !
सुंदर प्रस्तुति
आवृति और दृश्य का संतुलन बहुत मोहक बन पड़ा है।
बहुत सुंदर और ह्रदय स्पर्शीय कविता ।
बहुत ही भावपूर्ण प्रस्तुति
सुन्दर प्रस्तुति
बेहतरीन प्रस्तुति
चारो कविता शानदार,भावुक कर देने वाली।पापा की याद आ गई ।
Adbhut
प्रियंका गुप्ता और सूर्यदेव रॉय बहुत सुंदर आवृत्ति की है आपने। आप दोनों को बधाई और हार्दिक शुभकामनाएं।
मार्मिक 🙏 बहुत बढ़िया 👍
भावपूर्ण अभिव्यक्ति🙏
शानदार. अद्भुत