‘बतरस’ बैसवाड़ा में पिछले चार वर्षों से हर साल एक बड़े साहित्यिक समागम का आयोजन करती है। 27-29 अक्टूबर की इस यात्रा में निराला, नंद दुलारे वाजपेयी, रामविलास शर्मा और शिवमंगल सिंह सुमन के गांवों में जाया गया तथा इन साहित्यकारों के घर और उसके आसपास बैठ कर गांव और परिवार के लोगों से मुलाकात और बात की गई। इस यात्रा के संयोजक थे अनुराग शुक्ल। इस यात्रा में स्थानीय साहित्यकार दिनेश प्रियमन, रामनरेश यादव और रमेश सिंह नेतृत्व संभाल रहे थे।
इस समागम का एक आकर्षण बच्चों की प्रतिभागिता थी। प्रस्तुति में भाषण, कविताओं का पाठ, सांगीतिक प्रस्तुति और नृत्य शामिल था। इस कार्यक्रम का संचालन सागरिका ने किया।
इस कार्यक्रम का एक विशेष सत्र शिवमूर्ति के ताजा उपन्यास ‘अगम बहे दरियाव’ पर केंद्रित था। इस सत्र में शिवमूर्ति को ‘बतरस सम्मान’ से सम्मानित किया गया। उन्होंने अपनी रचना प्रक्रिया पर प्रकाश डाला। इस सत्र की अध्यक्षता रामनारायण रमण ने की। इस समागम में साहित्य, समाज, कला और संगीत पर शिवा शंकर श्रीवास्तव तथा राजीव लोचन सिन्हा ने क्रमशः अपने विचार रखे। रवि सिंह भारतीय समाज में नृत्य और ममता सिंह ने ग्रामीण समाज में शिक्षा की स्थिति पर अपने अनुभव साझा किए। इस सत्र में आदिवासी, दलित, स्त्री, रंगमंच एवं सिनेमा और समाज के संबंध पर विचार-विमर्श हुआ। मंजु श्रीवास्तव ने अपनी कविताएं पढ़ीं।
शिवमूर्ति सत्र में आशुतोष ने शिरकत की। कोलकाता तथा आसपास के क्षेत्र से इस कार्यक्रम में शामिल पूजा पाठक, गुलनाज बेगम, जोतिमय बाग, अल्पना नायक, मृत्युंजय श्रीवास्तव तथा लखनऊ से आए प्रवीण कुमार यादव और बृजेश यादव ने शिवमूर्ति सत्र तथा विमर्श सत्र में भागीदारी की। डॉ अमरनाथ भी आए थे। विमर्श सत्र का संचालन अमन और दिलीप कुमार ने किया। इस कार्यक्रम का एक विशिष्ट आकर्षण शिवा शंकर श्रीवास्तव की पेंटिंग्स की प्रदर्शनी थी। इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का समापन कवि सम्मेलन से हुआ। कार्यक्रम का संयोजन कर रहे थे राजकुमार श्रीवास्तव। समागम के प्रणेता डॉ.कृष्ण श्रीवास्तव थे।
प्रस्तुति : पूजा पाठक