ग़ज़ल संग्रह आशियाने की बातेंऔर उड़ना बेआवाज परिंदेप्रकाशित।स्पेनिन सम्मान और रज़ा पुरस्कार से सम्मानित।गायन का शौक।

हम तबाही से घिरे हैं और वो नाराज हैं
खून के बादल उठे हैं और वो नाराज हैं

अब किसी से क्या बताएं कितने शर्मिंदा हैं हम
मुफलिसों के घर जले हैं और वो नाराज हैं

जाने क्या साबित करे है उनकी ये नाराजगी
सब उन्हीं के फैसले हैं और वो नाराज हैं

चार दिन की तो नहीं उनकी हमारी निस्बतें
मुद्दतों के सिलसिले हैं और वो नाराज हैं

बुजदिली है काहिली है या कि कोई चाल है
बाढ़ में घर बह रहे हैं और वो नाराज हैं

वो किसी को कुछ न दें, पर बेरुख़ी तो छोड़ दें
लोग सज़दे में झुके हैं, और वो नाराज हैं।

संपर्क : आर, फेस, कचनार सिटी, विजयनगर, जबलपुर४८२००२ (.प्र.) मो.९४२५३५७८५८