युवा गजलकार।रचनाएं पत्र-पत्रिकाओं प्रकाशित।संप्रति भारतीय वायुसेना से सेवानिवृत।
आईन है, कानून है इस बात से मश्कूर हूँ
क्या फ़ायदा इसका मगर, इंसाफ़ से मैं दूर हूँ
भूखा कहो, नंगा कहो, दुत्कार दो, धिक्कार दो
मज़लूम मै बेशक मगर, ख़ुद्दार हूँ, मज़दूर हूँ
मौके कई आए मगर, एक-एक कर जाने दिया
बेइंतिहा बेफ़िक्र हूँ, मैं आदतन मजबूर हूँ
इंसानियत, रस्म-ए-वफ़ा, रहबानीयत, रहम-ओ-करम
जाइज़ रहा मैं अब नहीं, भूला हुआ दस्तूर हूँ
मनमर्ज़ियाँ, ग़ुस्ताखियाँ या बेसबब जद्दोजहद
कुछ तो किया होगा कभी, यूँ ही नहीं मशहूर हूँ।
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