साहित्य और पत्रकारिता में चार दशकों से सक्रिय। साहित्य की विविध विधाओं में शताधिक पुस्तकें प्रकाशित। अनियतकालीन अनुवाद पत्रिका सद्भावना दर्पणका तीन दशकों से संपादन।

साठ के पार स्त्रियां

1.
व्याकुल है वह
परेशान है
बार-बार निहारती है दर्पण
गौर से देखती है अपना चेहरा
और खो जाती है अतीत में
क्या यही हूँ मैं
जिसपर फिदा थे कितने नौजवान चेहरे
और अब कोई नहीं दूर तक
जो निहारे
स्त्री साठ के पार हो गई है।

2.
पहले किटी पार्टी में
बढ़-चढ़ कर जाती थी
शॉपिंग मॉल में जाकर
सहेलियों के साथ सिनेमा भी देखती थी
पूरी मस्ती में था जीवन
अब वह जाती है
किसी स्वामी का प्रवचन सुनने
या मंदिर में गाती है भजन
साठ पार करने के बाद
कुछ औरतें यकायक धार्मिक हो जाती हैं।

3.
अब नहीं करती कोई मेकअप
नहीं लगाती चेहरे पर
क्रीम पाउडर लिपस्टिक
जैसा है चलने दो
कहती है वह मुस्कुरा कर
अब मैं साठ के पार हो गई हूँ।

4.
बात-बात पर देती है हिदायत
अपनी जवान होती लड़की को
जितना ध्यान वह
आंगन में खिले फूलों पर देती है
अपनी लड़की से बार-बार कहती है
अब पहले जैसा समय नहीं रहा
न पहले जैसे लोग हैं
संभल के जाना
संभलकर लौटना
स्त्री साठ के पार हो चुकी है!

सेक्टर 3, एचआईजी2/2, दीनदयाल उपाध्याय नगर, रायपुर492010