विभिन्न पत्र–पत्रिकाओं में रचनाएं प्रकाशित।काशी हिंदू विश्वविद्यालय में छात्र।
बाढ़
इसमें कोई संदेह नहीं
कि बाढ़ नदी को स्वच्छ करती है
धरती को उर्वर बनाती है
पर उससे पहले वह उम्मीद की उपज
नष्ट करती है
सारे सपने डूबो देती है
सुख का स्वाद छीन लेती है
एक किसान के गले में पड़ी रस्सी
तब बोलती है
साहब! फसल नहीं, सपने डूबे हैं
इस पीड़ा से एक दो तीन नहीं, अनेक ऊबे हैं
दुनिया का दुख दरवाजे पर देता दस्तक
चूड़ियां फूटती हैं
ढहती दीवारें चीखती हैं
चिहुंकतीं चिड़ियां पूछती हैं
बांध क्यों टूटा
पानी क्यों छूटा उसके खेत में
शून्य में सफेद संवेदना सफ़र करती है
गांव से दिल्ली शहर की ओर
पर सांत्वना के नाम पर उसके गले में
एक रस्सी है
और वह गा रही है गमी का गीत-
शोक का सोहर
गांव दर गांव, शहर दर शहर!
गंगा में गुरु
बांध खुलने पर नदी लांघती है लक्ष्मण रेखा
और पगहा टूटने पर पशु
पर पथ का नियम तोड़ने पर टूटता है पैर
खैर, गंगा में फँसे हैं मेरे गुरु
जैसे सब फँसे हैं गंगा के मानस पुत्र
वे भी फँसे हैं ठीक वैसे
फँसना बस नियति हो जैसे!
नदी भूल गई है अपना पथ, अपना घर
वह किनारे के कपाट खटखटा रही है
कह रही है थोड़ी देर विश्राम करने के लिए
मैं आई हूँ आपके घर
आपके गांव-शहर
जो कि कभी मेरा था!
दुख के दरवाजे से झांककर
लोग स्वागत कर रहे हैं नदी का
नदी हमारी मां है
जो सुना रही है अपनी व्यथा-कथा
काशी के एक कवि को
जी हां, श्रीप्रकाश शुक्ल को
जहां एक वाक्य पूरा होने से पहले ही
दूसरा आंसू टपक रहा है गंगधार
जिसमें शामिल हैं तमाम लोगों के दुख
और सिसकियां!
रोष के राकेट
भले ही आसमान में
रोष के राकेट का रास्ता है
पर वह दिखता है पृथ्वी पर
यहां गजब का धुआं-धुआं है
जहां चील, बाज व गिद्ध सुन रहे हैं
शोक में सियारों की हुआं-हुआं है
भर पेट भोजन कर रहे हैं भेड़िए
जंग में जवानों का
गोधूलि में
गौरैया चहचहा रही है
जबकि हथियार – टैंक मिसाइल बंदूक
नहीं सुनते कोइलिया की कूक
आंखों में रात रुकी है
सुबह हो नहीं रही है
संवेदना की सिरोइल व्याकुल है
कौए कह रहे हैं कि
समय की सरहद पर गिरा है लूक
यह युद्ध शुद्ध है
मगर मौसम के विरुद्ध नहीं
मरने वाले मनुष्य नहीं
उनकी नजर में कीड़े-मकोड़े हैं
जिनके हाथों में प्रसन्नता के पकौड़े हैं
खैर, खेल में सेल और शूल
सहना है सैनिक को
सरसराहट में तन चित है
मगर मन जीतना चाहता है मृत्यु को
इस समर के वीर हैं सदी के शब्द
जो निःशब्द नहीं हैं
बोल रहे हैं खोल रहे हैं पोल।
संपर्क : ग्राम–खजूरगाँव, पोस्ट–साहुपुरी, जिला–चंदौली, उत्तर प्रदेश–221009 मो.8429249326
बहुत सुंदर कविता