बाल साहित्यकार।तीन बाल कविता संग्रह, पांच बाल कहानी संग्रह, एक लघुकथा संग्रह प्रकाशित।संप्रति अध्यापन।

गजल

ये कैसी लाचारी भैया
लाखों पे इक भारी भैया

मीठा अब तो लगता सागर
लगती नदिया खारी भैया

सारे मतलब के लोग यहां
समझो दुनियादारी भैया

जिसके सर दस्तार बंधा है
उस पर चलती आरी भैया

कौन फकीरी मांगे रब से
दौलत सबको प्यारी भैया

धीरे-धीरे बढ़ती जाए
ये फाइल सरकारी भैया

कौन बचा है सीधा-सच्चा
सबमें है मक्कारी भैया

काम नहीं अब करता कोई
हर कोई अधिकारी भैया।

संपर्क : पितृकृपा, /२५४, बी ब्लॉक, हाउसिंग बोर्ड कॉलोनी पंचशील, अजमेर३०५००४ राजस्थान मो.९४६१०२०४९१