पिछले पांच दशकों से उर्दू–हिंदी में लेखन।चार कथा संग्रह, नौ उपन्यास और एक शायरी संकलन ‘रास्ता मिल जाएगा’।
गजल
पांव थे नंगे तो छाले पड़ गए
धूप में चलने से काले पड़ गए
मोतियों की पारखी थीं कल तलक
आज उन आंखों में जाले पड़ गए
जब नवाज़ा आपने इन्आम से
बाग़ियों के मुंह पे ताले पड़ गए
ख़ून देकर लाए हैं दो वक़्त की
इस क़दर महंगे निवाले पड़ गए
रोशनी का जब था पूरा इंतज़ाम
जाने फिर क्यों कम उजाले पड़ गए
आंकड़े हैं आपके अच्छे मगर
रोटियों के हम को लाले पड़ गए।
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