वरष्ठि कवि।चार कविता-संग्रह और तीन कहानी-संग्रह के अलावा कुछ संपादित कृतियां।

1
न भूख ने अपना रवैया बदला
न ही हत्यारों ने
पिछले जन्म में
पुलिस ने गोली मार दी थी
टिफिन चुराते जिन भूखे लोगों को
इस जन्म में वे तेंदुए बन गए
वे अब भी भूखे हैं
उन्हें अब भी गोली मारी जा रही है…।

2
जंगलों में जानवर नहीं रहे
आदमी खदेड़ रहा उन्हें दिनदहाड़े
जंगलों से भाग रहे पेड़
पीछा कर रहे खूंखार कुल्हाड़े
जंगलों में जंगल नहीं रहे
उनमें शहर घुस आए हैं
जंगलों में तेंदुए नहीं रहे
वे शहरों में घुस आए हैं
भूख प्राणी को कहीं टिकने ही नहीं देती
भटकाए ही जा रही है
बस, भटकाए जा रही है…।

3.
जब से सर्वभक्षी हुआ है आदमी
नरभक्षी हो गए हैं तेंदुए
भूख सबको लगती है
सब एक-दूसरे को खाने पर तुले हैं…!

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