नाटकों में अभिनय, गीत लेखन, संगीत रचना तथा प्रशिक्षण में सक्रिय।दो कविता संग्रह हमारी उम्र का कपास धीरे धीरे लोहे में बदल रहा हैऔर गुल मकई

हार्मनी

स़फेद और काले अलग रहेंगे
तो नस्ल कहाएंगे
मिलकर रहेंगे तो संगीत

हारमोनियम
साहचर्य की एक मिसाल है

उंगलियों के बीच की ख़ाली जगह
उंगलियों से भर देने के लिए है।

शुद्धिकरण

इतनी बेरहमी से निकाले जा रहे
छिलके पानी के
कि खून निकल आया पानी का
उसकी आत्मा तक को छील डाला रंदे से

यह पानी को छानने का नहीं
उसे मारने का दृश्य है

एक सेल्समैन घुसता है हमारे घरों में
एक भयानक चेतावनी की भाषा में
कि संकट में हैं आपके प्राण
और हम अपने ही पानी पर कर बैठते हैं संदेह

जब वह कांच के गिलास में
पानी को बांट देता है दो रंगों में
हम देख नहीं पाते
‘फूट डालो और राज करो’ नीति का नया चेहरा

वह आपकी आंखों के सामने
पानी के बेशकीमती खनिज चुराकर
किसी तांत्रिक की तरह हो जाता है फरार

‘पानी बचाओ – पानी बचाओ’
गाने वाली दुनिया
शामिल है पानी की हत्या में
अपने आदिम पूर्वजों को
गैस चेंबर में झोंकते हुए।

लिपि

उन्होंने कहा लिखो
मैं मोबाइल पर टाइप करने लगा
यह देख वे भड़क उठे
हमने कहा लिखो
मेरी याददाश्त पर गहरी चोट पड़ी
मोबाइल हाथ से गिर गया
वे पूर्वज थे
खिन्न होकर लौट गए
मैंने गिरे हुए मोबाइल को देखा :

मेरे हाथ से समूची लिपि फिसल गई थी।

अनाथालय में ईश्वर

पीपल के पेड़ तले
एक गोल चबूतरे पर
मैं अक्सर संगीत खोजने आता हूँ

आप यहां आएंगे तो
ईश्वर के बारे में आपकी गलतफहमी
दूर हो जाएगी
मनुष्यों पर विश्वास और पुख्ता हो जाएगा
टूटी सूंड वाले गणेश, कटे हाथ की लक्ष्मी
फूटे सिर वाले महादेव की मूर्तियां
और ऐसे कितने ही पुराने और खंडित देवता
यहां पड़े हैं
जैसे घर से निकाले गए बुजुर्ग
देवता यहां अपनी भग्नता में नहीं
नग्नता में पड़े हैं
उनकी कातर आंखों में
मैंने कोई प्रार्थना देखी
और देखते हुए लगा
कि देवताओं को भी
करुणा से देखा जा सकता है

बहुत गहराई से निकलती हैं बेशुमार चींटियां
यह देखने कि दूर कहीं आकाश से
जो हमारे पैरों के नूपुर१ भी सुन लेता है
जरा देखें तो उसे
उन्हें दिखाई देती है ईश्वर की निरीहता
वे उन्हें इस तरह घेर लेती हैं
जैसे गोद लेती हैं।

१.कबीर की पंक्ति :
‘चींटी के पग नेउर बाजे, सो भी साहिब सुनता है’

संपर्क : ऋषि वैली, वैशाली नगर, कमला नगर थाने के पास, भोपाल ४६२००३ (मध्य प्रदेशमो. ७९८७०००७६९