युवा कवयित्री और कहानीकार।अद्यतन कविता संग्रह– ‘चाँद–ब–चाँद’।
आजादी
धर्मों के नागपाश में
छटपट करते लोग
मुक्ति चाहते हैं अपने आसमानों की
उन्हें आकाश दे दो
हवा दे दो
ताप दे दो
और कुछ नहीं तो इतना ही दे दो
अपनी तिरोहित चांदनियों में
मुंह छुपा के विलुप्त हो जाने की आजादी।
आंखें
नेपथ्य में
चंद्रमा उगता है
जब मुस्काती हैं
तुम्हारी आंखें।
बादल
मौसमो
बताओ जरा
किसको याद करके
रो देते हैं बादल?
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