अज्ञानी होना उतनी शर्म की बात नहीं है जितना कि सीखने की इच्छा न रखना।
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हर चीज का सृजन दो बार होता है, पहले दिमाग में और दूसरी बार वास्तविकता में।
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व्यापारिक संबंधों में, लंबे समय की प्रतिबद्धता, एक समान उद्देश्य, एक दूसरे के प्रति सम्मान, एक दूसरे पर अत्याधिक विश्वास और आपसी सहयोग इत्यादि की आवश्यकता होती है।
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तेज दिमाग और सच्चे दिल के जोड़ से जीतना दूभर है।
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यदि आप हमेशा सच कहते हैं, तो आपको कुछ याद रखने की जरूरत नहीं रहेगी।
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एक रत्ती भर कर्म एक मन बात के बराबर है।
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यह जरूरी नहीं कि हर सबक खुद की गलती से ही सीखा जाए। हम दूसरों की गलतियों से भी बहुत कुछ सीख सकते हैं।
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अगर आप चाहते हैं कि कोई चीज उत्कृष्ट तरीके से हो तो आप उसे खुद ही कीजिए।
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आपके द्वारा कुछ ऐसा प्राप्त करना है जिसे आपने पहले कभी भी प्राप्त नहीं किया है, तो आपको अवश्य ही ऐसा व्यक्ति बनना होगा जो आप पहले कभी नहीं थे।