कवयित्री। विभिन्न साहित्यिक गतिविधियों में संलग्न। कुछ साझा संकलन।
गजल
कट गए सारे बगीचे और अमराई गई
पेड़ों के झूले गए हैं शोख पुरवाई गई
मुद्दतों से इस चमन में खिल रहा कुछ भी नहीं
भौंरे तितली और बुलबुल की शनासाई गई
हुस्न की रंगत गई और इश्क फीका पड़ गया
फूल मुरझाने लगे तो खुश्बू हरजाई गई
हसरतें दिल की खुली बिखरी जहाँ के सामने
यूं अदा से जुल्फ शाने पे है लहराई गई
जिस्म से है दूर साथी रूह से जाता नहीं
यादें उसकी हैं रवां तो दिल से तन्हाई गई
तीरगी में हमकदम होता नहीं कोई यहां
रोशनी ने हाथ छोड़ा साथ परछाई गई
मिल गया शासन तो फिर आवाम किसको याद है
बाद में वादा वफा की बात है आई गई
ऐशो-इशरत में सियासतदां सभी रहने लगे
और जनता झुनझुने से खूब बहलाई गई
किस तरह कोई भरोसा अब सियासत पर करे
हर दफा तो झूठी ही तस्वीर दिखलाई गई।
संपर्क : द्वारा – श्री सी. पी. मिश्रा, गली न.3,चिरैंयाटाड़, पटना-800001 मो. 9504557272