युवा कवयित्री।कविता संग्रह, ‘मैं थिगली में लिपटी थेर हूँ।संप्रति शिक्षण में।

प्यारी बच्चियो!

यही वह वक्त है
जब तुम बेखौफ घरों से निकल सकती हो
देख सकती हो ख्वाब
भर सकती हो उड़ानें
हर अतार्किक असहनीय बात को धत्ता बताकर
खोल सकती हो हर गिरह
तोड़ सकती हो जकड़नें
जंग खाई सांकलों को डुबो सकती हो
मिट्टी के तेल में

बालों को छोड़ सकती हो खुला
मुंह पर हाथ रख कर हँसने की नसीहतों को
कर सकती हो विदा
रसोई के बाहर भी दे सकती हो निर्णय
बैठकखाने में बैठकर पी सकती हो चाय

ले सकती हो बड़ी डिग्रियां
पहली श्रेणी की
खड़ी कर सकती हो नेतृत्व
कायम कर सकती हो राज्य
पस्त कर सकती हो मनुवाद को
तोड़ सकती हो पशुता के सारे नियम

आते-जाते किसी भी चौराहे पर
तनकर चल सकती हो
तोड़ सकती हो उठती उंगलियों को
तरेर सकती हो आंखें
पूछ सकती हो सवाल
बिस्तर पर कह सकती हो ना
बना सकती हो पसंद का खाना
शादी के सालों बाद भी पहन सकती हो
कॉलेज के समय की कोई मनपसंद टॉप
मना कर सकती हो पायल बिछुआ को
कर सकती हो रे… बे करते हुए दोस्तों से बातें
दे सकती हो सलीकेदार गालियां

तुम दे सकती हो पितरों को तर्पण
प्राप्त कर सकती हो पहला भोजन
चला सकती हो वंश
बन सकती हो पुरोधा
जीर्ण-शीर्ण पुरातन मतों पर
लिख सकती हो लंबे आलेख
पुराने ग्रंथों का कर सकती हो
अपनी लिपि में विश्लेषण
थोपे गए ज्ञान को बांचने से कर सकती हो इनकार
बना सकती हो एक नया संग्रह

सुनो प्यारी बच्चियो!
यही वह वक्त है
जब तुम लड़ सकती हो आधी आबादी की लड़ाई
दे सकती हो आने वाली पीढ़ी को नई सौगातें
मत सोचना-
कोई और पीढ़ी लड़ेगी तुम्हारी लड़ाई
करेगी तुम्हारी अगुआई

यही वक्त है
निकल चलो सड़कों पर
करो पाषाण युगों के गाल पर कठोर हस्ताक्षर।

स्त्री त्याग के लिए बनी थी

स्त्री त्याग के लिए बनी थी
त्याग से स्त्री का खोईछा हमेशा भरा रहा

झुकी नजरों वाली स्त्री को कुलीन कहा गया
बोलने वाली स्त्रियों को पतिता कहा गया

मूक बधिर स्त्री को देवी स्वरूपा माना गया
नरम कदमों से चलने वाली स्त्री लक्ष्मी थी

ख्वाब को लिफाफे में बंद कर दरिया में बहाने वाली स्त्री शीतला माता थीं
उन लिफाफों को खोल कर चूमने वाले स्त्री
बे-गैरत रहीं

बच्चा पालती
दूध पिलाती
बिस्तर सहेजती स्त्री
घर के लिए खाद पानी थीं

खानसामा की तरह रोटी पर मक्खन लगाती स्त्री को
रात बिस्तर पर प्रेम से देखा जाता
कुछ पल बाहों का साथ मिलता
ख़्वाहिश का परचम लहराते ही
करवट से पीठ तर होती

स्त्री का जीवन
गर्म तवे पर रोटी सेंकने भर से था
उसकी तरबियत में ही कुछ खामी है।

संपर्क : ग्रामरानीगंज (बंगाली टोला), वार्ड नं.०७, बरबन्ना, पोस्टमेरीगंज, जिलाअररियापिन८५४३३४ बिहार मो.८२५२६१३७७९

Painting : Two Tahitian Women 1899 Paul Gauguin